बीमार स्वास्थ्य सेवाओं का हाल




सरकार लगातार अपने स्वास्थ्य विभाग को लेकर निशाने पर रही है। आलम ये है कि यहां की सरकारी व्यवस्थाएं इतनी लचर हो चुकी हैं कि देखने वाले को तरस आता है। प्रदेश के सबसे बड़े अंबेडकर अस्पताल रायपुर से लेकर प्रदेश के दूसरे जिला अस्पतालों तक की एक जैसी हालत है। यहां डॉक्टर्स वेतन तो सरकारी लेते हैं, मगर काम अपने-अपने नर्सिंग होम्स में करते हैं। अंबेडकर अस्पताल की एक महिला अधिष्ठाता भी अपने ही घर में मरीज देखती हैं। मजेदार बात इस बात को हर कोई जानता है मगर कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। कारण ये है कि उनके वो भी छत्तीसगढ़ शासन में आलाअफसर हंै। इसको लेकर कुछ समय पूर्व विवाद भी हुआ था। जब एक सचिव अंबेडकर के दौरे पर गए थे और तमाम डॉक्टर्स को जमकर खरीखोटी सुनाई मगर मैडम की बात आते ही साहब का गुस्सा का$फूर हो गया। चुपचाप सर झुकाया और मंत्रालय निकल गए। थोक में लोगों को मौत के मुंह में झोंक देने वाली घटनाएं भी यहां के भ्रष्ट प्रशासन को नहीं झकझोर पातीं।  कितने लोगों की आंखें इन सरकारी डॉक्टर्स ने फोड़ डाली। कितनी ही महिलाओं की बच्चेदानी निकाल ली गई। तो वहीं नसबंदी कांड में तमाम महिलाओं की मौत हो गई। इसका दोष कभी किसी दवाई पर तो कभी कहीं और लगाकर डॉक्टर्स आराम से बचते आ रहे हैं। जिनको मरना है वो मरते जा रहे हैं। अब कोई दवाई ये चिल्लाकर तो नहीं कहेगी कि वो निर्दोष है उसको जबरन फंसाया जा रहा है। प्राइवेट प्रैक्टिश करने के पीछे लूट की खुली छूट होना माना जा रहा है। प्राइवेट नर्सिंग होम्स यहां जिंदा तो जिंदा हैं मुर्दे से भी पैसे वसूल रहे हैं। चिकित्सा व्यवस्था के नाम पर पूरी तरह भ्रष्टाचार का खेल जमकर खेला जा रहा है। ऐसा ही मामला कांकेर का कमलदेव अस्पताल में सामने आया है। जहां वेतन लेने के लिए तो 18 डॉक्टर्स हैं मगर मरीजों की सेवा के नाम पर एक भी डॉक्टर वहां मौजूद नहीं मिलता। तो 30-30 सालों से डटे ऐसे डॉक्टर्स को लेकर सरकार भी चुप्पी साधे बैठी है। इन पर कभी कोई कार्रवाई नहीं होती। सरकार ने एक अदद अंबेडकर अस्पताल में बायोमीट्रिक अटेंडेंस मशीन लगाकर बाकी के अस्पतालों में बही खाता ही रखवा दिया गया है। सरकार को चाहिए कि सभी अस्पतालों में न सिर्फ सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं बल्कि बायोमीट्रिक अटेंडेंस मशीन को भी लगाया जाए। इससे डॉक्टर्स के आने और जाने के समय का पता चलेगा। तो वहीं सीसीटीवी कैमरे ये गवाही देंगे कि डॉक्टर साहब ने क्या-क्या काम किए। बिना काम किए वेतन लेने वाले डॉक्टर्स को निकाल कर तत्काल बाहर कर देना चाहिए। तभी स्वास्थ्य विभाग में सुधार की कुछ उम्मीद की जा सकती है, नहीं तो फिर इसका भगवान ही मालिक है।

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव