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Showing posts from 2015

छत्तीसगढ़ के केशकाल से लगे ग्राम डिहीपारा के आईटीआई के पास रहने वाले रामेश्वर देवांगन के घर चार टांग वाले चूजे ने जन्म लिया है।

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ये है दुनिया का सबसे छोटा वायरलेस सेंसर

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वैज्ञानिकों ने अब तक का सबसे छोटा वायरलेस टेम्प्रेचर सेंसर बनाने में सफलता हासिल की है। मात्र दो वर्ग मिलीमीटर वाले सेंसर का वजन महज 1.6 मिलीग्राम है। इसे पेंट के साथ दीवार पर लगाया जा सकता है। रेडियो तरंगों पर चलने वाले इस सेंसर को चलाने के लिए न तो तार और न ही बैट्री की जरूरत पड़ेगी। सेंसर रेडियो तरंग से ऊर्जा प्राप्त करेगा।

गंभीर आदिवासी मरीज को किया डिस्चार्ज, अस्पताल परिसर में ही मौत

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लोग डॉक्टर्स को दूसरा भगवान कहते हैं मगर छत्तीसगढ़ के कुछ अमीरपुत्र डॉक्टर्स इस पेशे को कलंकित करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते। शनिवार की शाम वह मेकॉज परिसर में एक आदिवासी युवक काका गनपत (35) जिसे लीवर की गंभीर बीमारी थी उसे अस्पताल से रेफर कर दिया। बूढ़े बाप के पास इतने पैसे नहीं बचे थे कि वो बेटे को कहीं और ले जा पाता। लिहाजा अस्पताल परिसर में ही उस आदिवासी की मौत हो गई। सबसे बड़ा सवाल तो ये कि उसकी मौत का असल दोषी कौन है? और क्या मेकॉज प्रबंधन ऐसे दोषी डॉक्टर की डिग्री पर रोक लगा कर उसे जेल के सीखचों के पीछे भेजना सुनिश्चित करेगा?

बगडोल में तीन हाथी पानी से भरे गड्ढे में गिरकर फंस गए

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 छत्तीसगढ़ के जशपुर के बागीचा तहसील के बगडोल में तीन हाथी पानी से भरे गड्ढे में गिरकर फंस गए। गड्ढे की गहराई ज्‍यादा होने और अपने भारी वजन की वजह से वे बाहर नहीं निकल पाए। आस-पास के लोगों ने जैसे ही हाथियों को गड्ढे में फंसे एक देखा तो इसकी सूचना वन विभाग को दी।

https://www.facebook.com/rameshprataps/videos/214693735208621/

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कांकेर की कोटरी नदी में मिली दुर्लभ बोध मछली

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 जिले के कोड़ेकुर्से इलाके में बहने वाली कोटरी नदी में दुर्लभ बोध मछली मिली है। इस खबर से एक ओर जहां आदिवासी समाज उत्साहित है, वहीं दूसरी ओर जीव वैज्ञानिकों ने भी हर्ष जताया है। आदिवासी इसे देवतुल्य मानते हैं। विलुप्तप्राय इस मछली के नाम पर ही सातधार में बनने वाली परियोजना का नाम बोधघाट परियोजना रखा गया है। न तो इसका शिकार करते और न ही खाते हैं- जैव विविधता की दृष्टि से अबुझमाड़ देश का समृद्ध क्षेत्र है। यहां विविध प्रजाति के पेड़-पौधे, औषधि, वन्य जीव सहित जलीय जीव-जंतु पाए जाते हैं। प्रदूषण और संरक्षण के अभाव में आज कई जीव-जंतु लुप्त होते जा रहे हैं। इसी बीच गत 6 नवंबर को जिले के कोड़ेकुर्से इलाके में बहने वाली कोटरी नदी में दुर्लभ बोध मछली मिली है। इस पर आदिवासी समाज के प्रमुख नेताओं ने हर्ष जताते हुए बताया कि उनका समाज के इसे 12 गोत्र देवतुल्य मानता है। इसलिए इसे न नुकसान पहुंचाते है और न ही खाते हैं। यानी आदिवासी समाज के 12 गोत्रों में बोध मछली का खाना वर्जित है।

मित्रों.... राजधानी रायपुर के कालीबाड़ी में शिवलिंग के आकार का गणेशपूजा पंडाल बनाया गया है, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

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कान के रास्ते कलेज़े में उतरने का फ़न जानते हैं रमन

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आरपी. सिंह   वक्त के पांव अनायास ठहर जाएंगे, गौर से देखोगे कुछ और नज़र आएंगे। प्यार से इनको सुनोगे तो ये रफ्ता-रफ्ता कान के रास्ते कलेजेÞ में उतर जाएंगे।।   जी हां कुछ ऐसा ही नज़ारा रविवार को  राजधानी के चारों ओर देखने को मिला, जब रमन के गोठ को सुनने के लिए जो जिधर पाया उधर ही ट्रांजिस्टर से चिपक गया। इस घटना ने एक बात तो साबित कर ही दिया कि प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह कान के रास्ते कलेज़े में उतरने का हुनर जानते हैं। दूसरा ये कि न जाने कितने दिनों से घर के कोने में पड़े रेडियो सेट्स में एक बार फिर से बैटरी लगाई गई और बाहर निकल आए फिलिप्स और बुश के रेडियो सेट। इन में कुछेक चाइनीज़ सेट भी दिखाई दिए। अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने जिस तरह से प्रदेश की जनता के दिल में उतरने में सफलता हासिल की उसके नि:संदेह दूरगामीं परिणाम होंगे। पूरे प्रदेश में पार्कों से लेकर मुहल्ले की गलियों और गांवों की चौपालों तक में लोगों ने रेडियो पर अपने प्रदेश के मुखिया को ध्यान लगाकर सुना। इससे डॉ. रमन सिंह की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। वे अपने इस संबोधन के दौरान लोगों से पूरी तरह से जुड़ने में का

इनके जज्बे का हमारा सलाम......

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महतारी एक्सप्रेस के चालक मिथलेश और ईएमटी नेतराम ने दर्द से कराहती द्रौपदी को पार कराया नाला- बुधवार को सुबह से कसडोल में भारी बारिश हो रही थी। नाले उफान पर थे। नारायणपुर से कसडोल जाने वाली सड़क पर सेमरिया नाला के ऊपर डेढ़ फीट पानी बह रहा था। नाले के एक किनारे पर गर्भवती द्रोपती को लिए उसके परिजन 102 महतारी एक्सप्रेस के आने का इंतजार कर रहे थे। महतारी एक्सप्रेस दोपहर 1 बजे दूसरे किनारे पर पहुंच गई, लेकिन नाले को पार करना मुश्किल था, एम्बुलेंस को नाले में उतारना जान जोखिम में डालने जैसा था। चालक मिथलेश साहू, ईएमटी नेतराम पटेल ने द्रोपती के परिवारवालों को आवाज लगाई- चिंता मत करो...हम नाला पार कर आ रहे हैं।

इस हिम्मत की दाद दो यारों....

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मित्रों.... ये छत्तीसगढ़ के सामरी विधायक डॉ प्रीतम राम हैं जो राजपुर के ग्रामीणों का इलाज करने के लिए पैदल ही नदी पार कर रहे हैं। यही नहीं उस पहुंच विहीन गांव में जाकर गरीबों का इलाज किया और  अपने पैसे से दवाएं भी दीं।

2 सितंबर को अमन पथ के संपादकीय पेज में प्रकाशित मेरा आलेख

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वृंदावन हॉल में कलम सरकती जाय नामक कार्यक्रम में काव्यपाठ करने का मौका मिला। भाई राजेश जैन राही के संचालन में मैंने भी काव्यपाठ किया।

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वृंदावन हॉल में कलम सरकती जाय नामक कार्यक्रम में काव्यपाठ करने का मौका मिला। भाई राजेश जैन राही के संचालन में मैंने भी काव्यपाठ किया।

