कपूत की करतूत


जल से जलते लोग तो,निगम ठोंकता ताल!
मंत्री ऊँचे मंच से , बजा रहे हैं गाल!!
        बजा रहा हैं गाल, पीलिया करता कत्थक!
        महापौर मुस्कायं , किए ऊँचा निज मस्तक!!
कह "कपूत" कविराय, हो रहा जनता से छल!
नल लगते यमराज, उगलते हैं गंदा जल!!

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