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Showing posts from 2011

टूटी हड्डियां जोड़ने वाली लता

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टूटी हड्डियां जोड़ने वाली लता रमेश प्रताप सिंह की विशेष रिपोर्ट विधारा एक ऐसी लता है जिसकी उपयोगिता को लेकर अभी भी अनुसंधान होना बाकी है. यह तो पहले ही सामने आ चूका है कि यह घावों को भरने वाली एक नायाब लता है. इसके पत्तों का रस हर प्रकार के घावों को भर देता है. मैंने तकरीबन दस साल पहले एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट लिखी थी . पश्चिमी बंगाल के वर्धमान जिले में गुडाप स्टेशन के पास ही एक आदमीं एक लता बांधकर टूटी हड्डियां जोड़ने का दवा करता है. यहाँ काम उसका पुश्तैनी काम है. इसकी एवज में वह मात्र एक रुपये लेता है. भीड़ भी खूब जुटती है. लोग सैकड़ों किलोमीटर से जा -जा कर लता बंधवाते हैं. बड़ी संख्या में लोगों को फैदा भी होता है. इसके बाद जब हड्डी जुड़ जाती है तो उनके पीर साहब के दरबार में मिट्टी का घोड़ा चढ़ाना होता है.  मैंने वहाँ जाकर इसका प्रभाव भी देखा, बात सच निकली. लता का नाम पूंछने पर पहले तो वो आनाकानी करता रहा. मैं दूसरे दिन पहली ट्रेन पकड़ कर जा पहुंचा उससमय वहाँ उसके आदमीं इसी लता की पट्टियां हटा रहे थी ताकि कोई इसको पहिचान न सके. पून्चाने पर उन्हों ने इसका नाम चोतासग्गा बता
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ब्रेस्ट इम्प्लांट करावानेवालों को कैंसर का खतरा ! रमेश प्रताप सिंह- अगर आपने ब्रेस्ट इम्प्लांट करवाया हो तो ये खबर जरूर पढ़ें - फ्रांस में ३० हजार महिलाओं के सिर पर कैंसर का खतरा मंडरा रहा है. ये वो महिलायें हैं जिन्हों ने ब्रेस्ट इम्प्लांट करवाया है. पोली इम्प्लांट प्रोस्थेसिस  नामक सिलिकॉन  का इस्तेमाल इसमें किया जाता है. जांच कर्ताओं ने पाया कि इसकी गुणवत्ता खराब थी . बात यहीं तक होती तो ठीक थी मगर इस दौरान जिस तरल पदार्थ को लगा कर ऑपरेशन किया गया था उसकी भी गुणवत्ता खराब थी. जिससे उन महिलाओं के शरीर में जलन की शिकायत पाई गयी . जांच कर्ताओं को अभी तक ८ महिलाओं में कैंसर होने की पुष्टि हो चुकी है. वहीं इसका उत्पादन करनेवाले कंपनी का सी ई ओ फरार है. यह बात विशेष चिंता जनक है कि इस पीआइपी का दुनिया के ६५ देशों को निर्यात किया जाता है. अब भागवान से प्रार्थना कीजिये कि भारत उन ६५ देशों में शामिल न हो . जब कि इसकी संभावनाएं काफी कम हैं.   कंपनी इसको निकलवाने का खर्च भी उठा रही है , मगर फ्रांस में. इस लिए माताओं व बहनों से निवेदन है कि जिन्हों ने ब्रेस्ट इम्प्लांट करवाया ह
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गाँव गए और मोबाइल की बैटरी डाउन तो इसको जरूर पढ़ें ... रमेश प्रताप सिंह पीपल की पत्तियों से चारग करें मोबाइल बैटरी जी हाँ अगर आप किसे ऐसे गनाव में चले गए जहां बिजली की सुविधा नहीं है और आपके मोबाइल कि बैटरी डाउन हो गई तो............ क्या करेंगे आप? आ गया न पसीना ! चलो हम बताते हैं कि आपको क्या करना है.......... अगर वहाँ आपको कोई पीपल का पेड़ दिख जाये जिसमें नई पत्तियां निकल रही हों तो उसकी मात्र दो पत्तियां लेकर मोबाईल बैटरी को मोबाईल से निकाल कर पत्तियों का डंठल उसके उसी जगह पर लगा दें जहां उसकी पिन लगती है. इसके बाद बस थोड़ी ही देर में आपके मोबाइल की बैटरी चारग हो जायेगी. मगर ध्यान रहे बटरी हिलानी नहीं चाहिए. क्यों है न चमत्कार ! तो देर किस बात कि हो जाइये तैयार !!!!!!!! पीपल में ऐसे हिन्दू देवी देवताओं का वास नहीं होता. इसके औषधीय गुणों को हम बाद में आपको बताएं गे .
भजन भारती अब तो हँसना हुआ हराम सीताराम राधेश्याम, लेलो मनमोहन का नाम ,सीताराम राधेश्याम !!   लोकपाल पर लीपापोती ,संसद में हंगामा,    बनी जान पर है जनता की ,मौज उड़ाते मामा !!         चमचे झुक के करें सलाम , सीताराम राधेश्याम!!     अन्ना के अनशन पर अकड़ी नेताओं के गर्दन,     पुलिस खोजती मौका कैसे करदें उनका मर्दन !!                  इनको ख़ास लग रहे आम , सीताराम राधेश्याम!! गाँव- गाँव में गोटी बाजों की चलाती है गुगली, नमक लगाओ जब चुनाव में कट जाय इनके उंगली!                     डालो आंख में इनकी बाम , सीताराम राधेश्याम!! नाम धर्म का लेके खेवें ये सत्ता की नैया , कुर्सी पर चढाते "कपूत जी" भूले राम रमैया !      लागे इन पर पूर्णविराम सीताराम राधेश्याम!!   कपूत प्रतापगढ़ी हास्य कवि

