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Showing posts from December, 2012

चरित्र खोजने निकले हैं लोग

अजीब पागल लोग हैं ये ! आज चश्मा लगाकर चरित्र खोजने निकले हैं। इनको लगता है की देश के कानून की तरह इसको भी खरीद लेंगे मगर अफ़सोस की वे आश्रम अब बंद हो चूका हैं जहां इनकी खैरात बंटती थी। बाकी की रही सही कसर तो सरकार ने पहले ही पूरी कर दी थी। अब अचानक जरूरत पडी तो इनको याद आया चरित्र ? अरे भाई साहब जो चीज अब उँगलियों पर गिनने भर के लोगों के पास बची है उसको इतनी बड़ी मात्रा में कहाँ से लाओगे? और करो शिक्षा में परिवर्तन? और पढ़ो पश्चिम का इतिहास? अभिज्ञान शाकुंतलम जैसे नाटकों को आज विश्व की तमाम भाषाओँ में अनुवादित किया गया और दुर्भाग्य का विषय है की उसको भी इन तथाकथित विद्द्वानों ने आउट डेटेड करार देकर कोर्स से हटा दिया। रामचरित मानस की चौपाइयां भी गायब कर दी गईं। लो अब भोगो-- वरना उसमें तो स्पष्ट रूप से लिखा है कि -- अनुज बधू भगिनी सूत नारी,सठ सुनु कन्या सैम ये चारी। इनहि कुदृष्टि बिलोकी जोई, ताहि बढे कछु पाप न होई।। अर्थात - छोटे भाई की पत्नी छोटी बहन पुत्र की स्त्री ये तीनों ही अपनी बेटी के सामान होती हैं जो भी इन पर कुदृष्टि डालता है उसका वध करने से कोई पाप नहीं लगता है।

आत्मीयमित्रों- अपना आशीष मेरे यश को जरूर दीजिएगा।

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 आत्मीय मित्रों व सुहृदों , मेरी भतीजी रूचि को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और चार महीने बाद हमारे नाती की फोटो हम तक पहुँची है वो आप सभी मित्रों से शेयर कर रहा हूँ अपना आशीष मेरे यश को जरूर दीजिएगा।

एक क़ता

एक क़ता देखो तो मुझे खुद से कैसे बाँट रहा है। खाता है नमक फिर भी लहू चाट रहा है।।                   जिसको उठाके बीहड़ों से घर में दी जगह।                   वो पालतू कुत्ता ही मुझे काट रहा है।। --- कपूत प्रतापगढ़ी

तेजी से दौड़ो या फिर सिंहासन छोडो

एक ओर  में  सामूहिक अनाचार की घटनाएं, राष्ट्रपति भवन जा रहे छात्रों और छात्रों पर लाठियां चटकाती पुलिस, न्याय माँगने की ये सजा किसने मुक़र्रर की ? खुद को जनता का सेवक बतानेवाले नेता और तथाकथित मानवाधिकारवादी नदारद? क्या ये मंज़र देखकर रायसीना हिल्स का सीना नहीं हिला? अपनी नाकामी और हरामखोरी को छिपाने के लिए तंत्र लाठियां लेकर लोक पर पिल पडा ? दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का यह शर्मनाक चेहरा देश की जनता के साथ मैंने भी देखा। गजब के लोक तंत्र में जीते हैं हम? जहां आलसी और कामचोर बहानेबाजों की चलती है? एक झूठ को सच साबित करने के लिए पवित्र गीता और कुरान  जैसे  ग्रंथों की कसमें खिलाई जाती हैं? अरे बहुत हो गया कहाँ है वो आंबेडकर द्वारा अनुवादित किया क़ानून ? उसे जितनी जल्दी बदल सकते हो बदल डालो। वरना फिर सिंघासन छोडो अब देश को बुद्धों की नहीं युवाओं की जरूरत है। जय जवान जय किसान जय विज्ञान।

20 दिसंबर के जनदखल सांध्य दैनिक में प्रकाशित मेरी संपादकीय

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पत्नी से ऐंठा तो अमरूद के पेड़ पर जा बैठा

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पेड़ पर रहने वाले चोलापुर ब्लाक के रामगांव के संजय का कहना है, 'मैं अपनी पत्नी तारा से बहुत प्यार करता था। उसे मुंबई भी ले गया। पर मेरी पत्नी तारा बेवफा निकली। उसने वहां पड़ोस के एक लड़के से चक्कर चला लिया। उसको मैंने एक दिन उस लड़के के साथ उसकी बांहों में देख लिया।'घटना 2012 मार्च की है तब से लेकर आज तक संजय उसी अमरूद के पेड़ पर ही बैठा है प्लीज़ संजय की मदद कीजिये मानवता का यही तकाजा है शायद उसका मन बदल जाए और वो पेड़ से नीचे उतर आये ?

