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Showing posts from September, 2016

Front and Last page of Hamari Sarkar of 30th September 16

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आज फेसबुक पर सर्चिंग करते-करते अचानक मेरे सबसे छोटे मामा ठाकुर दशरथ सिंह गौतम जी के दर्शन हो गए। आजकल आप देहरादून में सपरिवार रह रहे हैं।

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डाकपाल पर क्यों नहीं आती जांच की आंच

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 भ्रष्टअफसरशाही और निकृष्ट नेतागिरी के चलते मनरेगा के मस्टररोल  में झोल देकर सरकारी पैसे गोल किए जा रहे हैं। इस मामले का पूरा खेल ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि, सचिव, रोजगार सहायक एवं भुगतान करने वाले डाकपाल (पोस्ट मास्टर) मिलकर खेल रहे हैं। मजेदार बात तो ये कि पता नहीं कितनी जांच कमेटियां बनाई गईं, मगर एक भी जांच कमेटी के जांच की आंच डाकपाल तक नहीं पहुंचती। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि आखिर क्यों नहीं पहुंचती है डाकपाल तक जांच की आंच? मुंगेली जिले में फर्जी भुगतान का आखिर कौन है जिम्मेदार... 00    मनरेगा से जुड़े योजनाओं में डाकपाल की भूमिका संदिग्ध 00    विभागीय निरंकुशता के चलते नहीं होती कार्यवाही।         मुंगेली। क्या है पूरा मामला-  पूरे देश में आए दिन मनरेगा में फर्जी मस्टर रोल से आहरण होने की शिकायत मिल रही है, फर्जी मस्टर रोल भरना अर्थात ऐसे मजदूरों का नाम मस्टर रोल में लिखना जिसने काम ही न किया हों, ऐेसे में भुगतान किसे किया गया होगा? यह सोचने की बात है। लेकिन भुगतान तो हुआ है इसका मतलब कहीं न कहीं गलत तो हुआ है। फिर इसमें दोषी कौन -कौन हंै? क्या उन पर कभी कार्यवाही हुई

कानून को ठेंगा दिखा रहा मनरेगा

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा में फर्जी मस्टररोल बनाकर भ्रष्टाचार किए जाने के तमाम मामले सामने आ चुके हैं।  कानून कायदे को ठेंगा मनरेगा के ही अधिकारी दिखा रहे हैं। इन मामलों में ये भी बात सामने आई कि जिनको मजदूरी का भुगतान किया गया वे तो दस साल पहले ही मर चुके थे? तो कहीं उनको मिला जो कभी भी कहीं काम करने जाते ही नहीं। इन सारी चीजों के लिए  ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि, सचिव, रोजगार सहायक एवं भुगतान करने वाले डाकपाल (पोस्ट मास्टर) जिम्मेदार होते हैं। यदि किसी भी शहर का डॉकपाल ये घोषणा कर दे कि वो किसी भी फर्जी आदमी को भुगतान नहीं करेगा।  तो एक बात तो तय है कि फर्जी भुगतान रुक जाएगा। तो वहीं अब तो सरकारें हर किसी का आधार नंबर ही असली नंबर मान रही हैं।  इसकी खासियत ये भी होती है कि कुछ बैंक बिना हितग्राही के अंगूठे का  निशान लिए उसकी राशि का आहरण ही नहीं होने देते। तो वहीं मनरेगा की मजदूरी सीधे मजदूर के खाते में सीधे डालने की बात हो चुकी है। ऐसे में अगर अब कोई भी सचिव या फिर रोजगार सहायक चाहे कितना भी कुछ कर लें भुगतान कोई दूसरा नहीं उठा सकता है। इसका सबसे अहम कारण ये है कि

दहेज के लिए दानव बनता मानव

खटर-पटर निखट्टू- उत्तर प्रदेश और बिहार  में दहेज की प्रथा बेहद जोरशोर से चलती है। ये बात समाज के तमाम लोगों को खलती है। तो वहीं जिनके घर में बेटे हैं वे इस बात से निश्चिंत रहते हैं कि बहुएं आएंगी तो दहेज में मोटी रकम ऐश-ओ आराम के सामान साथ लेकर आएंगी। अब जैसे ही अपनी बेटी की बात आती है तो तर्क ये दिया जाता है कि ये दहेज ही समाज को खोखला कर रहा है। बिहार के एक बैंक के प्रबंधक ने सिर्फ दहेज के लिए 3 शादियां कीं और तीनों की हत्या कर डाली। संभवत: वो चौथी शादी भी करता मगर इस बार भाग्य ने धोखा दे दिया और पुलिस के हत्थे चढ़ गया। दरअसल उसने ये शादी एक राष्ट्रीय स्तर की फुटबाल खिलाड़ी से किया था। उसको अपने शयन कक्ष में ही मार कर पंखे से लटका दिया। जब मृतका का भाई अपनी बहन को  देखने उसकी ससुराल पहुंचा तो वहां कोहराम मचा हुआ था। मृतका के भाई ने बताया कि उसने और उसके परिवार ने मिलकर कुल 22 लाख रुपए खर्च कर अपनी बहन का विवाह किया था। तो उसका ये हश्र हुआ। पुलिस ने उसी के बयान के आधार पर लोभी आरोपी और उसके मां-बाप के खिलाफ मामला कायम कर लिया है। फिलहाल ये सारे लोग फरार बताए जा रहे हैं। अब आप भी न मह

56 इंच के सीने का दम और दहशत का ट्रेलर

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-56 इंच के सीने वाले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उरी में आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले के 10 दिन बाद भारतीय सेना ने घर में घुसकर पाकिस्तान को दहशत का ट्रेलर दिखा दिया है।  10 दिनों के दौरान सैकड़ों घंटों तक बंद कमरे में बदमिजाज पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाने के लिए 28-29 सितंबर की दरम्यानी रात चुनी।  चार घंटे के इस ट्रेलर में भारत ने यह बता दिया कि यदि पाकिस्तान अब भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो आने वाले दिन उसके लिए और भारी पड़ेंगे। ..................................... आर.पी. सिंह- लगातर परमाणु हमले की धमकियां देने वाले पाकिस्तान और उसके आतंकी आ$काओं की बढ़ती मनमानी से आजिज़ आकर आखिरकार हमारे सैनिकों ने उसको उसकी असली औ$कात दिखाई। लगातार हम पर प्रहार करने वाले पाकिस्तानी हुक्मरानों और उनके आतंकी आ$काओं को 56 इंच के सीने वाले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उरी में आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले के 10 दिन बाद भारतीय सेना ने घर में घुसकर पाकिस्तान को दहशत का ट्रेलर दिखा दिया है।  10 दिनों के दौरान सैकड़ों घंटों तक बंद कमरे में बदमिजाज पाकिस्तान को उसकी औकात द

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वादी के अलगाववादी

खटर-पटर- निखट्टू- संतों..... जब रामेश्वरम में भगवान श्रीराम चंद्र जी रामेश्वरम सेतु का निर्माण करवा रहे थे। तो नल-नील के स्पर्श किए पत्थरों को अंगद, हनुमान जैसे वीर एक सलीके से रख रहे थे। भालू और बंदर छोटे बड़े पत्थरों के टुकड़ों को अपनी-अपनी सामथ्र्य के अनुसार उठा-उठाकर रखते जा रहे थे। इन सारे लोगों के बीच एक गिलहरी समुद्र की बालू में लोटती और फिर दौड़कर आती जहां पत्थरों के बीच में जगह होती उसमें बालू झाड़ कर दोबारा किनारे भाग जाती। उसका यही क्रम चलता रहा। वहां मौजूद कई बलवान योध्दा उसके इस कार्य को देखकर उसकी खिल्ली उड़ाते रहे। आखिरकार एक बंदर ने पूछ ही लिया कि गिलहरी बहन तुम ये बार-बार तीन ग्राम बालू अपने बालों में भर कर जो इन मोटी दरारों में भर रही हो। हमें तो लगता है कि बेकार प्रयास कर रही हो। इससे तो तुम दिन भर में एकाध ही दरार भर पाओगी।  तुम्हारा ये प्रयास हमारे किस काम का। गिलहरी ने हंसते हुए कहा- भैया हमें अपनी ताकत का पूरा पता है कि मैं कितनी सामथ्र्य रखती हूं। जो कर भी रही हूं वो आप लोगों के सामने है। मैं पूरी ईमानदारी से मानती हूं कि मेरे इस 3 ग्राम बालू से इतने बड़े बांध

उरी हमले का बदला

सर्जिकल स्ट्राइक एक बेहद क्रिटिकल ऑपरेशन माना जाता है। तो भारतीय सेना इसकी सिध्दहस्त मानी जाती है। बुधवार की रात 2 बजे सेना के जांबाजों को पुख्ता जानकारी मिली कि कुछ आतंकवादी हमारी सरहद में घुसने की फिरा$क में हैं। बस फिर क्या था तत्काल इन लोगों ने ऑपरेशन की तैयारी की और एक घंटे से भी कम समय में 38 से ज्यादा आतंकवादियों को मार गिराया। सेना के जिम्मेदार अफसरों ने इसकी पुष्टि भी कर दी है। किसी भी देश की सीमा पार कर वहां जाना वहां ऑपरेशन को अंजाम देना और फिर वापस लौट आना। अमेरिका के सील कमांडोज के अलावा दुनिया के गिने चुने कमांडोज ही ऐसे ऑपरेशंस को करने का साहस रखते हैं। हमारी सेनाओं के इस ऑपरेशन से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ काफी गुस्से में बताए जाते हैं। उन्होंने भारत को ललकारा है कि हम भी ऐसे ऑपरेशंस कर सकते हैं। आपको याद होगा कि जब अमेरिकी सील कमांडोज ने एबटाबाद में कार्रवाई कर ओसामा बिन लादेन को मारा था तो उसके बाद हमारी फौज के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने ऐसे ऑपरेशन करने की क्षमता का  जिक्र किया था। हालांकि उस वक्त पाकिस्तान ने ये कहते हुए घुड़की दी थी कि भारत इसकी तो सोचे भी न

