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आरपी. सिंह की दो टूक-

खंभा तो आखिर खंभा होता है साहब... वो तीसरा हो या चौथा.... वो बोलता नहीं बस मूक बना खड़ा रहता है......ठीक वैसे ही जैसे उत्तर प्रदेश में खड़ा है। एक नेता ने अब तो मारे जाने वाले पत्रकारों की बोली भी लगा दी। एक पत्रकार की मौत की कीमत तीस लाख और एक परिजन को नौकरी देकर उपकृत किया जा रहा है। तीन कौड़ी की सियासत ने लोगों को सांसत में डाल कर विरासत हड़पना जारी रखा है। सरकारी खजाने पर जुगाली करने को ये अपना जन्म सिध्द अधिकार समझने लगे हैं। इनको जब तक इनकी जात और औक़ात याद नहीं दिलाई जाएगी कुछ होने से रहा। देश की युवा शक्ति को ये बात समझनी होगी और उनको संगठित होकर ऐसी ताकतों की मुख़ालफ़त करनी होगी। वर्ना हम तो यही कहेंगे कि- खुशी से आग लगाओ कि इस मोहल्ले में, मेरा मकां ही नहीं है तुम्हारा घर भी है।।

मित्रों... मेरी ये तस्वीर मेरे सहयोगी अभिषेक तिवारी ने अपने मोबाइल से खींची है। आप लोग देखकर बताइए कि कैसा लग रहा हूं।

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मित्रों... 9जून -15 के अमन पथ के अंक में मेरी खबर बाईलाइन प्रकाशित हुई ,जिसे आपके लिए सादर प्रस्तुत कर रहा हूं।

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फेल हुई रेल... जनता गो टू हेल

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आरपी सिंह की दो टूक  भारतीय रेल को ठेल रहे मंत्री और संतरी व्यवस्था का तेल निकाल रहे हैं। एक्सप्रेस हो या मेल सारी की सारी गाड़ियां फेल। अपना छिपाकर ऐब आम आदमी की काट रहे हैं जेब। गरीबों के बच्चों का छीनकर निवाला खरीद रहे हैं सेब। नए पन्ने में वही पुरानी कहानी, न बैठने को सीट, न पीने को पानी, समस्या है विकट, नहीं मिल रहे कन्फर्म टिकट। दलाल हो रहे कमा कर लाल, अधिकारी निहाल और आम आदमी हलाल, सुरेश प्रभू बेकार में ठोंक रहे हैं ताल वे ये क्यों नहीं मानते कि इन्हीं लोगों  ने रेल की बिगाड़ी है चाल। हम तो बस इतना ही कहेंगे कि- सच बात मान लीजिए, चेहरे पे धूल है। इल्ज़ाम आइने पे लगाना फुज़ूल है।।

आरपी सिंह की दो टूक

  रायपुर प्रेस क्लब में छानबीन कमेटी बनी है। सुनने के बाद हम भी दौड़े-दौड़े गए कि भइया... कुछ छानने और फिर बीनने को मिल जाए, मगर अफसोस न छानने को मिला और न बीनने को। अलबत्ता जिनको छानना था वो छान चुके हैं और जिनको बीनना है वो बीन रहे हैं। ये चश्मा लगाकर उनको चीन्ह रहे हैं। कड़वी सच्चाई ये है कि पत्रकारिता की पूंछ पकड़कर 5 सौ करोड़ की कमाई कर लेने वालों, जमीन के दलालों,धन्नासेठों के पत्रकार मुनीमों का इनसे कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है। आप छान कर बीन बजाते रहो।