HD Widescreen Wallpaper.: Tupolev TU 160 Blackjack : Wallpaper

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आधार- जैसे ही तीनों कर्मचारी अन्दर गए बहार भीड़ का ऐसा रेला आना शुरू हुआ लगा कि यहाँ कोई सुपरहिट फिल्म की टिकेट खिड़की खुल गयी हो !आदमी के ऊपर आदमीं चढाने लगा.किसे के कन्धों पर कोई भी चढ़ा  जा रहा है. ऐसे में चीख पुकार मचनी स्वाभाविक थी. लिहाजा लोग चीखे भी मगर उनकी वहाँ सुननेवाला कोई नहीं था. मैं अपने चार पहिये के स्कूटर पर बैठा -बैठा सिर्फ देखा  ही सकता था. क्योंकि जब वहाँ अच्छे -अच्छों को पसीने छूट रहे हों तो मेरे जैसा आदमीं क्या कर सकता था ? लोगों को चीखता हुआ देखकर जो पीड़ा हुए उसको तो वही महसूस कर सकता है जिसका बेटा वहाँ लाइन में लगा हो. उसको महसूस हो सकता है जिसकी बेटी लेने में लगी हो. जो लोग ऊपर चढ़ रहे हैं उनको तो सिर्फ अपना स्वार्थ ही नजर आ रहा था. एक शिक्षित इंसान इतना गैर जिम्मेदार हो सकता है मैं यह देख कर दांग रह गया. लाइन में लगे लोगों की पीड़ा और उनकी चीखों को सुननेवाला वहाँ कोई नाहे दिखा. किसी ने उन नौजवानों से यह भी नहीं पूंछा कि भैया जी आप ये क्या कर रहे हैं? जो भी वहाँ खडा था बस उसको अपना ही स्वार्थ दिखाई दे रहा था. महज एक सेकेण्ड में तीन घंटों से लगी ल
आधार  सुबह के १०.३० बज चुके हैं. रायपुर  जीपीओ के एक कोने में आधार कार्ड बनाने के लिए जो सेण्टर बनाया गया है, वहां से लेकर में गेट तक दो सौ लोगों की भीड़ जमा हो चली है. हर कोई इसी चक्कर में है कि कब उसका नंबर आये. राजधानी के बधैपारा निवासे रोशन कुमार से मुलाक़ात हो जाती है. वे आज यहाँ पहली बार आये हैं. आधार कार्ड क्या है वे नहीं जानते ? मैंने जब उनसे पूंछा तो वे पहले तो चौंके उसके बाद बोले मुझे नहीं पता ? लेकिन जब सब बनवा रहे हैं तो मैंने सोचा चलो मैं भी बन्वालेता हूँ . इसके बाद वहीं खड़ी एक वैन में चिट्ठियाँ लोड कर रहे अशोक दस मानिकपुरी ने बताया कि इसको बनाने के लिए एक अलग बिभाग काम कर रहा है. उसके स्टाफ भी अलग हैं.सदर बाज़ार के कपड़ा व्यवसाई  विनोद जैन भी फॉर्म लेने तो पहुंचे मगर लम्बी लाइन देखा कर वापस जाने लगे तो मैंने उनसे पूंछ लिया कि भैया जी आप वापस क्यों जा रहे हैं? उन्हों ने बताया कि इतनी लम्बी लाइन में अगर लगूंगा तो मेरे तो दूकान ही नहीं खुल पायेगी.! बढईपारा निवासे राम देवी (68) ने भी बताया कि उनको भी नहीं पता कि इसका क्या करना है लेकिन बहुओं ने कहा है कि आम्मा जी

भेंट मुलाक़ात ..

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भेंट मुलाक़ात छत्तीसगढ़ के बसना के प्रतिष्ठित किसान चमार सिंह पटेल कही अनकही हिंदी दैनिक के कार्यालय आए जहां एडिटोरिअल चीफ आर पी सिंह से मुलाकात की . कुछ दिनों पहले इन्हीं के खेतों को देखने पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण अडवानी व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह गए थे ..
दावों को दुलत्ती लाला बोले देखकर मोटर की रफ़्तार , क्या खाकर दौड़ा रहे हैं ये मोटर कार.. हैं ये मोटर कार देखिये इनका बुत्ता , बीच ट्रैक पर आ धमका एक देसी कुत्ता.. कह कपूत कविराय लगाकर मुंह पर ताला बोरिया- बिस्तर बाँध वहां से खिसके लाला..

वर्तमान भारत एक कविता

वर्तमान भारत उल्लूक बैठते आमों पर , तोतों की बनती बात नहीं , यहाँ कौए मोटी खाते हैं, हंसों को मिलता भात नहीं । । करते हैं राज शृगाल यहाँ वनराज डरे से फिरते हैं , चूहों को हाथ लगाने कि है बिल्ली की औकात नहीं ॥ नेताजी की आजादी तो विधवाओं जैसी रोती है , निर्भीक हुई निश्चारीवृत्ति यहाँ लम्बी ताने सोती है । गांधीजी कल्पित रामराज्य अब दुर्लभ है पकवानों सा , आजाद खुदी से पूंछ रहा आजादी कैसे होती है॥ अनुशासन है बिक रहा यहाँ कौड़ी छदाम के दामों पर , मनमानी चलाती मंत्री की और रोक लगी है कामों पर । मिल जता है अब न्याय यहाँ कुछ राशन की दुकानों पर, मंदिर से ज्यादा भीड़ जमी है नेता के मकानों पर । । क़ुतुब मीनार की चोटी पलर अधिकार दिखाते हैं कौए , कोयल बेचारी को देखो कूड़े में मारी फिरती है । अब चना घास पर घोड़ों के हैं हाथ फिराते कुछ खच्चर , गदहे कपूत से कहते हैं मेरी तो अच्छी चलाती है ॥ हिंसा का दानव ठोंक ताल है खडा हुआ चौराहों पर , क़ानून देवता रोते हैं दुबके -दुबके दुकानों में । दुखियारी भारत माता की चीखों को सुनता कौन भला, न्यायालय बिरहा गाता है अंगुली दे दोनों कान

तम्बाकू का तमाशा इसे देखा कर आप दंग रह जाएँ गे

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तम्बाकू का तमाशा

अब ज़रा इस पर भी गौर फरमाएं

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महंगाई से बचाएंगी गऊ मई

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गायों को कसाई को बेंचने से पहले एक बार इस आलेख को जरूर पढ़ें

ये रहा सबसे बड़े जिमीकंद का फूल !!!!!!!!!!!!!!!!

