पखांजूर में गौशाला से 160 मवेशी गायब


कांकेर। जिले के कर्रामाड़ की कामधेनु गौशाला में भूख से  250 की मौत के बाद अभी जांच के नाम पर नाच जारी है। तो वहीं पखांजुर की पीव्ही-25 गौ सेवा केंद्र से 160 मवेशी गायब बताए जाते हैं। ध्यान देने वाली बात है कि इस गौ सेवा केंद्र के संचालक भी पीयूष घोष बताए जाते हैं। जिनकी देखरेख में कर्रामाड़ की गौशाला में इतना बड़ा खिलवाड़ हुआ है। दुर्भाग्य की बात है कि मामले पर संज्ञान लेने वाले अधिकारियों ने आंख-कान बंद कर रखा है और पशु तस्कर आराम से अपना काम कर रहे हैं। मामले को लेकर न तो पशु पालन मंत्री कुछ करना चाह रहे हैं और न ही पशु पालन विभाग।
क्या है पूरा मामला
कुछ दिनों पूर्व हुई गणना में पखांजुर की पीव्ही-25 गौ सेवा केंद्र में कुल 2 सौ मवेशी थे। अचानक इनमें से 160 मवेशी गायब हो गए, अब बचे 40। इस मामले की पड़ताल में सामने आया कि यहां से रात के अंधेरे में गोवंश के गायब होने की पुरानी परंपरा है। तो वहीं गौ सेवा केंद्र के संचालक पीयूष घोष का कहना है कि गायों को जरूरतमंदों में  बांट दिया गया। जब उनसे मामले का रिकार्ड मांगा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि क्या प्रदेश का पशुपालन विभाग ऐसे ही गायों की सेवा कर रहा है?
भूख से मरने का भी सिलसिला जारी
प्रदेश में गायों के भूख से मरने का सिललिस थमने का नाम नहीं ले रहा है। दूर की तो छोड़ दें रायपुर की कांजी हाउसेज में गायों को जिस ढंग से रखा जा रहा है उसको भी किसी भी दशा मेें जायज नहीं ठहराया जा सकता। प्रदेश का पशुपालन विभाग और उसके अधिकारी लगातार कागजी आंकड़ों के घोड़े दौड़ाकर अपनी तनख्वाह बना रहे हैं। इस मामले को देखने का वक्त न तो जिले के पशु पालन अधिकारी, कलेक्टर या फिर प्रदेश के पशुपालन मंत्री किसी के पास भी नहीं है।
मामले को रफादफा करने में लगा प्रशासन
इलाके के जानकार लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस जिले के पशुपालन विभाग के तमाम अधिकारी और कर्मचारी इस मामले को दबाने की फिरा$क में लगे हैं। यही कारण है कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भी इसको दबाया जा रहा है।
पशु पालन विभाग खेल रहा आंकड़ों का खेल
हमारी सरकार ने पहले ही समाचार में भूख से मरी गायों की तादाद 250 बताई थी। तो वहीं पशु पालन विभाग के मंत्री ने इनकी तादाद महज 15 बताई थी। इससे ये बात आसानी से समझ में आ जाती है कि गोवंश को लेकर सरकार की असल मंशा क्या है? कुल मिला कर विभाग और उसके अधिकारी आंकड़ों का खेल-खेल रहे हैं। इनके इन्हीं कारनामों के कारण सारी व्यवस्थाएं हाशिए पर चली गई हैं।

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव