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Showing posts from April, 2011

गोवंश को कसाइयों को सौंपने के पहले एक बार इस रिपोर्ट को जरुर पढ़ें

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देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को देख कर दिमाग में यह बात आती है कि अब हमें अपने देश में भ्रष्टाचार पर्यटन शुरू कर देना चाहिए . इससे दुनिया भर के लोग यहाँ आकर देखेंगे कि किस प्रकार एक करोडपति क्लर्क एक गरीब असहाय किसान कि फटी कमीज कि जेब से पैसे निकालता है . कैसे एक नेता अरबों रुपये विदेशी बैंकों में डालकर भी देश में ईमानदारी का चोला पहनकर उपदेश देता है ? कैसे देश की सीमा पर शहीद होनेवाले जवान कि विधवा पत्नी को उसकी पेंसन के लिया टरकाया जाता है ? कैसे एक आदमीं अपने पूरी जिन्दगी कोर्ट के चक्कर लगाते - लगाते गुजार देता है लेकिन उसे न्याय के बदले सिर्फ तारीखें मिलाती हैं ? पंद्रह हजार से भी ज्यादा किसानों कि आत्महत्या करने वाले देश का प्रधानमंत्री कैसे लालकिले कि प्राचीर से देश के नाम संबोधन में इसको कृषिप्रधान देश बता देता है और चहरे पर सिकन तक नहीं आती ! न्यायपालिका कि अनाखों पर पट्टी तो बंधी थी मगर कानों में भी कुछ ठूंस दिया गया ह

भारत में भ्रष्टाचार पर्यटन की संभावनाएं

देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को देख कर दिमाग में यह बात आती है कि अब हमें अपने देश में भ्रष्टाचार पर्यटन शुरू कर देना चाहिए. इससे दुनिया भर के लोग यहाँ आकर देखेंगे कि किस प्रकार एक करोडपति क्लर्क एक गरीब असहाय किसान कि फटी कमीज कि जेब से पैसे निकालता है. कैसे एक नेता अरबों रुपये विदेशी बैंकों में डालकर भी देश में ईमानदारी का चोला पहनकर उपदेश देता है? कैसे देश की सीमा पर शहीद होनेवाले जवान कि विधवा पत्नी को उसकी पेंसन के लिया टरकाया जाता है? कैसे एक आदमीं अपने पूरी जिन्दगी कोर्ट के चक्कर लगाते -लगाते गुजार देता है लेकिन उसे न्याय के बदले सिर्फ तारीखें मिलाती हैं? पंद्रह हजार से भी ज्यादा किसानों कि आत्महत्या करने वाले देश का प्रधानमंत्री कैसे लालकिले कि प्राचीर से देश के नाम संबोधन में इसको कृषिप्रधान देश बता देता है और चहरे पर सिकन तक नहीं आती ! न्यायपालिका कि अनाखों पर पट्टी तो बंधी थी मगर कानों में भी कुछ ठूंस दिया गया है. लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ अपने चौथेपन में पहुँच चूका है. वह भी इनका सहभागी बना है. क्योंकि उसको अपना पट पालने कि लिए विज्ञापनों कि भीख चाहिए . ऐसे में अगर भ्रष्टाचार

स्वतन्त्रता संग्राम की सुनहरी यादें

स्वतन्त्रता संग्राम kee सुनहरी यादें

आजादहिंद फौज के कंपनी कमांडर सरदार दिलीप सिंह बरार जी कपूत के घर पर उनकी धर्म पत्नी सुशीला सिंह को आशीष देते हुए

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