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Showing posts from April, 2013

बिहार के बांका में बाबा के निकली सींग

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बांका. इसे कुदरत का करिश्मा कहें या शारीरिक विकृति, समझ में नहीं आता. बिहार के बांका जिले में एक 96 वर्षीय बुजुर्ग के सिर पर तीन इंच लंबा सींग उग आया है. बकरे या अन्य जानवरों के सींगों की तरह ही यह भी मजबूत और नुकीला है. इस अजूबे ने स्थानीय चिकित्सकों को भी हैरत में डाल रखा है. वे भी इसे अपनी तरह का अद्भुत मामला मान रहे हैं. जानकारी के अनुसार अमरपुर प्रखंड के सलेमपुर गांव के जगदीश कापरी के सिर पर यह सींग निकला है। यह सींग सिर के एक तरफ बाएं हिस्से में है. कापरी ने बताया कि छह महीने पहले सर्दियों के दौरान उन्हें सिर के बीच में सींग विकसित होने का एहसास हुआ. जगदीश के रिश्तेदार राजीव कापरी ने बताया कि सर्दियों में जगदीश की ऊनी टोपी फाड़कर सींग बाहर निकल आया. इसके बाद सबका ध्यान इस ओर गया. जगदीश का कहना है कि उन्हें सींग से कोई विशेष तकलीफ नहीं है. मगर, सिर पर असामान्य रूप से सींग निकलने से वे सहमे हुए हैं. स्थानीय चिकित्सकों से भी समस्या पर बात की गई. सभी पसोपेश में पड़ गए. जगदीश की उम्र के मद्देनजर चिकित्सक शल्य क्रिया कर सींग हटाने से भी परहेज कर रहे हैं. इस बाबत सिविल सर्जन ड

आखिर क्यों ?

आखिर क्यों ? कोई उनपर कार्यवाही क्यों नहीं करता जो देश के खजाने से पैसा तो जमकर लेते हैं मगर काम कौड़ियों का भी नहीं करते. इसकी शिकायत करने पर दो चार तर्क ठोंक देते हैं . क्या ऐसे लोग देश के दुश्मन नहीं हैं? जो लोग अपनी जेबें भरने के लिए खाद्य पदार्थों में मिलावट करते हैं और उसको पैसे देकर खरीद कर खाने वाले की जान चली जाती है तो क्या ये हत्या नहीं है? अगर है तो उसपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं करता. उनपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं करता जो देश के लाखों किसानों की आत्महत्या के जिम्मेदार हैं? आखिर क्यों कोई उनपर कार्यवाही नहीं करता जो पूरा वेतन लेने का बाद भी किसी गरीब की जेब पर नज़र रखते है। आखिर क्यों इनको सजा देने के नाम पर क़ानून के हाथ कांपते हैं .

सरकार का आइडिया ?

पहले सरकार उद्द्योगपतियों का जमीन देने का विरोध करती है. फिर डीजल,पेट्रोल और रासायनिक खादों  व बीजों के दाम बढाती है।इसके बाद हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री जी और वित्त मंत्री जी  कागजों पर फर्जी आंकड़ों के घोड़े दौडाते हैं . किसानों की आत्महत्याओं में आज भी कोई कमीं नहीं आई है. इसका कारण है की एक एकड़ गेहूं की खेती में लगभग  अट्ठारह हजार की लगत आती है और उसमें बामुश्किलन पंद्रह क्विंटल गेहूं पैदा होता है. जिसकी बाजार में कुल कीमत पंद्रह हजार रुपये होती है यह भाव यूपी के बाजारों का है. अब कोई विद्द्वान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री से ये पूंछेगा की सरकार ऐसा क्यों कर रही है? आइये हम बताते हैं सरकार की मंशा उद्द्यागों को बढ़ने की है, ऐसे में यही एकमात्र रास्ता बचता है जिसके माध्यम से कृषी भूमि उद्द्योगपतियों को आसानी से दी जा सकती है. क्योंकि किसान जब खेती से ऊबेगा तभी तो जमीन बेंचेगा? क्यों कैसा है येपहले सरकार उद्द्योगपतियों का जमीन देने का विरोध करती है. फिर डीजल,पेट्रोल और रासायनिक खादों  व बीजों के दाम बढाती है।इसके बाद हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री जी और वित्

नई दिल्ली से प्रकाशित सरस सलिल में प्रकाशित मेरी खबर

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दैनिक भास्कर के पानीपत अंक में प्रकाशित मेरी खबर

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दैनिक भास्कर के कई अंकों में एक साथ में प्रकाशित मेरी खबर

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दैनिक राजस्थान पत्रिका के जयपुर अंक में प्रकाशित मेरी खबर

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देश के विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित मेरी खबरें -

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देश के विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित मेरी खबरें -

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रायपुर छत्तीसगढ़ से प्रकाशित हिंदी समाचार पत्र हरी भूमि में स्टोरी ऑफ़ द डे बनी मेरी बाई लाइन खबर

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रायपुर छत्तीसगढ़ से प्रकाशित हिंदी समाचार पत्र हरी भूमि में स्टोरी ऑफ़ द डे बनी मेरी बाई लाइन खबर

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रायपुर छत्तीसगढ़ से प्रकाशित हिंदी समाचार पत्र हरी भूमि में स्टोरी ऑफ़ द डे बनी मेरी बाई लाइन खबर

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कोलकाता से प्रकाशित राजस्थान पत्रिका और रायपुर छत्तीसगढ़ से प्रकाशित हिंदी समाचार पत्र हरि भूमि में स्टोरी ऑफ़ द डे बनी मेरी बाई लाइन खबर

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कोलकाता से प्रकाशित होने वाले हिंदी दैनिक सन्मार्ग में मेरी खबर प्रकाशित हुयी थी काफी पहले आज पेश कर रहा हूँ आपके लिए -

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दैनिक भास्कर के पानीपत, गुड़गांव;फरीदाबाद एडिशन में एक साथ प्रकाशित मेरी बाई लाइन खबर दैनिक भास्कर के पानीपत, गुड़गांव;फरीदाबाद एडिशन में एक साथ प्रकाशित मेरी बाई लाइन खबर दैनिक भास्कर के पानीपत, गुड़गांव;फरीदाबाद एडिशन में एक साथ प्रकाशित मेरी बाई लाइन खबर

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मित्रों आइए कुछ पुरानी यादों को ताजा करते हैं- अब मेरे साहित्यिक नाम कपूत प्रतापगढ़ी के नाम से एक व्यंग्य -

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मित्रों आइए कुछ पुरानी यादों को ताजा करते हैं- राजस्थान पत्रिका कोलकाता में बाई लाइन प्रकाशित मेरी खबर -

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मित्रों आइए कुछ पुरानी यादों को ताजा करते हैं- राजस्थान पत्रिका कोलकाता में बाई लाइन प्रकाशित मेरी खबर -

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मित्रों आइए कुछ पुरानी यादों को ताजा करते हैं- दैनिक भास्कर पानीपत हरियाणा में प्रकाशित मेरी खबर -

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मित्रों आइए कुछ पुरानी यादों को ताजा करते हैं- दिल्ली से छपने वाली पत्रिका सरस सलिल में प्रकाशित मेरी खबर -

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मित्रों आइए कुछ पुरानी यादों को ताजा करते हैं- जनसत्ता कोल्कता में प्रकाशित मेरी खबर -

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मित्रों आइए कुछ पुरानी यादों को ताजा करते हैं- ये संभवत : पूरे देश का पहला साइबर अपराध था.

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मित्रों आइए कुछ पुरानी यादों को ताजा करते हैं- छपते -छपते हिंदी दैनिक और सरस सलिल में प्रकाशित मेरी विशेष रिपोर्ट-

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मित्रों आइए कुछ पुरानी यादें तजा करते हैं - कोलकाता के सन्मार्ग में -प्रकाशित मेरी खबर-

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मित्रों ! मेरे एक मित्र शिवम् गवेल ने मेरे एक ऐसी फोटो बनाई है जो आपके साथ शेयर कर रहा हूँ।

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मित्रों ! मेरे मित्र शिवम् गवेल ने मेरी ये फोटो बने है आप देखिये उनकी कला का कमाल

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गुरूघंटाल

देखो स्वप्न सजी पलंगों के  बैठे टूटे खटोले में। ऐसे माहिर मजे हुए हैं ये कुछ लोग बतोले में।।              गुरू-गुरू कहते उसकी तुमड़ी में किया सुराख़ गजब।               ऐसे गुरुघंटाल  हैं  शागिर्दों के चोले में।। ये कुछ गुड्डे बीच अखाड़े पटका -पटकी खेल रहे। जाकर हाथ मिलायेंगे सब भानुमती के झोले में।।               क्या होगा आखिर" कपूत जी" चोर-चोर चिल्लाने से।                जब दुल्हन के संग चोर ही बैठा हुआ हिंडोले में।।