गुरूजी कुएं में गिर चुके हैं

कटाक्ष-

निखट्टू-

अंग्रेजी के एक मास्टर साहब ने गांव के ही एक गरीब लड़के को अंग्रेजी पढ़ाने के लिए ट्यूशन कर लिया। बच्चे के माता-पिता गरीब थे लिहाजा उन्होंने एक छोटी सी रकम मास्टर साहब की फीस के लिए निर्धारित कर दी। बच्चे ने उनको अपना गुरू मान लिया, पर वो तो पूरे गुरूघंटाल निकले। अंगे्रजी तो सिखा नहीं सके अलबत्ता उसको दारू पीना सिखा दिया। गांव से चार किलोमीटर दूर बाजार से उसी के हाथों दारू मंगवाते और शाम को पढ़ाने के बहाने अपने छप्पर में बैठकर दोनों जाम से जाम टकराते थे। एक रात मास्टर साहब अपने शिष्य के साथ बाजार गए थे। दोनों ने उस रोज वहीं ठेके पर ही जमकर पी लिया और गांव की ओर रवाना हुए। जैसे ही खेतों से होकर गुजरने लगे तो उनके अंदर का शिक्षक जाग गया। उन्होंने बच्चे को फ्यूचर परफेक्ट टेन्स पढ़ाना शुरू किया। उन्होंने अपने चेले को बताया कि ऐसे वाक्यों के अंत में चुका है, चुके हैं , चुकी है आदि आते हैं। इतना कहना था कि मास्टर साहब अंधेरे में एक सपाट कुएं में जा गिरे। झम्म की आवाज हुई तो चेला पीछे हट गया। उसकी समझ में आ गया कि गुरूजी कुएं में गिर गए। बचाओ....बचाओ....बचाओ मास्टर साहब चिल्लाए तो चेला कुएं के ऊपर से बोला... गुरू जी आप कुएं में गिर चुके हैं। प्रजेंट परफेक्ट टेंस है। इसके बाद मास्टर साहब ने उसको कहा कि मेरे घर जाकर ये सूचना दे दे। वो लड़का भोर पांच बजे मास्टर साहब के घर जाकर उनके पिता जी को बताया कि बाबा... मास्टर साहब कुएं में गिर चुके हैं। प्रजेंट परफेक्ट टेंस है या नहीं। उन्होंने पूछा किस कुएं में गिरे हैं ? तो वो बता तक नहीं सका। सारे कुएं खोजते -खोजते उस कुएं को तलाशा गया जिसमें मास्टर साहब गिरे थे। उनको निकाला गया। ऐसे ही कुछ गुरूघंटाल छत्तीसगढ़ में भी शिक्षा को भी कुएं में ढकेलने में लगे हैं। ये भी यहां के बच्चों को प्रजेंट परफेक्ट टेंस पढ़ा रहे हैं। तो समझ गए न सर.... अब हम भी निकल लेते हैं घर... तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।

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