भारतीय सैनिकों की सर्जिकल स्ट्राइक में कई आतंकी ढेर

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पाकिस्तानी सेना के दो जवान भी मारे गए, गुजरात में पाक को दम दिखाने की तैयारी नई दिल्ली। उरी हमले के बाद से ही पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ जिस एक्शन की उम्मीद की जा रही थी वो ले लिया गया है। बुधवार देर रात भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सीमा में घुसकर आतंक के अड्डों को ध्वस्त किया है। इस बारे में जानकारी देते हुए रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए डीजीएमओ रणबीर सिंह ने बताया कि बुधवार देर रात भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए हमले के लिए तैयार आतंकियों को मार गिराया है। 20 घुसपैठ की कोशिशें नाकाम- उन्होंने कहा कि इस साल 20 घुसपैठ की कोशिशें भारतीय सेना ने नाकाम की हैं। इस दौरान हमने कई सामान जिनमें जीपीएस और अन्य चीजें थीं हमने जब्त की। हमने पाकिस्तान के उच्च स्तर तक इसके सबूत दिए। इस मुद्दे को हमने पाकिस्तान के सामने उठाया। हमने उन्हें इन आतंकियों को काउंसलर एक्सेस देने का भी ऑफर दिया। इसके बाद कल रात हमें विश्वस्त और महत्वपूर्ण सूचना मिली थी कि कुछ आतंकी पाक सीमा में बने लॉन्चपैड पर मौजूद थे और घुसपैठ के लिए तैयार थे। सूचना थी कि वो

कोयला घोटाले पर फैसला 24 को

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विजय दर्डा और अन्य भाग्य का होगा फैसला नई दिल्ली/ रायपुर। कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने पूर्व सांसद विजय दर्डा और पांच अन्य के खिलाफ लगे आरोपों पर अपना फैसला 24 अक्टूबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया है। क्या है पूरा मामला- यह मामला छत्तीसगढ़ में एक कोल ब्लॉक आवंटन में की गई कथित गड़बड़ी से संबंधित है।  इसमें दर्डा के बेटे देवेंद्र दर्डा और पूर्व कोयला सचिव एच. सी.  गुप्ता का नाम भी है। आरोप तय किए जाने को लेकर सीबीआई और आरोपियों द्वारा अपनी जिरह पूरी कर लेने के बाद अदालत ने आदेश सुनाने के लिए 24 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है। पिछले साल 20 अगस्त को अदालत ने आरोपियों को जमानत दे दी थी।  इनमें दो वरिष्ठ अधिकारी के.  एस. क्रोफा और के.  सी.  समरिया एवं कारोबारी मनोज कुमार जायसवाल भी शामिल हैं। अदालत ने पिछले साल 20 नवंबर को इस मामले में सीबीआई की जांच बंद करने की रिपोर्ट अस्वीकार कर दी थी और एजेंसी को आगे जांच करने का निर्देश दिया था। इस मामले में आरोप है कि तत्कालीन राज्यसभा सदस्य दर्डा ने तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्रों में 'त

दबंगों ने नल से पानी भरने पर महिला को पीटा

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अम्बिकापुर ।  जिले के  ब्रम्हपारा वार्ड में बुधवार को एक महिला बोरिंग पर पानी लेने गई थी, जहां महिला को अकेली देख चार लोगों ने मिलकर लाठी-डंडा और चप्पल से पिटाई कर दी।  महिला ने इसकी शिकायत कोतवाली थाने में दर्ज कराई है।  दरअसल ब्रम्हपारा वार्ड में रहने वाली मन्नू देवी बुधवार को हैण्डपम्प में पानी भरने गई हुई थी, तभी वहां नहा रहे पड़ोस में रहने वाले उत्कर्ष, अभिषेक, दीपक कश्यप व शुभम ने पुरानी रंजिश के चलते महिला की लाठी-डंडे और चप्पल से पिटाई कर दी, जिससे महिला बुरी तरह घायल हो गई।  पुलिस ने घायल महिला का मेडिकल कराकर मामला दर्ज कर लिया है।  हालांकि, आरोपी अभी पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं। -------------------------------------------------------------------------------

ऐसेबेड़ा बस्ती में लोगों की जान सस्ती

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-कांकेर जिले के पखांजुर विकासखंड के ऐसेबेड़ा में स्वच्छ भारत अभियान का बेड़ा कैसे गर्क हो रहा है। ये किसी को भी बताने की जरूरत नहीं है। यहां के पंच,सरपंच और सचिवों ने इस योजना का मजाक बना डाला है। इसके चलते 4 सौ घरों की इस बस्ती में शौचालय महंगा और लोगों की जान सस्ती हो गई है। यहां लगभग हर घर में आधे-अधूरे शौचालयों को देखा जा सकता है। तो वहीं पंचों और सरपंचों ने अपने चुनावी शपथ पत्र में चुनाव के छह महीने के अंदर ही जलवाहित शौचालय बनवाने की भी शपथ लेता है, मगर यहां के सरपंच और पंच आज तक शौचालयों का निर्माण नहीं करवा पाए हैं। जिस अभियान पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभिमान करते हैं इन सरपंच और सचिव ने मिलकर उसकी जान निकाल ली है। सवाल तो यही है कि क्या बाकी देश में भी ये अभियान ऐसे ही चलेगा? अधूरे बने शौचालयों ने बढ़ाई ग्रामीणों की मुसीबत,सरपंच और सचिव ने निकाली प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी अभियान की जान कांकेर । जिले के पखांजुर ब्लॉक के ऐसेबेड़ा गांव को विधायक शंकर धु्रवा ने गोद ले रखा है। हमारी सरकार की टीम को ग्रामीणों ने बताया कि यहां 4 सौ परिवार निवास करते हैं। यहां पू

Front and Last page of Hamari Sarkar of 28th September 16

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मियां खुसड़ू की दूरंदेशी

खटर-पटर- निखट्टू- संतों ....  गांवों में एक प्राचीन कथा प्रचलित है कि अकबर बादशाह के दरबार में उनके साले मियां खुसड़ू की एकदम नहीं चलती थी। जब कि वहीं बीरबल को हर कोई पसंद करता था। बादशाह सलामत तो उनके मुरीद थे। यही बात मियां खुसड़ू को भीतर तक खाए जा रही थी। उनका तर्क था कि वे भी वे सारे काम कर सकते हैं जिसको बीरबल पलक झपकते ही निपटा देते हैं। उधर बादशाह सलामत थे कि वो मियां खुसड़ू को कोई मौका नहीं देते थे। काफी मिन्नतों के बाद उन्होंने अपनी धर्म बहन यानि महारानी को इस बात के लिए तैयार किया कि उनको भी एक मौका बादशाह सलामत दें। पहले तो बादशाह अकबर ये बात सुनते ही भड़क उठे और बोले कहां बेगम आपने भी उस नामुराद खुसड़ू का जोड़ हमारे दरबार के नौरत्नों में से एक से लगा डाली। अब बात महारानी की थी और वो ठहरा महारानी का भाई तो शहांशाह ने मन मसोस कर हुक्म दे दिया। कि कल मियां खुसड़ू ह$कीम के पास जाकर शाहजादे के लिए दवाएं लाएंगे। बस फिर क्या था खुसड़ू मियां तो यूं कुलांचें मारने लगे लगा कि किले की दीवार फांद जाएंगे। रात भर मियां खुसड़ू उधेड़बुन में पड़े रहे और जैसे ही सबेेरा हुआ जाकर शाही ह$कीम क

गरीबों के आशियाने पर दंतैलों का कहर

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सरगुजा जिला के लुण्ड्रा वन परिक्षेत्र में 11 सदस्यीय हाथियों का तांडव जारी है। धौरपुर थाना क्षेत्र के नागम गांव में गज दलों ने छह ग्रामीणों के मकान को धवस्त कर दिया। जिससे गांव में अफरा-तफरी का माहौल हो गया है। ग्रामीण आनन-फानन में आवश्यक वस्तु लेकर सुरक्षित स्थान चले गये हैं। लुण्ड्रा परिक्षेत्र में हाथियों का यह कोई पहला तांडव नहीं है। इसके पूर्व भी 14 दिनों से गज दल क्षेत्र में तांडव मचा रहे हैं। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार गज दलों ने अब तक 25 मकानों को नुकसान पहुंचाया है। और कई एकड़ गन्ना, मक्का व धान की फसल को नुकसान पहुंचाया है। हाथियों के उत्पात से ग्रामीणों के साथ-साथ वन विभाग के अधिकारी भी काफी परेशान हैं। बिलासपुर से आई हल्ला पार्टी की टीम को हाथियों को भगाने में मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है। 25 मकान ढहाए, कई एकड़ गन्ना, मक्का और थान की फसलों का नुकसान अम्बिकापुर। वन विभाग के आला अधिकारियों की भी रात की नींद उड़ गई है। पिछले 14 दिनों से वन विभाग की टीम हाथियों की निगरानी कर रही है, लेकिन उन्हे बाहर खदेडऩे में कोई सफलता हासिल नहीं हो रही है।