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जिमीकंद का सबसे बड़ा फूल / यैसा फूल देखा है क्या?????

यह जिमीकंद छत्तीसगढ़ के कोंडागाँव के ग्राम चिखालापुती कि श्रीमती धनाराजी शुक्ल के घर पर मिला। दरअसल उन्होंने इसको खाने के लिए ख़रीदा था। मगर इसमें फूल आता देख इसको रख दिया.बाद में इसमें यह फूल निकला । जिसे आप देख रहे हैं।

गोवंश को कसाइयों को सौंपने के पहले एक बार इस रिपोर्ट को जरुर पढ़ें

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देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को देख कर दिमाग में यह बात आती है कि अब हमें अपने देश में भ्रष्टाचार पर्यटन शुरू कर देना चाहिए . इससे दुनिया भर के लोग यहाँ आकर देखेंगे कि किस प्रकार एक करोडपति क्लर्क एक गरीब असहाय किसान कि फटी कमीज कि जेब से पैसे निकालता है . कैसे एक नेता अरबों रुपये विदेशी बैंकों में डालकर भी देश में ईमानदारी का चोला पहनकर उपदेश देता है ? कैसे देश की सीमा पर शहीद होनेवाले जवान कि विधवा पत्नी को उसकी पेंसन के लिया टरकाया जाता है ? कैसे एक आदमीं अपने पूरी जिन्दगी कोर्ट के चक्कर लगाते - लगाते गुजार देता है लेकिन उसे न्याय के बदले सिर्फ तारीखें मिलाती हैं ? पंद्रह हजार से भी ज्यादा किसानों कि आत्महत्या करने वाले देश का प्रधानमंत्री कैसे लालकिले कि प्राचीर से देश के नाम संबोधन में इसको कृषिप्रधान देश बता देता है और चहरे पर सिकन तक नहीं आती ! न्यायपालिका कि अनाखों पर पट्टी तो बंधी थी मगर कानों में भी कुछ ठूंस दिया गया ह

भारत में भ्रष्टाचार पर्यटन की संभावनाएं

देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को देख कर दिमाग में यह बात आती है कि अब हमें अपने देश में भ्रष्टाचार पर्यटन शुरू कर देना चाहिए. इससे दुनिया भर के लोग यहाँ आकर देखेंगे कि किस प्रकार एक करोडपति क्लर्क एक गरीब असहाय किसान कि फटी कमीज कि जेब से पैसे निकालता है. कैसे एक नेता अरबों रुपये विदेशी बैंकों में डालकर भी देश में ईमानदारी का चोला पहनकर उपदेश देता है? कैसे देश की सीमा पर शहीद होनेवाले जवान कि विधवा पत्नी को उसकी पेंसन के लिया टरकाया जाता है? कैसे एक आदमीं अपने पूरी जिन्दगी कोर्ट के चक्कर लगाते -लगाते गुजार देता है लेकिन उसे न्याय के बदले सिर्फ तारीखें मिलाती हैं? पंद्रह हजार से भी ज्यादा किसानों कि आत्महत्या करने वाले देश का प्रधानमंत्री कैसे लालकिले कि प्राचीर से देश के नाम संबोधन में इसको कृषिप्रधान देश बता देता है और चहरे पर सिकन तक नहीं आती ! न्यायपालिका कि अनाखों पर पट्टी तो बंधी थी मगर कानों में भी कुछ ठूंस दिया गया है. लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ अपने चौथेपन में पहुँच चूका है. वह भी इनका सहभागी बना है. क्योंकि उसको अपना पट पालने कि लिए विज्ञापनों कि भीख चाहिए . ऐसे में अगर भ्रष्टाचार

