आरपी. सिंह की दो टूक


 मीडिया के नाम पर देश में तमाम बड़ी दुकानें चल रही हैं। ये अपनी स्वार्थ सिध्दि के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। देश की सर्वोच्च अदालत के आदेश को सरेआम ठेंगा दिखा सकते हैं। किसी की भी इज्जत को मिट्टी में मिला सकते हैं। यहां अपने स्वार्थ वाले समाचार पूरे दिन दिखाए जाते हैं और जिनसे असल सरोकार नहीं है वे सीधे दबाए जाते हैं। यही कारण है कि समाचार अब खटकते, पत्रकार नेताओं और अधिकारियों को लटकते, महाप्रबंधक उन्हीं पत्रकारों को झटकते, मंत्रियों के आगे मटकते, चपरासियों पर चटकते और विज्ञापन नहीं मिलने पर हाथ पैर पटकते दिखाई देते हैं। सपाट बयानी ये है कि मीडिया अब मड़िया हो गया है, और इसमें जो भी फंसा है वो गले तक धंसा है।

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव