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Showing posts from October, 2016

Front and Last page of Hamari Sarkar of 29 th October 16

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गरबा पर गर्व और सुआ से शर्म...

खटर-पटर निखट्टू- गुजरात से आया गरबा का कल्चर जिस कदर युवा वर्ग के जेहन में घर कर गया है। उसका नज़ारा अभी कुछ दिनों पहले नौरात्रि में देखने को मिला। पूरे शहर में जहां देखो गरबा ही गरबा। उस गरबा में जाने वालों की पोशाक तो बस माशाल्लाह थी। हमें ऐसे गरबा कार्यक्रमों पर गर्व तो है,मगर उसके पीछे जो लेनदेन का  हिसाब -किताब होता है उसको लेकर जिस तरह से लोगों को बुलाने और पैसे फूंकने का काम होता है, ये चिंता का विषय है। इसके  साथ ही साथ गरबा अब अपना प्राचीन रूप खोता जा रहा है। गरबा वो है जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ किया था। उस गरबे पर हमें गर्व है। सुआ छत्तीसगढ़ की बेटियों के खून में रचा बसा है, मगर इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है कि आज भी लोगों को सुआ करने में शर्म आती है। अब दूसरे की क्या कहें हुज़ूर आज तो हमें भी शर्म उस वक्त आ गई जब पता चला कि राजधानी के कुछ खास-खास खबरनवीस एक छुटभैय्ये नेता के यहां सुआ करने गए हैं। कसम से हम तो शर्म से सिर गाड़ कर बैठ गए। उसके कुछ देर बाद खबर आई कि सभी को उस नेता ने कपड़े प्रदाय किए। अब ये लोग इस सुआ का लाभ लेने के बाद आपस में यही बात

सोने का कटोरा

कल मां भारती का बब्बर शेर छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना करने आ रहा है। यहां उनका स्वागत छत्तीसगढ़ महतारी का बाघ करेगा। ये दोनों फिर एक साथ मिलकर देश के किसानों सौर सुजला की सौगात देंगे। उसके बाद जाएंगे देखने जंगल सफारी। मां भारती का बब्बर शेर तो कल ही हिमाचल प्रदेश की सीमा से लौटा है। इसकी दहाड़ से चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के हाड़ कांप जाते हैं। अभी कुछ दिनों पहले एक पंजा पाकिस्तान को मारा था। जो नवाज़ पर गाज बनकर गिरा तो राहिल को बाहर की राह पकडऩी पड़ी। आतंक के आ$का को फांका मारने की नौबत आ गई है। चीन ने थोड़ी सी हमदर्दी दिखाई तो उसे भी उसकी औ$कात याद दिला दिया। अब शी जिंगपिंग माओ की मूर्ति का पैर पकड़कर सी-सी कर रहे हैं।   हम सवा अरब भारतीयों को अपने इन शेर और बाघ दोनों पर गर्व है। छत्तीसगढ़ महतारी का दुलरुआ बघवा भी कम नहीं है। नक्सलियों की नाक में ऐसी नकेल कसी कि उनको अब खोजने से भी रास्ता नहीं मिल रहा है। पहले आदिवासियों को रहा करता था जिनसे डर अब वही माओवादी कर रहे हैं थोक में सरेंडर। विकास की रोज लिखी जा रही है प्रदेश में नई गाथा। सड़कों और रेलमार्गों का बिछाया जा रहा है जाल। जो