अरे...साहब कभी तो थोड़ा काम भी कर लिया करो

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आरपी. सिंह की दो टूक आखिर कहां सुरक्षित है गरीब की बेटी ? सिर्फ समारोहों में बड़ी-बड़ी बातें होती हैं.... फाइलों में आंकड़ों के घोड़े दौड़ाए जाते हैं, पर असल हकीकत सामने आने पर कलेजा मुंह को आ जाता है।  अब जरा इसी मामले को देख लीजिए...मामला जशपुर जिले के पत्ताकेला आदिवासी आश्रम (हॉस्टल) का है। यहां की वॉर्डन का भतीजा इस हॉस्टल में आता रहता है। पिछले हफ्ते उसने एक 9 साल की स्टूडेंट को कमरे में बुलाया और उसके कपड़े उतारकर रेप की कोशिश की। लड़की की आवाज सुनकर गार्ड वहां पहुंचा और उसे बचाया। घटना के बाद डरी हुई स्टूडेंट अपनी दो फ्रेंड्स के साथ घर चली गई और वहां अपने पैरेंट्स को मामले की जानकारी दी।

स्वच्छता अभियान के अंतिम दिन बस्तर ब्लाक मुख्यालय के दो हजार छात्र-छात्राओं के द्वारा भारत के मानचित्र का मानव श्रृंखला बनाया।

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अमन पथ के 21 अगस्त के अंक में प्रकाशित मेरी बाईलाइन खबर

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आरपी. सिंह की दो टूक

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 मीडिया के नाम पर देश में तमाम बड़ी दुकानें चल रही हैं। ये अपनी स्वार्थ सिध्दि के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। देश की सर्वोच्च अदालत के आदेश को सरेआम ठेंगा दिखा सकते हैं। किसी की भी इज्जत को मिट्टी में मिला सकते हैं। यहां अपने स्वार्थ वाले समाचार पूरे दिन दिखाए जाते हैं और जिनसे असल सरोकार नहीं है वे सीधे दबाए जाते हैं। यही कारण है कि समाचार अब खटकते, पत्रकार नेताओं और अधिकारियों को लटकते, महाप्रबंधक उन्हीं पत्रकारों को झटकते, मंत्रियों के आगे मटकते, चपरासियों पर चटकते और विज्ञापन नहीं मिलने पर हाथ पैर पटकते दिखाई देते हैं। सपाट बयानी ये है कि मीडिया अब मड़िया हो गया है, और इसमें जो भी फंसा है वो गले तक धंसा है।

कलम का क़लम होना तय

आरपी. सिंह की दो टूक सत्ता बनीं पत्रकारिता की सौत और उसी की वजह से हुई पत्रकारिता की मौत..... इतने पर भी कुछ लोग गर्दन ऐंठे हैं कुंडली मार कर उसकी लाश पर बैठे हैं। उसकी लाश में भी अवसर तलाश रहे हैं। कहीं खुद फंस रहे हैं  तो कहीं किसी और को फांस रहे हैं। नेता नायक हो गए, कुछ कवि सत्ता के गलियारों के गायक हो गए, कुछ चापलूस पत्रकारिता के लायक हो गए। ऐसे में कलम का क़लम होना तो तय है। न इसकी किसी को चिंता है और न भय है, क्योंकि आज कल हर समस्या का हल तिजोरी  से निकलता है।

आरपी सिंह की दो टूक-

अजीब उलझन है यार...न श्रमिक बन सके और न बुध्दिजीवी... उस पर भी तुर्रा ये कि कलम में बड़ा दम है। सत्ता के सिंहासन पर बैठे लोगों को पत्रकारों का पेट नहीं दिखाई देता। सब लगे हैं अपनी-अपनी तिजोरियां भरने में।

आरपी. सिंह की दो टूक ...

तिजोरी के हैंडल पकड़कर उल्टे लटके कुछ लोग कलम की झुकी हुई कमर पर अनावश्यक चिंता जता रहे हैं। अरे... मुफ्त के मालपुए खाकर उपदेश देना भला किसे अच्छा नहीं लगता?