सरकार बताए 25 रुपए में चारा कहां से लाएं

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 कौन सुनेगा गरियाबंद के गायों की गुहार -गायों को चारा पानी मुहैय्या करने का दावा करने वाली सुराज की सरकार के अधिकारी एक गाय को चारे के लिए महज 25 रुपए देते हैं। आलम ये है कि इतने पैसे में तो इंसान को एक प्लेट ढंग का नाश्ता भी नहीं मिलता? तो भला गायों का पेट कैसे भरेगा? वह भी महज 2 सौ गायों के लिए उससे ज्यादा होने पर ये भी पैसे बंद। यही कारण है कि गरियाबंद जिले की अधिकांश गौशाला समितियां कर्जे में डूबती जा रही हैं। इधर महानदी भवन में सरकार अपने विकास का राग गा रही है। तो उधर गरियाबंद सहित प्रदेश की तमाम गौशालाओं में भूख से गायें रंभा रही हैं। ऐसे में सीधा सा सवाल कि गरियाबंद की गायों की गुहार कौन सुनेगा?  गरियाबंद। क्या है मामले की असलियत-  प्रदेश में गौशालाओं की हालत अच्छी नहीं है।  अकेले गरियाबंद जिले की बात की जाए तो जिले में कुल 9 गौशालाएं संचालित हैं। इनमें से दो गौशालाओं की हालत ठीक हैं जो संतों द्वारा संचालित की जा रही हैं।  इनको छोड़ दिया जाए तो बाकि 7 की हालत ठीक नहीं हैं।  सभी गौशालाएं शासनतंत्र की गलत नीतियों के कारण आर्थिक तंगी से जुझ रही हैं। हालात इतनी खरा

राजनांदगांव में दबंगों ने दबाई सरकारी जमीन

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 भ्रष्ट अफसरशाही और निकृष्ट हो चली नेतागिरी तथा भू-माफियाओं की तिकड़ी के संरक्षण में कुछ रसूखदार राजनांदगांव में अब सरकारी जमीन भी हथियाने का खेल -खेलने में लगे हैं। खैरागढ़ सिविल अस्पताल के सामने दंतेश्वरी रोड़ पर इन्हीं दबंगों ने सरकारी और नज़ूल की जमीन पर अवैध मकान तान दिए हैं। तो अब इन अवैध कब्जाधारियों पर कार्रवाई करने में प्रशासन के हाथ कांप रहे हैं। अगर यही काम किसी गरीब आदमी ने किया होता तो अब तक न जाने कितनी बार नगर पालिका का बुलडोजर उस पर गरजता इसकी कोई गिनती नहीं रहती। तो वहीं इलाकाई पत्रकार भी घटना की प्रेस विज्ञप्तियां अपने-अपने समाचार पत्रों में भेज कर बहादुर बने फिरते। रसूखदारों के आगे इन सारे लोगों ने आंख कान और नाक मुंह सब बंद कर रखा है। ऐसे में सवाल तो यही है कि क्या ये मु_ी भर रसूखदार कानून पर भी भारी पडऩे लगे हैं? राजनांदगांव। क्या है पूरा मामला- जिले के खैरागढ़ सिविल अस्पताल के सामने दंतेश्वरी रोड पर  दबंगों ने सरकारी जमीन और नजूल की जमीन पर धड़ल्ले से कब्जा जमा लिया है। यहां कुछ लोगों ने तो मकान बना कर किराए पर दे दिया है। तो वहीं कुछ लोग अभी भी अवैध निर्

तीन तिगाड़ा ने काम बिगाड़ा

प्रदेश में अफसरशाही की लापरवाही का किस्सा कोई नया नहीं है। इसकी शिकायत राज्य के तमाम मंत्रियों और सांसदों ने मुख्यमंत्री से कई बार की है। इसके बावजूद भी ये प्रशासनिक मशीनरी सुधरने का नाम तक नहीं ले रही है। तो इन्हीं की आड़ लेकर कुछ भू-माफिया लगातार कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ करने में लगे हैं। इनमें से कुछ को नेताओं का अनैतिक संरक्षण प्राप्त है। ये जहां भी मौका पाते हैं चौका जडऩे से नहीं चूकते। मामला चाहे सरकारी जमीन हथियाने का हो या फिर आंकड़ों की बाजीगरी करने का। सारा खेल यही मशीनरी खेल रही है। इसी की बदौलत ये मशीनरी नोटों की गड्डियों में डण्ड पेल रही है। राज्य का एसीबी भी समय-समय पर जब भी उसकी तंद्रा टूटती है, छापा मार कर अपनी पीठ ठोंक लिया करता है। तो वहीं राज्य के कुछ तथाकथित पत्रकार भी इन अनैतिक कामों के बदले जमकर चांदी काट रहे हैं।  इनकी शह पर ही शहर की बर्बादी हो रही है। कहने को तो ये लोग तमाम बड़े और छोटे अखबारों से जुड़े हैं मगर लेखनी के कितने धनी हैं ये उनके लिखे समाचारों को देखकर आसानी से समझ में आ जाता है। इनके इन्हीं खराब कर्मों के कारण ईमानदारी से काम करने वाले पत्रकारों

