बाबा का ढाबा
-निखट्टू
आज सुबह जैसे ही घर से दफ्तर जाने के लिए निकला तो देखा कि सड़क के किनारे एक गरीब सा दिखने वाला आदमी एक छोटे से टाट के टुकड़े पर बैठा है। उसके इर्दगिर्द आठ दस लोग अपनी-अपनी दाहिने हाथ की हथेलियां फैलाए बैठे हैं। तो कुछ महिलाएं अपनी बाईं हथेली बाबा के हाथ में दे रखी है। बाबा एक विवाहिता की हथेली देखने में मशगूल थे। मैं भी रुक गया, सोचा देख लें कि आखिर हो क्या रहा है? बगल खड़े एक आदमी से पूछा कि बाबा क्या कर रहे हैं, तो उसने मुझे ऐसे घूर कर देखा जैसे मैं मंगल ग्रह से आया हूं। मैंने पूछा भाई साहब आपको मेरी बात खराब लगी क्या? उसने कहा नहीं ....मगर किसी विद्वान के बारे में सोच कर बोला करो, उम्र हो रही है आपकी। इनको नहीं जानते ये बाबा बहुत पहुंचे हुए हैं। तब तक बगल खड़ा एक छोटा सा बच्चा बोल पड़ा हां दादा ये नया रायपुर तक पहुंचे हुए हैं। अब महानदी भवन इन्होंने देखा है या नहीं? मुझे हंसी छूट गई लिहाजा जिन भाई साहब से मैंने सवाल किया था उनको ये बात नागवर गुजर गई। वे फिर मुझे उपदेश देने आ धमके.... अजीब बात है आप हंस रहे हैं? ये कोई ऐसे-वैसे बाबा नहीं हैं। इनको धन का लालच तो बिल्कुल नहीं है। वो इतना कह ही रहे थे कि बाबा ने बगल बैठी एक नव विवाहिता की पायल उसके पति के उपचार के नाम पर उतरवा ली। मैंने उस महिला को बुलाकर पूछा तो उसने सिसकते-सिसकते बताया कि बाबा ने उसके पति की किसी सड़क दुर्घटना में मौत की भविष्यवाणी की है। उसके साथ ये अघटन न घटे इसके लिए उस नवविवाहिता का पायल रखवा लिया है। बाबा का कहना है कि वो इसी से पूजन करेंगे और वो अनहोनी टल जाएगी। मैंने वहां मौजूद लोगों से पूछा क्या भगवान आजकल छुट्टी पर गए हैं और इनको दुनिया की सारी घटनाओं और दुर्घटनाओं का चार्ज पकड़ा दिया है? सुनकर उस महिला की जान में जान आई। उस महिला को मैंने कहा बेटी पहले तो तुम अपनी पायल लेकर पांवों में पहन लो। ऐसे बाबाओं के कहने पर दुनिया नहीं चलती। तुम्हारे पति को कुछ नहीं होगा विश्वास रखो। इसके लिए किसी भगवान को जिसको तुम मानती हो उससे प्रार्थना करो न कि किसी ऐसे बाबा से जो अपनी रोटी जुगाडऩे के लिए दूसरों को फंसाता फिरे। ऐसे पहुंचे हुए होते तो यहां फटे टाट पर नहीं कहीं ठाट से बैठे होते। अंधविश्वास के चक्कर में मत फंसो आप लोग।
ऐसे ही एक और बाबा हैं जो हर किसी को चाउर देने का दावा कर रहे हैं। अब हर किसी को वो चाउर मिलेगा ऐसा नहीं है। गरीबों के नाम पर ये चाउर अमीरों को दिया जा रहा है। ये बाबा उस बाबा से ज्यादा पहुंचे हुए हैं, तभी तो बिना काम किए ही दिल्ली से ईनाम झटक लाते हैं? इन बाबा का ढाबा भी चलता है कहीं और जहां बैठकर ये करते हैं समस्याओं पर गौर। इनके कारनामे देखकर अच्छे -अच्छे पकड़ लेते हैं अपना सर... तो फिर अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर...कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।
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