शुक्रिया डॉक्टर साहब

आर.पी. सिंह- रायपुर। हमारे समाज में चिकित्सकों को दूसरा भगवान कहा जाता है। जब हमें कोई बीमारी घेरती है अथवा जब भी कोई किसी हादसे का शिकार होता है, तो लोग उसे लेकर जिसके पास दौड़ते हैं, वो होता है कोई न कोई अच्छा डॉक्टर। कहते हैं कि एक अच्छा डॉक्टर अपने शालीन व्यवहार से ही मरीज का आधा कष्ट दूर कर देता है। बाकी का काम दवाएं करती हैं।   क्यों  मनाते हैं- हम किसी गंभीर बीमारी या  दुर्घटना से अगर बच जाते हैं तो सबसे पहले अपने भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं, मगर जो डॉक्टर हमें गंभीर बीमारियों के दलदल के निकालता है उसका भी शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए। इसी बात को लेकर 1 जुलाई को पश्चिम बंगाल के नामी चिकित्सक डॉ. विधान चंद्र राय के जन्म और पुण्य तिथि को डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है।  कौन थे डॉ. राय- 1 जुलाई 1882 को पटना में जन्मे डॉ बिधान चन्द्र रॉय कलकत्ता में पले बढे और पढ़े लिखे। कलकत्ता मेडिकल कॉलिज से एमबीबी एस करने के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए 1909 में इंग्लैंड गए, लेकिन वहां उनके आवेदन पत्र को खारिज कर दिया गया । इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार 30 बार

आरपी. सिंह की दो टूक-

खंभा तो आखिर खंभा होता है साहब... वो तीसरा हो या चौथा.... वो बोलता नहीं बस मूक बना खड़ा रहता है......ठीक वैसे ही जैसे उत्तर प्रदेश में खड़ा है। एक नेता ने अब तो मारे जाने वाले पत्रकारों की बोली भी लगा दी। एक पत्रकार की मौत की कीमत तीस लाख और एक परिजन को नौकरी देकर उपकृत किया जा रहा है। तीन कौड़ी की सियासत ने लोगों को सांसत में डाल कर विरासत हड़पना जारी रखा है। सरकारी खजाने पर जुगाली करने को ये अपना जन्म सिध्द अधिकार समझने लगे हैं। इनको जब तक इनकी जात और औक़ात याद नहीं दिलाई जाएगी कुछ होने से रहा। देश की युवा शक्ति को ये बात समझनी होगी और उनको संगठित होकर ऐसी ताकतों की मुख़ालफ़त करनी होगी। वर्ना हम तो यही कहेंगे कि- खुशी से आग लगाओ कि इस मोहल्ले में, मेरा मकां ही नहीं है तुम्हारा घर भी है।।

मित्रों... मेरी ये तस्वीर मेरे सहयोगी अभिषेक तिवारी ने अपने मोबाइल से खींची है। आप लोग देखकर बताइए कि कैसा लग रहा हूं।

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मित्रों... 9जून -15 के अमन पथ के अंक में मेरी खबर बाईलाइन प्रकाशित हुई ,जिसे आपके लिए सादर प्रस्तुत कर रहा हूं।

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फेल हुई रेल... जनता गो टू हेल

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आरपी सिंह की दो टूक  भारतीय रेल को ठेल रहे मंत्री और संतरी व्यवस्था का तेल निकाल रहे हैं। एक्सप्रेस हो या मेल सारी की सारी गाड़ियां फेल। अपना छिपाकर ऐब आम आदमी की काट रहे हैं जेब। गरीबों के बच्चों का छीनकर निवाला खरीद रहे हैं सेब। नए पन्ने में वही पुरानी कहानी, न बैठने को सीट, न पीने को पानी, समस्या है विकट, नहीं मिल रहे कन्फर्म टिकट। दलाल हो रहे कमा कर लाल, अधिकारी निहाल और आम आदमी हलाल, सुरेश प्रभू बेकार में ठोंक रहे हैं ताल वे ये क्यों नहीं मानते कि इन्हीं लोगों  ने रेल की बिगाड़ी है चाल। हम तो बस इतना ही कहेंगे कि- सच बात मान लीजिए, चेहरे पे धूल है। इल्ज़ाम आइने पे लगाना फुज़ूल है।।

आरपी सिंह की दो टूक

  रायपुर प्रेस क्लब में छानबीन कमेटी बनी है। सुनने के बाद हम भी दौड़े-दौड़े गए कि भइया... कुछ छानने और फिर बीनने को मिल जाए, मगर अफसोस न छानने को मिला और न बीनने को। अलबत्ता जिनको छानना था वो छान चुके हैं और जिनको बीनना है वो बीन रहे हैं। ये चश्मा लगाकर उनको चीन्ह रहे हैं। कड़वी सच्चाई ये है कि पत्रकारिता की पूंछ पकड़कर 5 सौ करोड़ की कमाई कर लेने वालों, जमीन के दलालों,धन्नासेठों के पत्रकार मुनीमों का इनसे कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है। आप छान कर बीन बजाते रहो।

वाह रे बिलासपुर के रेलवे अधिकारी.....

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पहले उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के परिजनों को रिजर्वेशन को लेकर परेशान किया,और अबकी बार तो प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों तक को संकट में डाल दिया। इन जांबाज अधिकारियों ने नरेंद्र मोदी की बुलेट प्रूफ कारों को भी रोकने से गुरेज़ नहीं किया लिहाजा प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों को परिवर्तित किया जा सकता है। इतने के बाद अब जांच के नाम पर नाच शुरू है और हो रही है ता-ता-थैया।

ऐसे मानवाधिकार पर धिक्कार

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नक्सलियों ने जबरन लगाई जनअदालत में जिस निर्दोष सदाराम की पीटने के बाद गला रेतकर हत्या की। उसके बाद कोई भी मानवाधिकारवादी कुछ नहीं बोला, मगर जैसे ही पुलिस बल के जवान बीस नक्सलियों को मार गिराते हैं तो इन निकम्मों के पेट में दर्द पैदा हो जाता है। चले आते हैं थोबड़ा उठाए....वास्तव में खेत, खलिहार, किसान, जवान और इंसान के सबसे बड़े दुश्मन हैं। ऐसे गद्दारों पर सरकार को विधि सम्मत कार्रवाई तत्काल करनी चाहिए।

हवा में उड़ा सरकार का दावा

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जी हां छत्तीसगढ़ शासन के अधिकारियों का दावा शुक्रवार को आए तूफान में उड़ गया। इसके शिकार बने 57 लोग घायल बताए जाते हैं। मुख्यमंत्री ने 53 के घायल होने की पुष्टि भी कर दी है। दावा था कि ये डोम हवा में नहीं उड़ सकता। डोम आज तूफान में उड़ गया। इसके चलते ही प्रधानमंत्री का कार्यक्रम भी स्थगित हो गया। फोटो में आप खुद ही देख लीजिए।

अरे वाह रे.... मेकाहारा के दूसरे भगवान...!

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 प्रदेश के सबसे बड़े डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के दूसरे भगवान... लेने पर तुले हैं एक नवजात की जान। देखकर कहना पड़ रहा है कि वाह... रे दूसरे भगवान.... खुद के लिए एसी और नवजात को छोड़ दिया गैलरी में? मामला 29 अप्रैल का है जब एक नवजात को उसकी नानी के साथ गैलरी में सुला दिया गया ये कहकर कि वार्ड में बेड खाली नहीं है। आप ही बताइए कि ये कहां तक जायज है? एक नवजात की गुहार...प्लीज़  जरा इधर भी देख लीजिए एक बार -

अंबेडकर अस्पताल के दूसरे भगवान... लेने पर तुले हैं एक नवजात की जान

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प्रदेश के सबसे बड़े डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के दूसरे भगवान... लेने पर तुले हैं एक नवजात की जान। देखकर कहना पड़ रहा है कि वाह... रे दूसरे भगवान.... खुद के लिए एसी और नवजात को छोड़ दिया गैलरी में?

सीताफल के बीज से कैंसर व डायबिटीज पर कंट्रोल संभव

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बिलासपुर (छत्‍तीसगढ़)। बिलासपुर विश्वविद्यालय यूटीडी के माइक्रोबायोलॉजी और बायोइनफॉरमेटिक्स विभाग के प्रोफसरों ने कैंसर व डायबिटीज को कंट्रोल करने का तरीका ढूंढ लिया है। उनके शोध के मुताबिक सीताफल का बीज रोगों से लड़ने की शक्ति यानी इम्युन सिस्टम को बढ़ाता है। इसके सेवन से कैंसर व डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है। इस शोध के परिणाम को पेटेंन कराने का प्रयास चल रहा है। इसके बाद दवा तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। माइक्रोबायलॉजी एवं बायोइनफॉरमेटिक्स विभाग के एचओडी और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. डीएसवीजीके कलाधर ने बताया कि छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, ओडिसा और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों के फल और पौधों पर काफी समय से शोध चल रहा था। इसमें पता चला कि सीताफल के बीज से इम्युन सिस्टम को तेजी से बढ़ाया जा सकता है। यह कैंसर और डायबिटीज को कंट्रोल करने में काफी कारगर होगा। वहीं, सीताफल का खाया जाने वाला भाग उतना कारगर नहीं है। बीज में कई गुण सीताफल के बीज मेकई गुण हैं। इसमें प्राकृतिक एंटीअक्सीडेंट विटामिन सी बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। विटामिन सी में शरीर के इम्युन सिस्टम

मित्रों... रामनवमी को मेरे अजीज दोस्त...रायपुर के अशोका सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. ए. सुरेश कुमार और डॉ. रत्ना अग्रवाल तथा डॉ. संजय एन. पाटिल और डॉ. पीएसआर मूर्ति की टीम ने उत्तर मध्य भारत में पहली बार एक महिला के अंडाणुओं में से कोशिका द्रव्य निकाल कर दूसरे स्वस्थ अंडाणु में स्थानांतरित करने की तकनीक विकासित की। पूरी टीम को हार्दिक बधाई। डॉ. ए . सुरेश कुमार ने छत्तीसगढ़ को ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर मध्य भारत की जनता को अपनी सफलता समर्पित की है। इससे उन महिलाओं को लाभ मिलेगा जिनकी उम्र तो ज्यादा हो गई मगर वे मां बनने से वंचित हैं।

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मित्रों... नवरंग काव्य मंच द्वारा मंजर आम के आए कार्यक्रम का आयोजन वृंदावन हाल में किया गया। इसमें मुझे भी भाई राजेश जैन राही ने आमंत्रित किया था। जहां मैंने भी लंबे अर्से बाद काव्यपाठ किया।

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समझ में आए तो मजे ले लेना-

व्यंग्य- जनता के पैसों की जुगाली करने वाले किसी को गाली दें शोभा नहीं देता। हद हो गई अलाली करने वाले लोग किसी को नहीं करने दे रहे हैं हमाली, बजवाकर आम आदमी से ताली किए जा रहे हैं खजाना खाली, लील गए सड़कें और नाली, जाल में भी नहीं फंसते ये जाली। इनकी आस्तीनो में पलने वाले खटमलों में से जिसको भी छू दो फट जाता है और निकलने लगती है बेनामी संपत्ति। इस पर भी सबसे बड़ा क्लेश कि बांटते हैं उपदेश। वोटों के याचक अब बनना चाहते हैं कथावाचक। ऐसे संकट काल और चाल के अकाल में अपने भाल को सुरक्षित बचाए रखने के लिए निहायत जरूरी है कि संतों जागत नींद न कीजै। जो सोए वो खोए और सौ साल तक रोए, काटेंगे वही जो हैं बोए। फिर समझ में नहीं आएगा कि किसको दबाएं और किसे टोएंंं.... ओए...ओए....ओए...ओए। बाकी अगली बार तब तक के लिए जय...जयकार। निखट्टू

छंद

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छंद माता शारदे जो वीणा हमको उधार मिले, जितने बेतार- तार-तार करि डारेंगे। गर कुछ बच गया उसे काठ में मिला के, अपनी लिए भी एक सितार करि डारेंगे।। हाथ गर शीश पर मेरे जो रहा तो माई, हारे हैं ‘‘कपूत’’ न तो फिर कभी हारेंगे। तार दिया हमको तो ठीक ठाक सब रहें, वर्ना जिसे पाएंगे उसी को तारि डारेंगे।। कपूत प्रतापगढ़ी

मित्रों...ये तस्वीरें मेरे अनुज नीरज सिंह की शादी की हैं। जिसकों आप सभी के लिए शेयर कर रहा हूं। अपना आशीष जरूर दीजिएगा मेरे भाई और बहू को.... हार्दिक आभार

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