रोटी के लिए नीयत खोटी?


जिन्दगी के लिए क्या चाहिए सिर्फ चार रोटियाँ,कुछ छोटी मोटी जरूरतें, एक घर और कुछेक कपडे तन ढंकने के लिए। बस इसी के लिए दौड़ मची है, कोई पैदल तो कोई साईकिल, मोटरसाइकिल तो कोई कार और कुछ लोग तो जहाजों और हेलीकाप्टर का प्रयोग कर रहे हैं। बड़े-बड़े आशियाने वो सुकून नहीं दे सकते जो एक फूस की झोपडी देती है। समझ में नहीं आता कि महज चार रोटी के लिए कोई नीयत खोटी क्यों करता है? आखिर क्या हासिल हो जाता है उसे? अपना और अपने बच्चो का पेट भरने के लिए औरों के खाने में मिलावट करना, अपनी कार, और हवाई जहाज को मेंटेन करने के लिए दूध में जहरीले रसायन मिलाना, और तो और अपने आराम के लिए देश तक से गद्दारी करना कहाँ तक ठीक है? अगर इस कीमत पर कोई रकम आती तो तो भूंखे मर जाना उससे कई करोड़ गुना बेहतर है। मैं आख़िरी सांस तक भारतीय हूँ और रहूँगा। मुझे अपनी भारत माता की कीमत पर ऐसी चीजें नहीं चाहिए। अगर आप भी सच्चे भारतीय है तो आइये शपथ लें कि हम ऐसा खुछ भी नहीं करेंगे जिससे हमारे देश की आन-बान और शान को नुकसान हो .... जय हिन्द!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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