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Showing posts from 2014

दो बातें मन की-

मित्रों..... बूढा हो चुका 2014 लड़खड़ाते कदमों के साथ अपनी सांसों की आखिरी डोर का छोर थामे बढ़ रहा है। उसके जाते ही फिर से नए साल 2015 की किलकारियां गूंजने को तैयार हैं। पुराने साल का मलाल यही रहा कि इसमें हमने बहुत पाया तो कुछ खोया, जिसे याद कर आज अंतर्मन बहुत रोया। पश्चिम बंगाल के लब्धप्रतिष्ठ कवि दादा छविनाथ मिश्र, छत्तीसगढ़ के दादा डॉ. केके झा, वरिष्ठ पत्रकार व बड़े भाई देवेंद्र कर, भइया अमिताभ तिवारी, चाचा बागेश्वर सिंह, सहित बहुत कुछ खोया कितना गिनाऊं मेरे भाई। उन्होंने भी साथ छोड़ दिया जिनके कंधों पर जाने का अरमान था। उल्टे उन्होंने तो हमारे ही कंधों पर सवारी की। बहुत बोझ महसूस हुआ था उस रोज। आज जाते हुए इस बूढ़े साल को देखकर यादों के दर्द ने सांसों को ऐसा सताया कि आंखें बरबस ही बरस पड़ीं। देश को हंसाने वाले कपूत प्रतापगढ़ी का मन रो पड़ा। उस रोज प्रेस क्लब रायपुर के सामने खड़ी देवेंद्र भइया की कार के भीतर इस उम्मीद से झांका था कि शायद कहीं भइया निकल आएं, मगर बाद में पता चला उसे सत्येंद्र भइया और दोनों भतीजे लेकर आए थे। सच बड़ा दर्द हुआ था। लगा जैसे अभी-अभी देवेंद्र भइया निकल कर अपने उसी

हज़ल

बघारते हैं जितना उतना ज्ञान थोड़े है। उठाए हल तो हैं लेकिन किसान थोड़े हैं।। शहर में ढ़ंूढने वालों को ये नहीं मालूम। कौआ जो ले गया वो मेरा कान थोड़े है।। थाली में देखके खुश हैं जो उन्हें होने दो। उसमें जो उतरा है वो असली चांद थोड़े है।। चढ़ाके आस्तीने चीखता जो नुक्कड़ पर। भीड़ ने फूंका जो उसका मकान थोड़े है।। घूंस लेकर ह्लकपूत जीह्व जो कलमबंद किए। लोग समझा करें हमरा बयान थोड़े है।। कपूत प्रतापगढ़ी

मित्रों.... 26 नवंबर 2014 के जनसंदेश हिंदी दैनिक के शब्दरंग में प्रकाशित मेरी गज़ल...जिसे मैं आपलोगों के लिए सादर प्रस्तुत कर रहा हूं। जनसंदेश परिवार को इस सहयोग के लिए हार्दिक आभार....!

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अर्ज किया है कि-

कलम के जख़्म दिखाऊंगा तो डर जाओगे, इसे कुरेदो न बस यूं ही पड़ा रहने दो! कपूत प्रतापगढ़ी

ग़ज़ल

सितमगर गर कहीं मंज़र बदल जाए तो क्या होगा! मेरा सर और तेरा खंज़र बदल जाए तो क्या होगा!! अमीरों कम से कम ताने तो मत दो इन फ़क़ीरों को! अगर सोचो कहीं ये दर बदल जाए तो क्या होगा!! अभी तो तुम चले आए हो इतने तैश में लेकिन! मेरा शीशा तेरा पत्थर बदल जाए तो क्या होगा!! मियाँ इन सलवटों में तुम सुबूतों को छिपाते हो! अगर सोचो कहीं बिस्तर बदल जाए तो क्या होगा!! "कपूत" ये मेरी खुद्दारी और तहरीर की तल्खी! मैं डरता हूँ कहीं तेवर बदल जाए तो क्या होगा!! कपूत प्रतापगढ़ी हास्य कवि और व्यंग्यकार

दो लफ्ज़ दोस्तों से.......

जो लोग पत्रकारों को सत्ता के गलियारों का गायक समझते हैं, शायद पहली बार उनको छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने आईना दिखाया है!इसकी पीड़ा वो अधिकारी भोग रहे होंगे जिनको मधुकर खेर पत्रकारिता सम्मान के लिए अब पत्रकार ढूँढने पड़ रहे हैं! इससे सत्ता सेवकों की समझ में एक बात तो आ जानी चाहिए की पत्रकार मतलब खुद्दार होता है चाटुकार नहीं......शाबास मेरे भाइयों हमें आप पर नाज़ है! इसी लिए मैं अक्सर कहा करता हूँ कि- बन्जारे हैं रिश्तों की तिज़ारत नहीं करते, हम लोग दिखावे की मोहब्बत नहीं करते! चाहत है गर मुझसे तो फिर आ जीत ले हमको, हम लोग कबीलों से बग़ावत नहीं करते!!..... तहेदिल से अपने दोस्तों को दुआएँ!!!!

मित्रों....मैने कल एक ग्राफ़िक बनाने की कोशिश की थी बताइए की कैसा लगा! सुप्रीम कोर्ट के आदेश की दीवाली में धज्जियाँ खूब उड़ाई गईं! यही कहने की कोशिश की है इसमें--!

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दीए को लोग तभी तक देखना पसंद करते हैं, जब तक वो रोशनी देता है! बुझे हुए दीयों को कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है! इसलिए मेरे भाई हमेशा चमकते-दमकते रहो बस यही कामना है!

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मित्रों..मैंने आज अपनी एक बहुत पुरानी फोटो को थोड़ा सा तोड़ -मरोड़ कर आपके सामने पेश किया है!बताइए की कैसी लगी मेरी कलाकारी!

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मित्रों...ये कुछ मेरी पुरानी तस्वीरें हैं देखकर बताइए की कैसा लग रहा हूँ!

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दोस्तों.....3 अक्तूबर 2014 के अमन पथ में प्रकाशित ये स्टोरी पढ़कर प्रतिक्रिया ज़रूर दीजिएगा! मुझे खुशी होगी!

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दोस्तों.....5 अक्तूबर 2014 के अमन पथ में प्रकाशित ये स्टोरी पढ़कर प्रतिक्रिया ज़रूर दीजिएगा! मुझे खुशी होगी!

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दोस्तों, सावधान हो जाइए हुदहुद नामक तूफान छत्तीसगढ़ की ओर आने वाला है! मौसम विज्ञानियों का कहना है कि ये बस्तर में भी कहर बरपाएगा! हुदहुद एक पक्षी का भी नाम है लिहाजा इसी बात को ध्यान में रखकर मैंने एक प्रयास किया है! आप ज़रूर अपनी प्रतिक्रिया दीजिएगा! मेरा उत्साहवर्धन हो जाएगा!

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छत्तीसगढ़ में रेत के प्रेत ने पिछले दस सालों में 51 हज़ार हेक्टेयरखेती की ज़मीन निगल ली! इसी को लेकर मैने एक फोटो बनाई है! आप देखकर बताएँ की कैसी लगी!

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मित्रों.... आज मेरे सहयोगी अभिषेक तिवारी ने मेरी ये तस्वीर खींची है आप लोग बताइए कैसा लग रहा हूँ!

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अरे ये काहे की धर्म संसद......!

