कर्रामाड़ गौशाला पर सरकार ने जड़ा ताला



  कांकेर। भूख से मरी 250 से ज्यादा गायों की हत्या का दंश झेल रही कर्रामाड़ गौशाला पर राज्य सरकार ने जड़वा दिया ताला। इस समाचार को हमारी सरकार ने सबसे पहले उठाया था। घटना के चार दिनों के बाद जागे पशुपालन मंत्री ने  दिया था बयान। उसके बाद तो इस घटना को लेकर पूरे देश में प्रदेश की भाजपा सरकार की जमकर बदनामी हुई। अब इतने बड़े पाप के बाद सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों ने कर्रामाड़ गांव की कामधेनु ग्रामीण विकास संस्थान ने इसको बंद करने का निर्णय लिया। इसके बाद यहां बची 202 गायों को बालोद, धमतरी, कोंडागांव, गुरुर, डौंडी की गौशालाओं में भेज दिया गया है। सवाल तो यही उठता है कि क्या इस बहाने प्रदेश सरकार आगे की कार्रवाई से बचना चाहती है? पशुपालन मंत्री की वो गर्जना कहां गई जब उन्होंने कहा था कि हम जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे। क्यों नहीं जनता को बताया गया कि अब तक इस मामले में कौन-कौन सी कड़ी कार्रवाई की गई है?
डॉक्टर को किया निलंबित
राज्य की विपक्षी पार्टी कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी) ने मवेशियों की मौत के लिए सरकार को आड़े हाथ लिया। जिसके बाद आनन-फानन में छत्तीसगढ़ सरकार के पशुधन विकास मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के निर्देश पर दुर्गूकोंदल पशु चिकित्सालय के प्रभारी तथा सहायक सर्जन डॉक्टर के.पी राय को निलंबित कर दिया गया था। सरकार की दलील थी कि जांच में पाए गए रिपोर्ट के आधार पर डॉ.राय के खिलाफ कार्रवाई की गई।
क्या है इसका कारण
दरअसल गौ-सेवा केंद्र में एक साथ इतनी गायों के मौत के बाद देशभर में सरकार की बदनामी हो रही थी। इसके बाद अपनी साख बचाने के लिए हरकत में आयी प्रदेश सरकारा था। इस संबंध में पशुधन विकास मंत्रालय ने आदेश जारी करते हुए कहा कि 3 से 13 अगस्त तक गौशाला में 22 पशुओं की आकस्मिक मौत हुई थी। जो कि गौशाला प्रभारी की घोर लापरवाही को प्रतीत होती है।
गौशाला संचालकों पर               कब होगी कार्रवाई -
शासन-प्रशासन ने गायों की मौत के लिए जिम्मेदार बताए जा रहे गौशाला के संचालकों पर कोई कार्रवाई नहीं की है। ग्रामीणों का आरोप है कि शासन-प्रशासन गायों की देखरेख में लापरवाही बरतने और चारा -पानी न देकर भूखों मारने वाले संचालकों को संरक्षण दे रहीं है।
गांववालों ने बताया कि गायों की मौत के मुद्दे पर हंगामा बढ़ता देख सरकार ने जल्दबाजी में पशु चिकित्सक डॉ.के.पी राय को निलंबित कर दिया है। चारे की कमी के चलते गायों ने भूख से तड़पकर दम तोड़ दिया। लेकिन गौशाला के संचालकों पर अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। गायों को दूसरे गौ-सेवा केंद्रों में भेज दिए जाने के बाद कामधेनु गौशाला में सन्नाटा पसरा है।
कब आएगी जांच समिति की रिपोर्ट -
इस मुद्दे को लेकर जागी सरकार ने तत्काल एक समिति गठित कर दी। इसका फैसला कब आएगा ये किसी को भी नहीं मालूम है। तो वहीं मामले का खुलासा होते ही पूरे राज्य में हड़कंप मच गया। तो वहीं इसके पीछे हो रहे भयंकर भ्रष्टाचार का भी मामला सामने आया। लोगों की समझ में ये बात भी पूरी तरह आ गई कि यहां गौसेवा के नाम पर किस तरह सरकारी पैसों की बंदरबांट का खेल जारी है।
मामले को दबाने में लगा      सरकारी अमला-
इस घटना से प्रदेश की भाजपा सरकार की जो किरकिरी हो रही थी। उससे बचने के लिए ये निर्णय लिया गया।
केंद्र सरकार की नीति पर चौंके प्रदेश के लोग
एक ओर जहां प्रदेश में इतनी बड़ी तादाद में गायें भूख से मर जाती हैं। तो वहीं उनकी मौत के जिम्मेदार पशु पालन मंत्री को प्रदेश की कोर कमेटी का सदस्य बना दिया जाता है। ऐसे में प्रदेश की 2.55 करोड़ जनता ये जानना चाहती है कि राज्य में इतनी बड़ी तादाद में गायों को भूखा मारने वाले मंत्री का कद आखिरकार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कैसे बढ़ाया? क्या उनको इस मामले की जानकारी नहीं थी?

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