स्वतन्त्रता संग्राम की सुनहरी यादें

स्वतन्त्रता संग्राम kee सुनहरी यादें

आजादहिंद फौज के कंपनी कमांडर सरदार दिलीप सिंह बरार जी कपूत के घर पर उनकी धर्म पत्नी सुशीला सिंह को आशीष देते हुए

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संतों का नाम बेंचना बंद करें बाबा रामदेव

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बाबा रामदेव देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने का ख्वाब दिखा रहे हैं. लेकिन वे यह भूल रहे हैं कि अभी तक तथाकथित संतों ने हमारे हिन्दू धर्म को जितना नुकसान पहुँचाया है उतना किसी अन्य ने नहीं. खुद तो आयुर्वेद कि दवाओं को पूजीपतियों को बेंच कर धन कमा रहे हैं. ऊपर से तुर्रा यह कि हम संत हैं? बाबा के पास धन तो बहुत है पर संतोष धन कितना है यह आज तक किसी को भी नहीं दिखाई दिया. संत के पास नोटों की गद्दियाँ नहीं धूने कि राख होती है. उसकी फूँक में वह दम होता है जो किसी भी असंभव को संभव कर सकता है. उसके लिए किसी सृंग भस्म, किसी चूर्ण किसी काढ़े की जरुरत नहीं होती, साफगोई तो यह है कि जिसकी फूँक में दम नहीं वह संत नहीं .संत पैदल चलना पसंद करता है हेलीकाप्टर में बैठना नहीं. अब बाबा ही अपने श्रीमुख से कहदें कि क्या वे संत हैं? अगर नहीं तो फिर संतों का नाम बेंचकर खाना बंद कर दें. वैसे भी इस देश कि भोली भली जनता को पहले ही कई दर्जन छद्मवेशी तथाकथि बाबा छल चुके हैं. बस अब तो बाबा से एक ही प्रार्थना है कि संतों का नाम बेंचकर खाना बंद करदें. देश पर उनका एहसान होगा.

babaaon se savdhan

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एक बाबा हैं रामदेव जो योग गुरु के नाम से भी जाने जाते हैं । देश कि सीधी सादी जनता को जानवरों कि सींग का भस्म खिलाकर अहिंसा का उपदेश दे रहे हैं। आयुर्वेद कि सस्ती दवाओं को सोने के भाव बेंचकर मुनाफ़ा कमा रहे हैं, जबकि सुश्रुत में स्पष्ट उल्लेख है कि धन कमाने कि इच्छा रखनेवाले को आयुर्वेद के माध्यम से उपचार नहीं करना चाहिए । यहाँ तो हमारे बाबा जी दोनों हाथों से नोट खींच रहे हैं। वहीं भ्रष्टाचार के नाम पर लम्बे चौड़े भाषण झाड रहे हैं। यह इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। सबसे बड़े बाबा तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में सन्यासी कि परिभाषा दी है। कि - मुई नारी घर सम्पति नासी , मूंड मुडाई भये सन्यासी॥ तो ये बाबा इसमें से किस श्रेनी के सन्यासी हैं? हमारे देश में हमेशा से ही अन्धानुकरण करने वाले लोगों कि कोई कमी नहीं रही । एइसे ही लोगों के बीच में हमारे या तथाकथित बाबा जी घिरे हुए हैं। लिहाजा आम अवाम से यह गुजारिश है कि बाबा से सावधान रहें। क्योंकि इनका तो नाम ही है राम देओ यानी राम के नाम पर दुकानदारी चलाने में माहिर बाबा खुद को गरीबों का मसीहा साबित करने के लिए लगातार उलटे सीधे बयान दिए जा रहे हैं

babaaon se savdhan

कार्यालय में कपूत jee

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उल्टा-पुल्टा

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नृत्य कराती vrikshbaalaa

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कैमरे कि निगाह से प्रकृति कि अजीबोगरीब सुन्दरता

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कहो कैसा लग रहा हूँ?

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बच्चे सबसे achchhe

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कैसे लगी यह हस्त्मुद्र?

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हाथ बना चीता

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ज़रा गौर से देखए

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ज़रा गौर से देखए

ज़रा गौर से देखए

ज़रा गौर से dekhye