Front and Last page of Hamari Sarkar of 27th September 16

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बटोरन बाबा का हृदय परिवर्तन

खटर-पटर- निखट्टू हमारे मोहल्ले के बटोरन बाबा के 7 बेटे हैं, अच्छा भला परिवार है। रक्षाबंधन के दिन उनके घर में सन्नाटा पसरा देख मुझे आश्चर्य हुआ। उधर घर के अंदर टीवी पर बार -बार हरियाणा की बेटी साक्षी की सफलता को दिखाया जा रहा था। मोहल्ले की सभी बेटियां अपने -अपने भाइयों को राखी बांध चुकी थीं। बटोरन बाबा बैठे-बैठे कुछ बड़ी गंभीरता से सोच रहे थे। मैंने पूछा कि बाबा क्यों आज इतने गंभीर मुद्रा में बैठे हो? रोज तो बड़ी तेज आवाज में दहाड़-दहाड़ कर बेटों की प्रशंसा के पुल बांधा करते थे? बटोरन बाबा की आंखों में आंसू आ गए। बोले निखट्टू जी मैं बहुत बड़ा गुनहगार हूं। आज मुझे मेरे किए पर पश्चाताप हो रहा है। मेरे सातों बेटे आप लोगों के आशीर्वाद से सरकारी नौकरी में हैं। दहेज भी मैंने कम नहीं लिया। अरे बटोरन है हमारा नाम। जिसने भी मेरे बेटों से रिश्ता जोडऩे की कोशिश की भरपूर कीमत वसूली मैंने मगर अफसोस कि उन सातों की सूनी कलाई देखकर मुझे अपनी करनी पर पश्चाताप हो रहा है। ये कहते -कहते बटोरन बाबा रो पड़े। मैंने उनको ढांढस बंधाया, तो वे जिद कर बैठे- बोले आज के दिन मैं अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहते

सरकारी अस्पताल में सक्रिय खून के दलाल

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जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज में खून के दलालों की सक्रियता खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। हर रोज कोई न कोई मरीज का परिजन इन दलालों के गिरफ्त में आ ही जाता है। सोमवार को भी एक दलाल के द्वारा मरीज के परिजन से पैसे की बात की जा रही थी। इसी दौरान अस्पताल पुलिस सहायता केंद्र के पुलिस ने युवक को पकड़ लिया है। पूछताछ के दौरान दलाल के मंसूबे का खुलासा हुआ। पिछले दो दिनों से अस्पताल में आकर घूम रहे दलाल को पुलिस ने फटकार लगाई और कड़ी हिदायत देकर बाद में छोड़ दिया। पुलिस ने पैसे की बात कर रहे एक दलाल को पकड़ा अम्बिकापुर। पहले भी पकड़े जा चुके हैं ऐसे लोग- जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज में पहले भी खून बेचने वाले को ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. आजाद भगत व पुलिस सहायता केंद्र के कर्मी पकड़ चुके हैं। अभी भी अस्पताल में ऐसे दलालों की पैठ बनी हुई है। अस्पताल के वार्डों में घूम-घूमकर ये दलाल किस मरीज को खून की जरूरत है उसका पता लगाते हैं और मरीज के परिजनों से मिलकर हजारों रुपए में खून का सौदा करते हैं। पूर्व में ऐसे कई मामलों का खुलासा हो चुका है। सोमवार को पकड़ा गया युवक नशेड़ी प्रवृत्ति का था। ब्लड बैंक

झाडफ़ूंक के भरोसे सूरजपुर का छात्रावास -

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शिक्षित लोग भी तमाम जागरूकताओं के बावजूद किस तरह तंत्र-मंत्र और झाडफ़ूंक पर भरोसा करते हैं, इसका नजारा किसान मोर्चा के दो नेताओं ने जिले के ओडग़ी ब्लॉक के धरसेड़ी गांव में मौजूद छात्रावास में देखा। यहां दो दर्जन से ज्यादा छात्राएं चेचक से पीडि़त हैं, तो वहीं आश्रम अधीक्षिका उनका इलाज झाडफ़ूंक से करवा रही हैं। उनका दावा है कि झाडफ़ूंक ही इसका बेहतरीन इलाज है। लगे हाथ उन्होंने ये भी दावा किया कि यहां कोई भी डॉक्टर इलाज के लिए नहीं आता। छात्रावास के बच्चे नाले का पानी पीते हैं। तो वहीं बैजनाथपुर के छात्रावास में तीसरी कक्षा का एक छात्र बुखार से तड़प रहा था और उसके अधीक्षक को इसकी जानकारी तक नहीं थी। नेताओं ने इस मामले को लेकर छात्रावास के अधीक्षक को जमकर लताड़ लगाई। सवाल तो ये है कि क्या ये लोग गरीबों के बच्चों को जानवर समझते हैं? यदि ऐसा नहीं है तो उनके साथ बार-बार ऐसा बर्ताव क्यों? सरकार क्यों नहीं लेती ऐसे लोगों के खिलाफ संज्ञान? चेचक की बीमारी से ग्रस्त छात्र-छात्राओं का अधीक्षिका करवा रही थीं झाडफ़ूंक करने वाले से उपचार, गंभीर होने पर भेज देती हैं घर, न डॉक्टर और न ही दवाएं सू

बटोरन बाबा का हृदय परिवर्तन

खटर-पटर- निखट्टू हमारे मोहल्ले के बटोरन बाबा के 7 बेटे हैं, अच्छा भला परिवार है। रक्षाबंधन के दिन उनके घर में सन्नाटा पसरा देख मुझे आश्चर्य हुआ। उधर घर के अंदर टीवी पर बार -बार हरियाणा की बेटी साक्षी की सफलता को दिखाया जा रहा था। मोहल्ले की सभी बेटियां अपने -अपने भाइयों को राखी बांध चुकी थीं। बटोरन बाबा बैठे-बैठे कुछ बड़ी गंभीरता से सोच रहे थे। मैंने पूछा कि बाबा क्यों आज इतने गंभीर मुद्रा में बैठे हो? रोज तो बड़ी तेज आवाज में दहाड़-दहाड़ कर बेटों की प्रशंसा के पुल बांधा करते थे? बटोरन बाबा की आंखों में आंसू आ गए। बोले निखट्टू जी मैं बहुत बड़ा गुनहगार हूं। आज मुझे मेरे किए पर पश्चाताप हो रहा है। मेरे सातों बेटे आप लोगों के आशीर्वाद से सरकारी नौकरी में हैं। दहेज भी मैंने कम नहीं लिया। अरे बटोरन है हमारा नाम। जिसने भी मेरे बेटों से रिश्ता जोडऩे की कोशिश की भरपूर कीमत वसूली मैंने मगर अफसोस कि उन सातों की सूनी कलाई देखकर मुझे अपनी करनी पर पश्चाताप हो रहा है। ये कहते -कहते बटोरन बाबा रो पड़े। मैंने उनको ढांढस बंधाया, तो वे जिद कर बैठे- बोले आज के दिन मैं अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहते

राम भरोसे छात्रावास

राज्य के छात्रावासों की दशा दिनोंदिन खराब होती जा रही है। यहां आलम ये है कि इनकी दुर्दशा पर कोई कुछ बोलने तक को तैयार नहीं है। नया मामला सूरजपुर जिले के ओडग़ी ब्लॉक के छात्रावास का है जहां 24 से भी ज्यादा छात्र-छात्राओं को चेचक की बीमारी हो चुकी है। इसके बावजूद भी न तो छात्रावास की साफ-सफाई की जा रही थी और न ही उनका किसी योग्य चिकित्सक से इलाज करवाया जा रहा था। छात्रावास की अधीक्षिका वहीं पास के एक गांव से एक झाडफ़ूंक करवाने वाले से इनका इलाज करवा रही थीं। उन्होंने छात्रावास का दौरा करने पहुंचे दो किसान नेताओं के सामने ये दावा किया कि इस बीमारी का इलाज तो सिर्फ झाडफ़ूंक ही है। ऐसे में डॉॅक्टर्स के पास जाने से इसका कोई भी हल निकलने वाला नहीं है। सवाल तो ये है कि ऐसे लोगों के ज्ञान पर तरस आता है। तो वहीं दूसरी ओर उनको जो कुछ भी शिक्षा दी गई थी उसकी गुणवत्ता पर भी तरस आता है। दुनिया कहां से कहां चली गई मगर ये लोग इतने जिम्मेदार पद पर बैठने के बावजूद भी पुरानी मान्यताओं पर अड़े हुए हैं।  तो वहीं एक दूसरे छात्रावास में तीसरी कक्षा का एक बालक बुखार से तड़प रहा था और उसके अधीक्षक को पता तक नहीं

Front and Last page of Hamari Sarkar of 26th September 16

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गरीब हटाओ अभियान

खटर-पटर निखट्टू- बचपन में एक कार्टून देखा था जिसको उस वक्त के नामी कार्टूनिस्ट रंजित ने बनाया था। दरअसल देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक नारा दिया था, कि गरीबी हटाओ... तो एक गरीब का सवाल था कि आखिर कैसे? उसके बाद जब शाम को गांव में अलाव जला और लोग इक_े हुए तो मैंने वो कार्टून लोगों को दिखाया।  उसी वक्त हमारे पड़ोसी बेंचू कक्का कहा था कि अरे बेटा ये लोग गरीबी नहीं गरीब हटाने की कोशिश में लगे हैं। आप देखना एक दिन ऐसा आएगा कि देश से गरीब को जबरिया हटाया जाएगा। अब करीब-करीब ऐसा ही दिखाई दे रहा है। छत्तीसगढ़ से लेकर पूरे देश में गरीबों के साथ जो अन्याय हो रहा है उसको कोई भी देखने वाला नहीं है। इनको अब न तो शिक्षा मिलेगी और न ही इनके बच्चे बड़े लोग बन पाएंगे। इस देश की सरकार ने जो भी कानून बनाए हैं सब के सब अमीरों और बड़े लोगों के लिए। इस देश में जहां की शिक्षा विश्व की मानक शिक्षा से पचास साल पीछे चल रही है। उसको भी चलाने में सियासत का सहारा लिया जा रहा है। शिक्षा के अधिकार के नाम पर सिर्फ अच्छे लोगों को परेशान किया जा रहा है। अब आप ही बताइए कि किस गरीब के पास एक करोड़ रुपए हैं

दावों और दवाई की तल्ख़्ा ह$कीकत

जिस राज्य में मेडिकल कॉलेज पर मेडिकल कॉलेज खुलते जा रहे हों। जिसको केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री स्वर्ग बता रहे हों। जिस राज्य का मुखिया खुद डॉक्टर हो। जहां करोड़ों का बजट दवाओं के लिए अॅलाट होता हो। जहां बड़ी तादाद में दवाएं कहीं हाइवे के किनारे तो कहीं स्कूल के मैदान में मिलती हों। उस राज्य में किसी गरीब का बेटा दवाओं के अभाव में मर जाए तो इससे शर्मनाक बात और क्या हो सकती है? कोरबा के वनांचल में ऐसी ही घटनाएं सामने आईं जहां दवाओं के अभाव में दो गरीब बच्चों की मौत हो गई। तो वहीं सरकारी अस्पतालों पर ताले लटकते रहे और गरीब अपने बच्चों के इलाज के लिए इधर-उधर भटकते रहे। तो कभी प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर्स के पैरों पर सिर पटकते रहे मगर किसी ने उनकी मजबूरी नहीं सुनी। किसी का भी दिल नहीं पसीज़ा । महंगी दवाएं नहीं खरीद पाने के कारण उस गरीब के बच्चे की मौत हो गई। राज्य में बदहाल होती स्वास्थ्य सेवाओं का इससे शर्मनाक नमूना और क्या हो सकता है? इससे पूर्व सरगुजा के मैनपाट में डायरिया से 250 से भी ज्यादा आदिवासियों की मौत हो गई थी। वहां भी स्वास्थ्य विभाग के लोग तब पहुंचे जब लोग अपने मरे हुए परिजनो

अस्पतालों में दावे मिलते हैं दवाई नहीं

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मलेरिया बुखार से मर गया बोधन सिंह का बाबू -  मर्ज है लाइलाज कह देते, इतनी महंगी दवाएं क्यों लिख दी। जी हां कुछ ऐसा ही हुआ कोरबा के वनांचल ग्राम साखो के बोधन सिंह के बेटे बाबू के साथ। उसको मलेरिया का बुखार था। उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गया मगर वहां न डॉक्टर मिले न दवाई, लिहाजा उसने अपने बच्चे को सृष्टि हॉस्पिटल कोरबा में भर्ती करवाया। तो यहां के डॉक्टर्स ने इतनी महंगी दवाएं लिख दीं जो खरीद पाना उसके वश में नहीं थीं। लिहाजा उसका डेढ़ साल का बेटा चल बसा। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए कम होगी। जिस राज्य का मुख्यमंत्री खुद डॉक्टर हो, वहां किसी गरीब के बेटे की मौत  बिना दवाई के हो जाए तो इससे बड़ी शर्म की बात और क्या हो सकती है? मगर सच्चाई तो यही है कि यहां के अस्पतालों में दावे तो मिलते हैं पर दवाई नहीं मिलती। सवाल उठता है कि आखिर दवाओं के नाम पर जो करोड़ों का बजट आता है वो साल भर में ही कहां चला जाता है?गरीब हर बार ऐसे ही छला जाता है। आखिर कौन खा रहा है करोड़ों की दवाई, कहां गए वे विकास के हवाहवाई दावे कोरबा। क्या है पूरा मामला- जिला मुख्यालय से कर

होश टल जाएंगे देखकर ये हॉस्टल

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कांकेर जिले के कानागांव का हॉस्टल देखकर आपके होश टल जाएंगे। यहां एक बिस्तर पर सुलाए जाते हैं 3-3 बच्चे। जर्जर इमारत में सीलन भरे कमरे और टपकने वाली छत के नीचे ये बच्चे गुजारते हैं रातें। पीने के लिए फ्लाराइड युक्त पेयजल और खाने में दाल के नाम पर सिर्फ पीला पानी। कुछ ऐसी ही है आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित आदिवासी हॉस्टल की रामकहानी। दर्जनों शिकायतों के बाद भी न तो विभाग जाग रहा है और न सुन रहे हैं सरकारी अधिकारी।ऐसे में सवाल तो यही कि क्या ऐसे ही मिल रहा है आदिवासियों के बच्चों को उनकी शिक्षा का अधिकार? आखिर कौन खा रहा है इन गरीबों के हिस्से का खाना? क्यों नहीं सरकार करवाती है ऐसे छात्रावासों का नियमित निरीक्षण? ये तमाम ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब देने में शिक्षा विभाग के अधिकारी बगलें झांकने पर मजबूर हो जाएंगे। पानी में फ्लाराइड और नहीं मिलता गुणवता युक्त खाना, बच्चे खुद ही धोते हैं अपनी-अपनी थाली, करते हैं छात्रावास की सफाई कांकेर । 21 बिस्तरों पर सोते हैं 47 बच्चे- कानागांव के छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाले 47 बच्चों के लिए दो कमरों में 21 बिस्तरों की व्यवस्था की गई है

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