शिक्षाकर्मी की बेशर्मीं

 मित्रों ! छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मी छठवें वेतनमान की मांग लेकर आन्दोलन कर रहे हैं। राज्य का शिक्षा विभाग भी ऊंघ रहा है।मगर एक कड़वी सच्चाई ये है की ये शिक्षाकर्मी आखिर पढ़ते कितना हैं? कक्षा पांच के बच्चे से पूंछ लीजिये तो ढंग से हिंदी ,में वो  अपना नाम तक नहीं लिखा पाता। बच्चे मारपीट करते हैं और शिक्षाकर्मी घर का हालचाल बतियाते आपको अक्सर मिल जायेंगे। वहीं दुसरे हैं मास्टर साहब जो स्कूल का मुंह विशेष अवसरों पर ही देखने जाते हैं।देश में शिक्षा का क्या हाल है ये बताने की जरूरत नहीं है। जिस अविभावक की क्षमता अपने बच्चो को  पढ़ा पाने  की नहीं है वही भगवन भरोसे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजता है। अजीब बात है, बिना काम के मजदूरी? और सही भी है जब देश का नेता संसद में हंगामा करके पूरा वेतन और भत्ता भुनता है। तो फिर इनको क्यों न दिया जाये। लाख टके का सवाल है कि  वो सरकारी विभाग बताओ जहां ईमानदारी से काम होता हो? शायद नहीं मिलेगा। अरे जब लूट ही मची है तो इनको क्यों रोक रहे हो  भाई? लूटने दो इनको भी?

चीन के चश्में का असर

मैं चीन के चश्में का असर देख रहा हूँ। हर ज़ेर को भी पूरा ज़बर देख रहा हूँ।। उल्टा लगाया तो हुआ कुछ ऐसा करिश्मा। कुत्ते को भी अब शेर बाबर देख रहा हूँ।।

क्या हमारे राजनेताओं की यही नैतिकता है

क्या हमारे राजनेताओं की यही नैतिकता है कि कोई  कुछ हरे पत्ते दिखाकर इनका ईमान खरीद ले? हद हो गई बिकाऊपन की,समझ में नहीं आता क्या कहा जाए इनको? नैतिकता - आदर्श और सदाचार जैसे शब्द तो इनके शब्दकोष से पता नहीं कब के गायब हो चुके हैं। देश की सबसे बड़ी पंचायत में  जब विपक्ष इस मुद्दे पर चिल्ला रहा था। तो वहीं एक खबर और आती है कानपुर से जहां लगभग  सवा लाख से भी ज्यादा लोगों ने राष्ट्रगान गाया। खबर पढ़कर दिल भर आया की देश की जनता और जनप्रतिनिधियों में क्या अंतर है।एक निःस्वार्थ भाव से  राष्ट्रगान गाने सर्दी की सुबह ग्रीनपार्क स्टेडियम की जानिब दौड़ जाता है। दूसरा उसी देश को विदेशियों के हाथों बेंचने की जुगत भिड़ता है। तब  मुझे अपना ही एक शेर याद आता  है कि -- कपूत उस काली हवेली में न जाने क्या था! कि जो भी ठहरा वो आखिर ईमान छोड़ गया !!

एक कड़वा सच

ये सच है कि जिसका जन्म गलत होता है उसके कर्म भी गलत ही होते हैं। देश की आजादी के लिए बनी कांग्रेस को नेहरू जी ने जबरदस्ती गांधी जी के कहने के बावजूद भी ज़िंदा रखा।  आजादी के सम्बन्ध में सरदार दिलीप सिंह बरार जी ने मुझसे एक बार  बताया था की देश की आजादी का सच क्या था? इनको उस शर्त पर आजादी दी गई थी की तुम मुझे नेता जी सुभाष चन्द्र बोसे दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।और इन लोगों ने वो समझौता भी किया था । चीन ने आठ हजार किलोमीटर हमारी जमीन हथिया ली कोई कुछ नहीं बोलता, क्योंकि वहाँ से एक पैसा भी मिलनेवाला नहीं है। अंग्रेजों ने इनको नेताजी की एवज में आजादी दी थी। और इन लोगों ने उसको डॉलर्स के लिए बेंच दी। आखिर बिना काम किये पैसा कब तक मिलेगा? देश की सबसे बड़ी संस्था में गंवारों से भी बदतर अंदाज में चिल्लाने वाले खुद को उच्च शिक्षित बताते हैं इनके पास रंगीन कागज़ तो हो सकते हैं मगर ज्ञान और अनुभव नाम की चीज नहीं है। लाख टके  का सवाल ये है की क्या ये देश के साथ गद्दारी नहीं है?

