अल्प भोजन का रहस्य





संस्कृति में एक हास्योक्ति है कि दूसरे का अन्न मिलने पर प्राणों पर दया मत करो। दूसरे का अन्न दुर्लभ है मगर प्राण तो जन्म-जन्मांतर तक मिलते ही रहेंगे। तो वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने इस भूख से मुक्ति पा ली है। भारत हमेशा से ही विश्व गुरू रहा है। आज भी यहां प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। प्रदेश के सरगुजा जिले के बरदिया गांव की रहने वाली पिली बाई पिछले 18 सालों से सिर्फ एक कप चाय पर जिंदा है। तो वहीं उड़ीसा में एक बच्ची पिछले कई सालों से सिर्फ एक चॉकलेट पर जिंदा है तो इन सबसे ज्यादा हैं मालवा के एक व्यक्ति जिन्होंने पिछले 60 सालों से कुछ खाया तक नहीं। उन्होंने ही बताया था कि हमारे वेदों में एक सूक्ति है कि  जिह्वा कूपे क्षुत्पिपासा निवृति: अर्थात जिह्वा के मूल में ही भूख और प्यास से मुक्ति का रहस्य छिपा है। हालांकि हमारी सेनाओं के विशेषज्ञ इस बात को लेकर तमाम तरह के परीक्षण करवा रहे हैं। सेना के लोग भी ये जानना चाहते हैं कि क्या कोई व्यक्ति बिना खाए पिए इतने वक्त तक सक्रिय रह सकता है? थोड़ा खाने  की बात तो समझ में आती है, मगर बिना खाए लंबे समय तक सक्रिय और स्वस्थ कैसे रह सकता है। ये कुछ ऐसे चमत्कार हैं जिन पर विश्वास करना पड़ता है। पिली बाई भी इससे अछूती नहीं है। देश  और दुनिया में ऐसे तमाम लोग हैं जो कम खाकर भी आज जिंदा हैं।
ऐसे मामलों को लेकर वैज्ञानिकों का कुतूहल भी उचित है। वे इस बात को जानना चाहते हैं कि आखिर कैसे कोई व्यक्ति ऐसा कर सकता है। अभी इसी बात को लेकर सेना के लोग अनुसंधान कर रहे हैं। इसको भविष्य की कमांडोज ट्रेनिंग से जोड़कर देखा जा रहा है। अगर सब कुछ ठीकठाक रहा तो हम भविष्य में ऐसे कमांडोज तैयार कर पाने में भी सक्षम होंगे जो बिना खाए-पिये लड़ाई के मैदान में लंबे समय तक दुश्मनों से लोहा ले सकेंगे।

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