भूख से मरी गायें किसको बताएं

कटाक्ष-

निखट्टू-
बिहार के मुख्यमंत्री ने पशुओं के चारे में घोटाला किया और बेचारे बन गए। देश के चुटकुल्लेबाज कवियों ने उनकी इतनी हंसी उड़ाई कि हंसते-हंसते लोगों के पेट में बल पड़ गए। तो वहीं राज्य के गौरक्षक मुख्यमंत्री के राज्य में ढाई सौ गायें भूख से तड़प-तड़प कर मर गईं, और एक क्षत्रिय मुख्यमंत्री अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ इस महापाप को पचाने में लगा रहा। कहते हैं कि गो हत्या महापाप होता है। इसके लिए लोगों को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के धोपाप में जाकर स्नान करना होता है तभी इसके पाप से वो मुक्ति पाता है। गाय की ये हाय इनको भारी पडऩे वाली है इसमें तो कोई दो राय नहीं है। कहावत है कि पाप कभी अपने बाप को नहीं छोड़ता तो भला इनकी क्या औ$कात है। दुनिया को गौरक्षा का मंत्र देने वालों के राज्य में ही गायों की ये दुर्दशा? एक क्षत्रिय थे सूर्यवंश के महाराज दिलीप जिन्होंने संतान के लिए गोसेवा की थी। उनकी गोसेवा की आज भी लोग चर्चा करते हैं। तो एक क्षत्रिय और हैं जिनके राज में गायें भूखी मर गईं और जिम्मेदार मौज करते रहे। एक नेता ने तो यहां तक तंज कसा कि कहां हैं राज्य के मुखिया जो गायों की रक्षा तक नहीं कर सके?
जानकार तो ये भी कह रहे हैं कि जैसे गायें पैर पटक-पटक कर मरी हैं । उनका महापाप सरकार को संकट में जरूर डालेगा।  धर्म को धंधा बनाकर अपनी सियासी दुकान चलाने वालों का भंडाफोडऩे की बात तो देश के प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं। ऐसे में ये भी देखने वाली बात होगी कि इन जिम्मेदारों पर प्रधानमंत्री क्या कार्रवाई करते हैं। इतनी बड़ी घटना के बाद इनके चेहरे पर न तो शर्म दिखाई देती है न डर... तो अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर....कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।
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