अमर शहीदों का संसद से सवाल

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एक और देश की संसद में खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश को लेकर महाबहस जारी हैं तो दूसरी और 30 जुलाई  1857 के संग्राम में  अमृतसर के पास  अजनाला के कालियां वाला खूह में शहीद हुए 282 शहीदों की अस्थियाँ मिली हैं यानि शहीदों से भी ये अन्याय देखा नहीं गया और उनकी अस्थियाँ बगावत करके बाहर निकल आयीं ! आज देश की संसद से लगा की वे अस्थियाँ चीख-चीख कर पूंछ रही हैं ये सवाल कि ऐसा तुम क्यों कर रहे हो मेरे लाल ? मगर इनके सर पर तो अमेरिकी डालरों का भूत सवार है। लिहाजा इनको उन अमर शहीदों की आत्मा की आवाज सुने नहीं दे रही। दोस्तों यही इस देश का दुर्भाग्य है।  मगर संतोष है की चलो  155 वर्ष के बाद हमारे इन जांबाज पुरखों को  'आत्मिक आजादी' मिली है। मंगलवार को इतिहासकार सुरिंदर कोछड़ व उसके साथियों ने इस खूह [एक बड़ा कुआं] के एक कोने की खुदाई की। थोड़ी खुदाई के दौरान ही शहीदों की अस्थियां मिल गई। कोछड़ के अनुसार खूह काफी गहरा है। यह खूह मुगलई ईटों से बना है। इसकी दीवारें दो से तीन फुट चौड़ी हैं।

हमारी भारत माता की जान बचाओ

दोस्तों कल रात मैंने एक सपना देखा एक बहुत बड़े बाग़ में एक ज़िंदा गाय को गिद्ध और  कौए नोंच रहे हैं। बाबर शेर कोने में बैठे कुछ सोच रहे हैं। गाय जोर-जोर से रांभ रही हैं, कोयल रो रही है चील चिल्ला रही है,पेड़ों पर गर्दन शान से ऐंठे कुछ बगुले भी हैं बैठे जो ध्यान लगाये मौन है। समझ में कुछ आया की वो गाय कौन हैं? मेरे तो दिमाग में बस यही आता है की वो गाय ही हमारी भारत माता है। जब ये स्वप्न मैंने एक नेता जी को बताया तो वो बोले चुप रहो आखिर तुम्हारे बाप का क्या जाता है? अब तो नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, बिस्मिल, आजाद, भगत सिंह को बुलाऊंगा की ये मेरे देश के अमर शहीदों एक बार फिर से भारत भूमि पर आओ और हमारी  भारत माता की जान बचाओ। जय हिन्द -जय भारत।

रोटी के लिए नीयत खोटी?

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जिन्दगी के लिए क्या चाहिए सिर्फ चार रोटियाँ,कुछ छोटी मोटी जरूरतें, एक घर और कुछेक कपडे तन ढंकने के लिए। बस इसी के लिए दौड़ मची है, कोई पैदल तो कोई साईकिल, मोटरसाइकिल तो कोई कार और कुछ लोग तो जहाजों और हेलीकाप्टर का प्रयोग कर रहे हैं। बड़े-बड़े आशियाने वो सुकून नहीं दे सकते जो एक फूस की झोपडी देती है। समझ में नहीं आता कि महज चार रोटी के लिए कोई नीयत खोटी क्यों करता है? आखिर क्या हासिल हो जाता है उसे? अपना और अपने बच्चो का पेट भरने के लिए औरों के खाने में मिलावट करना, अपनी कार, और हवाई जहाज को मेंटेन करने के लिए दूध में जहरीले रसायन मिलाना, और तो और अपने आराम के लिए देश तक से गद्दारी करना कहाँ तक ठीक है? अगर इस कीमत पर कोई रकम आती तो तो भूंखे मर जाना उससे कई करोड़ गुना बेहतर है। मैं आख़िरी सांस तक भारतीय हूँ और रहूँगा। मुझे अपनी भारत माता की कीमत पर ऐसी चीजें नहीं चाहिए। अगर आप भी सच्चे भारतीय है तो आइये शपथ लें कि हम ऐसा खुछ भी नहीं करेंगे जिससे हमारे देश की आन-बान और शान को नुकसान हो .... जय हिन्द!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!