बार-बार लीक नहीं है ठीक
संपादकीय-
वायु सेना के लिए खरीदे जाने वाले मल्टीरोल फाइटर प्लेन्स की फाइल दिल्ली की सड़क पर पाए जाने के बाद, एक बार फिर भारत की सुरक्षा में सेंध लगी है। इस बार फ्रांस के सहयोग से बन रही छह स्कॉर्पिन पनडुब्बियों की महत्वपूर्ण जानकारी फ्रांस से ही लीक हुई। ये जानकारी आस्ट्रेलिया के हाथ लग गई है। व्यापक रूप से अपने पनडुब्बियों के गोपनीय डेटा लीक होने के कारण फ्रेंच डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर डीसीएनएस बुरी तरह से घिर गया है। इस लीक के कारण इंडिया, चिली और मलयेशिया के लिए बेचैनी बढ़ सकती है। ऑस्ट्रेलियन न्यूजपेपर ने बुधवार को इसका खुलासा किया है। 22,400 पेज के इस खुलासे में ऑस्ट्रेलियन न्यूजपेपर का कहना है कि लड़ाकू क्षमता वाली स्कॉर्पिन-क्लास के सबमरीन्स का डिजाइन इंडियन नेवी के लिए किया गया था। इसके कई पार्ट का इस्तेमाल चिली और मलयेशिया भी करते रहे हैं। ब्राजील को भी 2018 में ये जहाज मिलने वाले थे। इसका फायदा पाकिस्तान और चीन को भी मिल सकता है। चीन की पनडुब्बियों के सहारे हमारी सीमाओं से होकर गुजरना भी आमबात रही है। चीन हमेशा से जमीन से लेकर समुद्र तक में भारत को घेरने की फिरा$क में रहता है। तो वहीं अरुणाचल में ब्रम्होस को तैनात देखकर चीन का बिदकना भी स्वभाविक है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि चीन के पास इसके जोड़ की कोई मिसाइल नहीं है। तो वहीं उसके तमाम शहर भी इसकी जद में आ गए हैं। सबमरीन्स की जरूरत भी हमको इसी कारण पड़ी की हमारी सीमाओं में चीनी सबमरीन्स की घुसपैठ आए दिन होती रहती है और इनको इसकी भनक तक नहीं लगती। अभी पिछले साल की ही घटना है कि एक चीनी सबमरीन हमारी सीमा से होकर पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर जा पहुंची। इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब वहां उसके जवानों का पाकिस्तानी सेना के लोगों ने इस्त$कबाल करना शुरू कर दिया। वैसे भी हमारी तमाम गुप्त जानकारियां समय-समय पर लीक होती रही हैं। इससे निपटने की सेनाओं की आदत पड़ चुकी है। हलांकि ये जानकारी तो फ्रांस से ही लीक हुई बताई जाती है। ऐसे में भारतीय नौसेना को देखना होगा कि कहीं कोई भेदिया कहीं उनके ही तो घर में आकर नहीं बैठा है? यदि ऐसा हुआ तो उसको तत्काल गिरफ्तार कर उस पर वैधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए। तो वहीं इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि बार-बार का लीक देश की सेनाओं के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होगा।
Comments