पुनर्मूषको भव

कटाक्ष-

निखट्टू-
संतो.... कथा बहुत पुरानी है। एक मुनि के आश्रम में एक चूहा रहा करता था। मुनिश्री के चारों ओर उछल कूद करता था। मुनि भी उसको बहुत प्यार करते थे। इसी कारण वो मुनिश्री के कुछ ज्यादा मुंह लग गया । एक दिन उसको सहमा-सहमा देखकर मुनि ने पूछा बेटा तुमको हमारे आश्रम में क्या कष्ट है जो इतने सहमे हुए रहते हो? चूहे ने कहा बाबा वैसे तो यहां सारा सुख है मगर आपके आश्रम में ये जो बिल्ली है, मुझे देखकर अक्सर गुर्राती रहती है। मुनि ने कहा तो इसका निराकरण क्या हो सकता है? चूहे ने कहा कि महाराज आप मुझे भी बिल्ली बना दें। सुनते ही मुनिश्री ने कहा एवमस्तु तुम बिल्ली बन जाओ। अब वो चूहा बिल्ली बन गया। जो पहले चूं...चूं...चूं...चूं करता था अब म्याऊं-म्याऊं करने लगी। फिर भी वो सहमी -सहमी रहने लगी। एक दिन फिर मुनिश्री ने पूछा क्या हुआ तुम क्यों सहमी रहती हो। बिल्ली ने दुख से कहा बाबा आपके आश्रम में वो जो कुत्ता है वो मुझे  बहुत परेशान करता है। आप मुझे कृपा करके कुत्ता बना दीजिए। मुनिश्री ने कहा एवमस्तु कुक्कुरो भव अर्थात कुत्ते हो जाओ। अब वो बिल्ली कुत्ता बन गया। जो म्याऊं -म्याऊं करती थी वो भौं-भौं करने लगा। फिर कुत्ता भी सहमा-सहमा दिखा तो मुनि ने पूछा अब क्या कष्ट है। कुत्ते ने कहा महाराज आपके आश्रम का बाघ मुझे देखकर हर वक्त दांत पैना करता रहता है कि कब पाए और खाएं। मुनि ने कहा तो... कुत्ता बोला मुझे बाघ बना दीजिए। मुनि ने कहा एवमस्तु..व्याघ्र: भव अर्थात बाघ हो जाओ। अब तो कुत्ते के दिन फिर गए वो दहाडऩे लगा। और एक दिन तो हद ही हो गई जब वो मुनिश्री को अकेला पाकर खाने की फिरा$क में लग गया। जब मुनिश्री को इसका पता चला तो उन्होंने तत्काल उसको श्राप दिया...पुनर्मूषको भव...अर्थात फिर से चूहा बन जाओ। तो बाघ तुरंत ही चूहा बन गया और चूं...चूं करने लगा। ऐसे ही देश की जनता भी है जो आने वाले चुनावों में इन व्याघ्र बने नेताओं को इनकी असलियत बताएगी। क्यों समझ गए न सर.... तो अब मैं भी निकलता हूं अपने घर तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय..जय।

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