नेताजी की गरीबी रेखा

कटाक्ष-

निखट्टू
 क्रिकेट प्रतियोगिता का उद्घाटन करने पहुंचे राज्य के एक मंत्री ने प्रदेश की राजनीति पर जमकर तर्कों का फुटॉस मारा, तो वहां मौजूद विपक्षियों के समर्थकों के विकेट पंडाल में गिरने लगे। एक -एक कर तमाम विरोधियों ने घर का रास्ता लिया। मंत्रीजी की सियासी बॉल ने वहां मौजूद उनके विरोधी दल के नेता का हाल बिगाड़ दिया। विरोधी नेता के तमाम तर्क मंत्रीजी की एक ही गुगली में बोल्ड हो गए, मुस्कराते हुए उन्होंने अपने सियासी प्रतिद्वंदी पर तंज़ कसा हुजूर आप ओल्ड हो गए। कहते हैं न कि अति सर्वत्र वर्जयेत.... तो यहीं गल्ती हो गई। गरीबी रेखा पर बोलते हुए मंत्री जी की  जुबान राजनीति की पिच पर टप्पा खाकर फिल्मी दुनिया में खो गई। बोले इस राज्य में गरीबी की रेखा को तो मैंने कभी नहीं देखा। हां एक रेखा है जो बॉलीवुड की तमाम फिल्मों में आती है। किसी में गरीबी तो किसी में अमीरी का किरदार निभाती है। उसका पड़ोसी भी हमारा करीबी है। तो कैसे हम मान लें कि देश में गरीबी है? यहां तो हर कोई गांवों में 27 रुपए चार आना और शहरों में 32 रुपए कमाता है। तो वो भला गरीबों की श्रेणी कैसे आता है? हमारी सरकार के राज में जनता की हालत है टनाटन.... हर कोई छान रहा है दारू और उड़ा रहा है मटन। बिना काम के गरीबी की बात करते हो? 35 किलो चावल के लिए गरीबी रेखा वाले कार्ड के लिए मरते हो। बार-बार मीडिया इसी को लेकर पूछ रही सवाल है, अरे भाई कमाल है....हमारी संसद के कैंटीन में तो बहुत सस्ता चावल और दाल है।  अब बिना काम के आप अपनी मु_ियां भींच रहे हैं। हम तो सत्तर साल से गरीबी की ऐसी ही रेखा खींच रहे हैं। ये सुनते -सुनते दुख गया हमारा सर लिहाजा अब हम निकल लेते हैं घर... तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।
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