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Showing posts from August, 2014

अरे ये काहे की धर्म संसद......!

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आर.पी. सिंह की दो टूक- छत्तीसगढ़ के कवर्धा में चल रही शंकराचार्य की धर्म संसद से सोमवार 25 अगस्त 2014 को दो सांई भक्तों को भगाया गया! जो वहाँ अपना पक्ष रखने गये थे! यह कहाँ तक उचित है? क्या हमारे शंकराचार्य या फिर संतों में इतना भी साहस और धैर्य नहीं बचा कि वे उन भक्तों की बात सुन सकते? अगर वहाँ किसी का पक्ष नहीं सुना जाता तो फिर कहे की धर्म संसद? सुलगते सवाल- शंकराचार्य और ऐसे तमाम धर्मगुरू जो खुद को हिंदुओं का हिमायती बताते हैं, उन्होंने हिंदुओं को हिंदू बना रहने के लिए क्या किया है? ये कोई नई बात तो नहीं है? फिर अचानक शंकराचार्य को इतना मोह क्यों? क्या सोने चाँदी के सिंहासन पर बैठने वाला संत हो सकता है? बाबा कबीर दास जी कह गये हैं कि- संत न छोड़े संतई कोटिक मिलें असन्त, मलय भुअन्गहि बेधिया शीतलता न तजन्त!

कैसा रहा ये हमारा नया प्रयोग...!

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मित्रों... 11 अगस्त के पेज-12 में लीड खबर में आज तोड़ा नया करने का मान बना था सो कर दिया. अब आपलोग बताएँ कि कैसा रहा ये हमारा नया प्रयोग...!

क्षत्रिय कौन ?

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रक्षति य: स: क्षत्रिय: अर्थात जो रक्षा करता हो वो क्षत्रिय है. शायद इसी लिए रक्षा बंधन की शुरुआत भी हुई रही होगी, मगर वाह रे क्षत्रिय .....! सब के सब राजपूत हो गये? भैया....मैं तो क्षत्रिय हूँ और आख़िरी साँस तक रहूँगा. जितना बन पड़ेगा जिसकी भी संभव हो रक्षा करूँगा. क्योंकि मेरे अपनों से ज़्यादा मेरी रक्षा मेरे उन भाइयों ने की है जिनको मैं दिल से अपना सागा भाई मानता हूँ! मुझे अपने उन तमाम पत्रकार साथियों... राजनेताओं और समाजसेवियों पर भी गर्व है जिनकी बदौलत आर.पी. सिंह आज खड़ा है!