पढ़ते हैं बच्चे तबेले में कौन पड़े झमेले में


गरियाबंद। सुराज की सरकार के लोक लुभावने दावों की असलियत ये है कि गरियाबंद के धवंईभर्री गांव में जानवरों के तबेले में छह साल से प्राथमिक स्कूल चलाया जा रहा है। गरीबों के बच्चों को मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। स्कूल प्रशासन विद्यालय में 18 तो वहीं शिक्षा सचिव 40 छात्रों के शिक्षा ग्रहण करने की बात करते हैं। तो वहीं कलेक्टर भी जांच करवाने का रटारटाया बहाना बताकर निकल गईं। गरियाबंद के ही शिक्षा विभाग के संसदीय सचिव गोवर्धन सिंह मांझी के पास इन सब बातों के लिए वक्त नहीं है। यानि यहां पढ़ते हैं बच्चे तबेले में, कौन पड़े झमेले में?
क्या है पूरा मामला

ये है गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड की गोरगांव पंचायत के धंवईभर्री गांव का नवीन प्राथमिक स्कूल।  शासन ने राजीव गांधी शिक्षा मिशन योजना के तहत यहां 2011 में नया प्राथमिक स्कूल शुरू करने के निर्देश जारी किए मगर भवन बनाना भूल गया।  बच्चे ग्रामीणों द्वारा अपने जानवरों के लिए बनाए गए तबेले में पढऩे पर मजबूर हैं।  सबसे ताज्जुब की बात तो ये है कि धंवईभर्री के 18 बच्चे तबेले में बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैंं और शिक्षा विभाग को इसकी जानकारी तक नहींं है।  ब्लॉक अधिकारियों का कहना है कि भवन के लिए राशि स्वीकृत तो हुई थी, किसको जारी हुई, जारी हुई भी या नहीं, इसकी खबर उन्हें नहीं है।
क्या है पूरा मामला
ये है गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड की गोरगांव पंचायत के धंवईभर्री गांव का नवीन प्राथमिक स्कूल।  शासन ने राजीव गांधी शिक्षा मिशन योजना के तहत यहां 2011 में नया प्राथमिक स्कूल शुरू करने के निर्देश जारी किए मगर भवन बनाना भूल गया।  बच्चे ग्रामीणों द्वारा अपने जानवरों के लिए बनाए गए तबेले में पढऩे पर मजबूर हैं।  सबसे ताज्जुब की बात तो ये है कि धंवईभर्री के 18 बच्चे तबेले में बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैंं और शिक्षा विभाग को इसकी जानकारी तक नहींं है।  ब्लॉक अधिकारियों का कहना है कि भवन के लिए राशि स्वीकृत तो हुई थी, किसको जारी हुई, जारी हुई भी या नहीं, इसकी खबर उन्हें नहीं है। कुछ दिन पहले जिला शिक्षा अधिकारी का पद संभालने वाले एमएल सोनवानी ने मामले का पता करवाने का रटारटाया जवाब देकर अपना पल्ला झाड़ लिया।  धंवईभर्री में जिस तरह का मामला सामने आया है, उससे सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन और जिला प्रशासन के कामकाज पर सवाल उठना लाजमी है।
हमें इस मामले की जानकारी मिली है। हम अभी मामले का परीक्षण कर रहे हैं। जांच पूरी हो जाने के बाद इस पर कार्रवाई की जाएगी।
    - श्रुति सिंह, कलेक्टर गरियाबंद।
संसदीय सचिव ने बनाई दूरी
संसदीय सचिव गोवर्धन सिंह मांझी से जब इस बाबत जानकारी लेने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। जब कि वे इसी गरियाबंद जिले के रहने वाले हैं। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि शिक्षा विभाग का संसदीय सचिव जिस जिले का रहने वाला है वहां भी शिक्षा का ये हाल? आलम ये है कि प्रशासन और मौके की ह$कीकत  दोनों में जमीन आसमान का फर्क दिखाई दे रहा है। आंकड़े भी परस्पर विरोधी हैं। ऐसे में जनता तो यही सवाल करेगी कि आखिर कौन सच बोल रहा है?
मैं अभी पता करवाकर आपको
बताता हूं।
थोड़ी देर बाद.......
मैंने अभी-अभी पता किया है, ये स्कूल अस्थाई भवन में चलाया जा रहा है। इसमें शौचालय भी है। इसको तबेला नहीं कहा जा सकता है। इसमें 40 बच्चे पढ़ते हैं। विद्यालय में दो अध्यापक इनको पढ़ाते हैं।
- विकासशील, सचिव
शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन


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