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आर.पी. सिंह की दो टूक- छत्तीसगढ़ के कवर्धा में चल रही शंकराचार्य की धर्म संसद से सोमवार 25 अगस्त 2014 को दो सांई भक्तों को भगाया गया! जो वहाँ अपना पक्ष रखने गये थे! यह कहाँ तक उचित है? क्या हमारे शंकराचार्य या फिर संतों में इतना भी साहस और धैर्य नहीं बचा कि वे उन भक्तों की बात सुन सकते? अगर वहाँ किसी का पक्ष नहीं सुना जाता तो फिर कहे की धर्म संसद? सुलगते सवाल- शंकराचार्य और ऐसे तमाम धर्मगुरू जो खुद को हिंदुओं का हिमायती बताते हैं, उन्होंने हिंदुओं को हिंदू बना रहने के लिए क्या किया है? ये कोई नई बात तो नहीं है? फिर अचानक शंकराचार्य को इतना मोह क्यों? क्या सोने चाँदी के सिंहासन पर बैठने वाला संत हो सकता है? बाबा कबीर दास जी कह गये हैं कि- संत न छोड़े संतई कोटिक मिलें असन्त, मलय भुअन्गहि बेधिया शीतलता न तजन्त!

कैसा रहा ये हमारा नया प्रयोग...!

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मित्रों... 11 अगस्त के पेज-12 में लीड खबर में आज तोड़ा नया करने का मान बना था सो कर दिया. अब आपलोग बताएँ कि कैसा रहा ये हमारा नया प्रयोग...!

क्षत्रिय कौन ?

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रक्षति य: स: क्षत्रिय: अर्थात जो रक्षा करता हो वो क्षत्रिय है. शायद इसी लिए रक्षा बंधन की शुरुआत भी हुई रही होगी, मगर वाह रे क्षत्रिय .....! सब के सब राजपूत हो गये? भैया....मैं तो क्षत्रिय हूँ और आख़िरी साँस तक रहूँगा. जितना बन पड़ेगा जिसकी भी संभव हो रक्षा करूँगा. क्योंकि मेरे अपनों से ज़्यादा मेरी रक्षा मेरे उन भाइयों ने की है जिनको मैं दिल से अपना सागा भाई मानता हूँ! मुझे अपने उन तमाम पत्रकार साथियों... राजनेताओं और समाजसेवियों पर भी गर्व है जिनकी बदौलत आर.पी. सिंह आज खड़ा है!

भारतीय साँपों का राजा यानि नागराज

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मित्रों....ये है भारतीय साँपों का राजा यानि नागराज इसे अँग्रेज़ी में किंग कोबरा कहते हैं! और हम भी भारतीय हैं लिहाजा किसी से नहीं डरते....इस नौजवान के साहस को सलाम जिसने इस विषधर को उठा कर एसा कारनामा दिखाया!!

ये फक्कड़पन और अक्खड़पन

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कलम की नोंक दबाकर लिखने की आदत ने नाक तो ऊँची की मगर पता नहीं कितने हमले भी करवाए! इस सफ़र में कितनों ने किनारा किया तो कितनों से मजबूरन किनारा करना पड़ा! इतना सब कुछ होने बहुत पाने और कुछ खोने के बाद भी न हम बदले और न हमारी लेखनी! ये फक्कड़पन और अक्खड़पन और उम्र के साथ हावी होता भुलक्कड़पन क्या-क्या दिखाएगा ऊपरवाला जाने!

भगवान से बड़ी कविता....लिखने वाले आप बहुत याद आ रहे हैं!

 मित्रों.....कोलकाता के हिन्दी के जानकारों के लिए सिर्फ़ दादा कह देने मात्र से जो एक अक्स उभर कर सामने आता था, वो पंडित छविनाथ मिश्र ..... जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी कविता के नाम कर दी! आज सुबह से ही उनकी याद आ रहे है!--- मेरे दोस्त.. मेरे हमदम, तुम्हारी कसम कविता जब किसी के पक्ष में अथवा विपक्ष में अपनी पूरी अस्मिता के साथ खड़ी होती है तो वो भगवान से भी बड़ी होती है!!

लेट के रेंगने वाले देश में वो बुलेट की बात करते हैं! लगता है भारतीय रेल के खेल से वाकिफ़ नहीं हैं! ये उसे भी अगर पैसेंजर न बना दें तो कहना!

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देश की दशा और दिशा सुधारने के लिए ज़रूरी है की चीन के सामरिक बाजार पर हम कब्जा जमाएँ, मगर सवाल यही है की क्या इसी रफ़्तार से? जो अजगर को भी लज्जित कर देती है?

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मुझको मेरा कमाया दे दो

उनको सारी माया दे दो, गैंडे जैसी काया दे दो!  अपने मरे भले ही भूखों,  उनको मित्र पराया दे दो!!  बापू को  वनवास दे दिया, लेकिन चाचा, ताया दे दो!     ठूंठ दास तो हूट हो गये,     वो कहते हैं छाया दे दो!! घून्स घास खाओ "कपूत"तुम, मुझको मेरा कमाया दे दो!

महारानी लक्ष्मी बाई की असली तस्वीर है जिसे आपके लिए खास प्रस्तुत कर रहा हूँ! 160 साल से अधिक पुरानी है ये फोटो!!

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महारानी लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस पर भारत राष्ट्र की ओर से सदर नमन और वंदन.......मित्रों ये महारानी की असली तस्वीर है जिसे आपके लिए खास प्रस्तुत कर रहा हूँ! 160 साल से अधिक पुरानी है ये फोटो!!

पत्रकारों के अपमान और सम्मान पर आर.पी सिंह की दो टूक-

विधान सभा में 39 सीटें जीतने पर पत्रकारों पर पैसे लेने का आरोप लगाने वाला भी कांग्रेसी और लोकसभा में एक सीट जीतने पर पत्रकारों को सम्मानित करने वाला भी कांग्रेसी? कोई मुझ अकिंचन को समझाए कि आख़िर मज़रा क्या है? ये बाँटने, डाँटने, फिर चूमने चाटने और किसी दिल्ली के बड़े नेता के आते ही काटने और अपना मतलब निकालने के लिए उसी पत्रकारिता को घोंटने-घांटने के पीछे का गणित क्या है? अगर पत्रकार चोर हैं तो उन चोरों का नाम बेखौफ़ वो प्रवक्ता क्यों नहीं बताता, उनको कांग्रेस भवन में घुसने पर रोक क्यों नहीं लगाया? आख़िर ग़लत कौन है वो प्रवक्ता या फिर प्रदेश कांग्रेस के वो कद्दावर नेता जिन्होने प्रेस क्लब में पत्रकारों को संम्मानित किया

फेल हो गया यार.....एक 30 साल का पत्रकार......!

दोस्तों आज मैं जिंदगी में पहली बार भिंडी की सब्जी बनाने जा रहा था, तो जैसे ही उसको काटकर धोया सारे कटे टुकड़े आपस में नेताओं की तरह मिल गये! ये देखकर हम तो एकबारगी हिल गये, पीछे से पत्नी की हँसी आई और बोली हे पुराने पत्रकार अब रहने दो......! फेल हो गया यार.....एक 30 साल का पत्रकार......!

जाँच के नाम पर ये नाच आख़िर कब तक?

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36गढ़ के बलोद में 3 साल की बच्ची से बलात्कार के बाद स्वास्थ्या विभाग ने पीडिता के पिता को भूखे पेट 150 किलोमीटर का ना सिर्फ़ चक्कर लगवाया बल्कि खरी-खोटी सुनाने में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी! सबसे बड़ा सवाल तो ये कि जाँच के नाम पर ये नाच आख़िर कब तक?

प्रकृति की कलाकारी

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प्रकृति की कलाकारी क्या-क्या संदेश देती है ज़रा आप भी देखिए......क्या आपको इस कटहल के फल में थी कुछ दिखाई दे रहा है! गौर से देखिए......!

मित्रों ...... आज हमारे वरिष्ठ छाया पत्रकार संतोष साहू ने मेरी कुछ तस्वीरें अपने कैमरे में क़ैद कीं! वो आपके सामने पेश कर रहा हूँ!

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क्या कोई मुझे बताएगा की एसी में कितने ग़रीब यात्रा करते हैं?

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इससे बढ़िया चुटकुला मैंने अपनी जिंदगी में नहीं सुना...! रेलवे द्वारा यात्रियों की होने वाली भीड़ को ध्यान में रखते हुए कुर्ला-पूरी-कुर्ला एक्सप्रेस एवं पुरी-शिर्डी-पुरी एक्सप्रेस में एक-एक प्रथम श्रेणी एसी कोच स्थायी रूप से  लगाने का निर्णय लिया है। क्या कोई मुझे बताएगा की एसी में कितने ग़रीब यात्रा करते हैं?

आर.पी. सिंह की दो टूक-

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सीधा सवाल देश की सरकार से बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ देश में लोगों की जिंदगी से ऐसा खिलवाड़ कर रहे हैं कि उनकी दोनों ओर से चाँदी हो रही है! पहले कीटनाशक बेंच कर लोगों को बीमार करते हैं और फिर दवाई बेंच कर दोनों ओर से कमाई करते हैं! हम भारतीय दो तरफ़ा ठगे जा रहे हैं! सबसे बड़ा सवाल तो ये की फिर वही पेस्टीसाइड वो खुद क्यों प्रयोग नहीं करते? सरकार ऐसी कंपनियों के व्यवसाय पर रोक क्यों नहीं लगाती?

आर.पी. सिंह की दो टूक

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कारपोरेट घरानों के पोषित पत्रकारों से एक सीधा सा सवाल...क्या मजीठिया आयोग की रपट खबर नहीं है? अगर है तो किसने कितने मिनट का समय दिया? एक इलेक्ट्रानिक मीडिया हाउस ने जब थोक में 250 पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखाया तो उसे कितने मिनट का समय दिया गया? क्या ये समाचार नहीं थे? क्या यही मीडिया की पारदर्शिता है अगर हाँ तो फिर नमन है ऐसी गई बीती पत्रकारिता को!

पीलिया की बेहतरीन दवाई

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श्योनक की छाल को 25 ग्राम लेकर मिट्टी के बर्तन में रात को भिगो दें, सुबह उसको खूब मसल कर छानकर रख लें, पहले रोगी को एक मटर के दाने बराबर देशी कपूर की गोली बना कर निगलवा दें! उसके बाद श्योनक की छाल के छाने रस को पीला दें! सिर्फ़ 5 दिन में पीलिया भाग जाएगा! ऐसा आयुर्वेद में उल्लेख मिलता है! श्योनक की छाल आयुर्वेद के समान बेंचने वालों की दुकान पर आसानी से मिल जाएगी!

कपूत की करतूत

शहर पीलिया से मरे, नेता करते ऐश! बीनो के सुर से नहीं, हिलने वाली भैंस!!         हिलने वाली भैंस, करो मत दिल को छोटा!         जब ये माँगें वोट, दबाओ सीधे नोटा!! कह "कपूत" कविराय, चढ़ेगा उल्टा जहर! तंत्र करे खूब काम, होयगा विकसित शहर!!

कपूत की करतूत

जल से जलते लोग तो,निगम ठोंकता ताल! मंत्री ऊँचे मंच से , बजा रहे हैं गाल!!         बजा रहा हैं गाल, पीलिया करता कत्थक!         महापौर मुस्कायं , किए ऊँचा निज मस्तक!! कह "कपूत" कविराय, हो रहा जनता से छल! नल लगते यमराज, उगलते हैं गंदा जल!!
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ह्वील चेयर पर दुल्हन ने लिए दूल्हे से साथ अंबेडकर अस्पताल में फेरे, चलो कम से कम एक पीलिया पीडिता के हाथ भी पीले हो गये! इस अनोखी शादी में डॉक्टर्स और नर्सें बनी बरती और घराती! आप भी इस जोड़े को अपना आशीष दीजिए और नगर निगम को कोसिए!

दोस्तों ..28 जनवरी 2014 की शाम हमारी वायु सेना के बुजुर्ग बाबा बायसन...... नहीं समझे ...? अरे भैया अपना मिग 21 लड़ाकू जहाज़ आज अपने प्लेटफार्म पर आ गया! अब यह इसी निगम के उद्यान में आराम फरमाएगा!

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