सांसत में सरकार और थोक में घोषणाएं





 कांकेर के कर्रामाड़ की गौशाला में पिछले एक महीने में  भूख से मरी 250 से ज्यादा गायों की मौत को लेकर अब सरकार सकते में आ गई है। हमारी सरकार ने मुद्दे को प्राथमिकता के साथ उठाया था। हमारी खबर का असर हुआ कि सरकार पर चौतरफा दबाव पडऩे लगा। एक ओर कांकेर की जनता जहां उबल पड़ी। लोग सड़कों पर उतर आए और मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगने लगे और उनका पुतला दहन करने लगे तो वहीं इससे सहमें कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने थोक में घोषणाएं करनी शुरू कर दिया। सवाल तो ये है कि आखिर जब गायें भूख से पैर पटक-पटक कर मर रही थीं तो उस वक्त भाजपा सरकार क्या कर रही थी?

ये कहीं भूख से मरी गायों को बीमार बताने की कवायद तो नहीं
कौन-कौन से आदेश जारी-

इतनी ज्यादा गायों के भूख से मरने की खबर से सुर्खियों में आए कर्रामाड़ की जनता के उबलते आक्रोश को देखते ही प्रशासन सकते में आ गया। राज्य के पशुपालन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने तत्काल जांच का आदेश जारी किया। तो  वहीं पशु चिकित्सक को निलंबित कर दिया गया। जांच समिति गठित कर दी गई। इसमें शल्यज्ञ डॉक्टर आर.के डहरिया को सचिव बनाया गया है। इसके बाद इलाज का जिम्मा कामधेनु विश्वविद्यालय के चिकित्सकों को सौंपा गया है।  पंजीयक गौसेवा आयोग को परिपत्र जारी कर जांच करने को कहा गया है। तो वहीं डॉ. व्हीं. एस अवस्थी और डॉ. एस.के. दीवान को वहां के जानवरों के इलाज का जिम्मा सौंपा गया है। इसके अलावा उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं कांकेर को वहां के बचे पशुओं के रख-रखाव के आदेश जारी किए गए हैं।
कांकेर-
कर्रामाड़ में कार्रवाई की आड़ में खिलवाड़: मंडावी-
  भूख से मरी गायों के मामले में प्रशासन अब कार्रवाई की आड़ में खिलवाड़ करने जा रहा है। ये आशंका भानुप्रताप पुर के विधायक मनोज सिंह मंडावी ने जाहिर की है। उन्होंने बताया कि पशु चिकित्सक को निलंबित करके शासन अगले पशु डॉक्टर पर ये दबाव बनाएगा कि भूख से मरी गायों को बीमार बताओ, ताकि सारे भ्रष्टाचारी इससे बच जाएं। तो वहीं कांकेर विधायक शंकर धु्रवा ने कहा कि गायों की रक्षा का दावा करने वाली भाजपा पर ही गौहत्या का महापाप लगा है।
कांकेर।
डॉक्टर के.पी. रॉय निलंबित-
कांकेर के कर्रामाड़ की कामधेनु गौशाला में भूख-बीमारी से मरी 250 गायों के मामले में कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के आदेश के बाद वहां के पशु चिकित्सक डॉ. के.पी. राय को निलंबित कर दिया गया। इसको लेकर वहां के लोगों में और भी तनाव का वातावरण निर्मित हो गया है। तो वहीं पशु चिकित्सक संघ भी अपने चिकित्सक के बचाव में उतर आया है। संघ के कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर से मुलाकात कर मांग की है कि तत्काल इस निलंबन को वापस लिया जाए। यदि ऐसा नहीं होता तो पूरे जिले के पशु चिकित्सक हड़ताल पर चले जाएंगे।

धर्म के नाम पर धंधा कर रही है भाजपा: मंडावी
भानुप्रतापपुर विधायक मनोज सिंह मंडावी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी खुद को गायों का सबसे बड़ा रक्षक बताते नहीं थकती है। तो वहीं उसी के शासनकाल में इतनी बड़ी संख्या में गायों की भूख से हुई मौत सवालिया निशान लगाती है। सरकार जो घोषणाएं आज कर रही है वही पहले भी तो कर सकती थी?
कहां गईं 70भैंसें-
श्री मंडावी ने बताया कि वहां के ग्रामीणों ने बताया कि इस गौशाला में 75 भैंसें थीं। इस वक्त वहां महज 5 भैंसें ही शेष बची हैं। ऐसे में सवाल तो ये भी उठता है कि आखिर कहां गईं 70 भैंसें? इसका जवाब न तो गौशाला प्रबंधन के पास है और न ही जिम्मेदार अधिकारियों के।
रात को होती थी जानवरों की तस्करी-
ग्रामीणों ने दबी जुबान से बताया कि यहां रात के अंधेरे में पशु तस्करों का रैकेट भी सक्रिय था। ये लोग गाडिय़ों में लादकर यहां से पशुओं को बाहर ले जाया करते थे। श्री मंडावी ने बताया कि हो सकता है कि इन लोगों ने भी बड़ी तादाद में गोवंश की यहां से हेराफेरी की हो?
ऐसे में सीधी से बात है कि गोरक्षक होने का दावा करने वाली सरकार पर गोवध का महापाप लगा है। ऐसे में देखना ये होगा कि अब ये अपने ऊपर लगे आरोपों पर क्या सफाई देते हैं?
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