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कपूत की करतूत
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जल से जलते लोग तो,निगम ठोंकता ताल! मंत्री ऊँचे मंच से , बजा रहे हैं गाल!! बजा रहा हैं गाल, पीलिया करता कत्थक! महापौर मुस्कायं , किए ऊँचा निज मस्तक!! कह "कपूत" कविराय, हो रहा जनता से छल! नल लगते यमराज, उगलते हैं गंदा जल!!
कटाक्ष- निखट्टू- संतो.... कथा बहुत पुरानी है। एक मुनि के आश्रम में एक चूहा रहा करता था। मुनिश्री के चारों ओर उछल कूद करता था। मुनि भी उसको बहुत प्यार करते थे। इसी कारण वो मुनिश्री के कुछ ज्यादा मुंह लग गया । एक दिन उसको सहमा-सहमा देखकर मुनि ने पूछा बेटा तुमको हमारे आश्रम में क्या कष्ट है जो इतने सहमे हुए रहते हो? चूहे ने कहा बाबा वैसे तो यहां सारा सुख है मगर आपके आश्रम में ये जो बिल्ली है, मुझे देखकर अक्सर गुर्राती रहती है। मुनि ने कहा तो इसका निराकरण क्या हो सकता है? चूहे ने कहा कि महाराज आप मुझे भी बिल्ली बना दें। सुनते ही मुनिश्री ने कहा एवमस्तु तुम बिल्ली बन जाओ। अब वो चूहा बिल्ली बन गया। जो पहले चूं...चूं...चूं...चूं करता था अब म्याऊं-म्याऊं करने लगी। फिर भी वो सहमी -सहमी रहने लगी। एक दिन फिर मुनिश्री ने पूछा क्या हुआ तुम क्यों सहमी रहती हो। बिल्ली ने दुख से कहा बाबा आपके आश्रम में वो जो कुत्ता है वो मुझे बहुत परेशान करता है। आप मुझे कृपा करके कुत्ता बना दीजिए। मुनिश्री ने कहा एवमस्तु कुक्कुरो भव अर्थात कुत्ते हो जाओ। अब वो बिल्ली कुत्ता बन गया। जो म्याऊं -म्याऊं करती थी वो ...
बाबा तुलसीदास जी रामचरित मानस में लिख कर चले गए कि -भांड़, भतीजा, भांजा, भउज, भट्ट भूमिहार, तुलसी छहों भकार से सदा रह्या होशियार। अर्थात मजाकिया, भतीजा, भांचा, भाभी, हरबोल यानि जो राजदरबारों के गायक हुआ करते थे, और बिहार में एक जाति होती है भूमिहार, इन छहों से होशियार रहने की सलाह दे गए बाबा तुलसीदास। ऐसा ही एक मामला सामने आया सूरजपुर के कल्याणपुर में जहां एक 85 साल की महिला की मौत हो गई। उसकी दो बेटियां थीं पति ने अपनी सारी जमीन अपने भांजों के नाम कर दी। खुद अपने भतीजे के पास रहते थे। घटना 5 दिनों पहले की बताई जाती है। जब चाची भी चल बसीं। तो भतीजे ने निश्चय किया कि जब तक उसकी बहनें उसको सड़क के किनारे की 5 डिसमिल जमीन नहीं देंगी वो चाची की चिता को मुखग्रि नहीं देगा। बस फिर क्या था मां की मौत की खबर पाकर बेटियां पहुंची और शुरू हो गया झगड़ा। वो भी हल्का नहीं काफी तगड़ा। इसको सलटाने के लिए पंचों ने पंचायत तक की मगर लड़का टस से मस नहीं हुआ। उसकी तो बस एक ही रट थी 5 डिसमिल जमीन। आखिरकार थक हार कर 48 घंटे बाद बेटियों ने वो जमीन उस लालची भाई को दी, तब जाकर उसने अपनी चाची की चिता को मुख...
टूटी हड्डियां जोड़ने वाली लता रमेश प्रताप सिंह की विशेष रिपोर्ट विधारा एक ऐसी लता है जिसकी उपयोगिता को लेकर अभी भी अनुसंधान होना बाकी है. यह तो पहले ही सामने आ चूका है कि यह घावों को भरने वाली एक नायाब लता है. इसके पत्तों का रस हर प्रकार के घावों को भर देता है. मैंने तकरीबन दस साल पहले एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट लिखी थी . पश्चिमी बंगाल के वर्धमान जिले में गुडाप स्टेशन के पास ही एक आदमीं एक लता बांधकर टूटी हड्डियां जोड़ने का दवा करता है. यहाँ काम उसका पुश्तैनी काम है. इसकी एवज में वह मात्र एक रुपये लेता है. भीड़ भी खूब जुटती है. लोग सैकड़ों किलोमीटर से जा -जा कर लता बंधवाते हैं. बड़ी संख्या में लोगों को फैदा भी होता है. इसके बाद जब हड्डी जुड़ जाती है तो उनके पीर साहब के दरबार में मिट्टी का घोड़ा चढ़ाना होता है. मैंने वहाँ जाकर इसका प्रभाव भी देखा, बात सच निकली. लता का नाम पूंछने पर पहले तो वो आनाकानी करता रहा. मैं दूसरे दिन पहली ट्रेन पकड़ कर जा पहुंचा उससमय वहाँ उसके आदमीं इसी लता की पट्टियां हटा रहे थी ताकि कोई इसको पहिचान न सके. पून्चाने पर उन्हों ने इसका नाम चोतासग्गा...
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