शिक्षा के अधिकार का उड़ता मजाक


कांकेर। शिक्षा के अधिकार की बात करने वाले सुराज की सरकार के अफसर जिस नक्सली इलाके में जाने से जाते हैं डर। वहीं बांस की चटाई से बनी हुई दीवारों और टीन की छत वाले मकानों में पढ़ते हैं बच्चे। कई स्थानों पर स्कूलों के भवन भी हैं कच्चे। न कुर्सी न टाट जमीन पर बैठकर होती है पढ़ाई। हल्की बरसात में भी स्कूल की छत टपकती है। कुल मिलाकर यहां शिक्षा के अधिकार का सरेआम मजाक उड़ाया जा रहा है। सवाल तो यही है कि आखिर इन स्कूलों की दशा और दिशा कब सुधरेगी?

नक्सली इलाक़े में बदहाल पोटा केबिन स्कूल
क्या है पोटा केबिन
पोटा केबिन यहां की चलती भाषा में कच्चे मकान या फिर बांस की चटाई से बने मकानों  को कहते हैं। इन मकानों की छत भी टीन की बनी होती है।
कैसे हैं हालात
पोटा केबिन की छत से बारिश के दिनों में पानी टपता है। जिसके चलते बच्चों को परेशानी होती है। लगभग 140 छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए कुर्सी-टेबल की व्यवस्था नहीं की गई है। इसके कारण बच्चों को जमीन में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। स्कूल संचालित करने के पहले बच्चों के शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया और न ही स्कूल में बिजली की व्यवस्था की गई। जिला प्रशासन के लापरवाही की पराकाष्ठा देखिए स्कूल में बच्चों के पीने के लिए साफ पानी की व्यवस्था तक नहीं की गई है।
दीवारों पर दीमक, नहीं है चपरासी
पोटा केबिन कई जगहों से उखड़ गया है और दीवारों पर दीमक लग गई है। स्कूल में शिक्षकों के तीन पद खाली है। रिक्त पदों को भरने के लिए शिक्षा विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। स्कूल में चपरासी नहीं होने के कारण भवन की साफ-सफाई बच्चों और शिक्षकों को करनी पड़ रही है। विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और संस्कृत विषय पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
मरम्मत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
अभिभावकों ने कलेक्टर जनदर्शन में स्कूल की मरम्मत कराने की मांग की थी। प्रशासन ने एक ठेकेदार को मरम्मत के लिए भेजा, लेकिन मरम्मत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर दी गई। आदिवासी बाहुल्य नक्सल प्रभावित इलाकों में शिक्षा गुणवत्ता के सुधार के लिए करोड़ों रुपए शासन फंड जारी करती है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस फंड का किस तरह पलीता लगाते है नागरबेड़ा स्थित पोटा केबिन का स्कूल एक छोटा सा उदाहरण मात्र है।
मैं अधिकारियों को भेज कर अभी देखवाता हूं कि ऐसा कैसे हो रहा है। इसके साथ ही साथ वहां जिस किसी भी चीज की कमी होगी उसको पूरा किया जाएगा।
-विकासशील
सचिव शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन








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