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धनतेरस की खरीददारी

खटर-पटर निखट्टू- संतों....... रामायण में एक जगह बाल्मीकि ने लिखा है कि - जननी जन्मभूमिश्च स्वार्गादपि गरीयसी अर्थात मां और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर हैं।  हमारी धनतेरस हंसी और ठहाकों के साथ खुशी-खुशी बीते इसके लिए हमारे बीएसएफ के जवान सीमा पर पाकिस्तान के सीज़फायर का टायर पंक्चर करने में लगे हैं। मान्यता है कि हर कोई आज कोई न कोई नई चीज खरीदता है। अगर हमारा वश चले तो हम तो देश के प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री तथा गृहमंत्री को यही कहेंगे कि आज तो आप लोग हमारी सेनाओं के लिए रूस की शैतान-2 परमाणु मिसाइल और पांचवीं पीढ़ी का विमान तथा अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमानों का न सिर्फ सौदा करें बल्कि जितनी जल्दी हो सके आईएनएस विशाल को तैयार करके समुद्र में उतार दें। इसके अलावा हॉल के एफजीएफए का भी उत्पादन तेजी से शुरू करें। मेक इन इंडिया को भी तेजी से आगे बढ़ाना होगा। अपाचे 64 एच और शिनूक की भी डिलेवरी को जल्दी करवाने की कोशिश करें। इसके साथ ही साथ राफेल और ग्रिपेन तथा एफ-16 ब्लॉक 70 के उत्पादन को भी तत्काल हरी झंडी दे देनी चाहिए। इसके साथ ही साथ हमारी कोशिश हो कि हम लोग अपने बीएसएफ के जवानों के परिव

काली हुई गरीबों की दीवाली

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सरपंच और पंचायतकर्मी खा गए मनरेगा की मजदूरी -मनरेगा में उत्कृष्ट कार्य के लिए दिल्ली में एक्सीलेंसी आवार्ड पाने वाले सरगुजा जिले में मनरेगा की असल तस्वीर कुछ और है। यहाँ मनरेगा के कामों में व्यापक भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हो चुकी हैं। दरअसल यहाँ सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक ने मिली भगत कर खुद के हस्ताक्षर से मजदूरों की मजदूरी गबन कर ली है और मामले की शिकायत पर जाँच के बाद लोकपाल ने भी दोषी करार दे दिया है। ऐसे में सवाल तो यही है कि क्या दिल्ली में बैठे लोग आंख बंद करके बांटते हैं अवार्ड? ऐसे में तो यही लगता है कि इन गरीबों की तो दीवाली काली हो गई। शिकायत पर लोकपाल ने जांच में पाया दोषी. ... अम्बिकापुर। क्या है पूरा मामला-  सरगुजा जिले के सीतापुर विकाशखंड की तीन पंचायत हरदी सांड, बनया और रिठुवा में मनरेगा के कार्य में लगे मजदूरों की मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ बल्कि इन पंचायतों के सरपंच, सचिव और रोजगार सहायकों की मिली भगत से मजदूरों का वेतन खुद के हस्ताक्षर से फर्जी तरीके से आहरण कर लिया गया । इसकी शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता एएन. पाण्डेय ने लोकपाल से की थी। अकेला नहीं है ये मामला-  जिले

मुंगेली के कुम्हारों की खुशियों को रौंदती मिट्टी

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  माटी कहे कुम्हार से तू क्यों रौंदे मोहि, एक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूंगी तोहि। मुंगेली के कुम्हारों की जिंदगी पर ये बात बखूबी फिट बैठती है। जिनकी खुशियों को इसी मिट्टी ने मिट्टी में मिला दिया। पहले कभी जो दीए बनाकर दो पैसे कमाई कर लिया करते थे आज वही पैसे-पैसे के मोहताज़ हैं। इसका सीधा सा कारण है कि लोग अब मिट्टी के दीए नहीं खरीदते, तो वहीं इनको दिए बनाने के लिए मिट्टी भी नहीं मिल रही है। इसके अलावा इनको सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा है।ऐसे में सवाल तो यही है कि क्या हम इन कुम्हारों को  इस सितम से निज़ात दिलवा पाएंगे ? आखिर कौन दूर करेगा इन दीया बनाने वालों की जिंदगी में छाया अंधेरा?  आखिर कौन दूर करेगा दीया बनाने वालों की जिंदगी में छाया अंधेरा  मुंगेली । जिले में कुम्हार परेशान हैं, इसकी वजह मिट्टी के दीयों की बिक्री का कम होना है।  सरकारी अफसर तक मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल करने की अपील कर रहे हैं लेकिन बिक्री में ईजाफा नहीं हो रहा। मंगेली के कुम्हारों को इन दिनों जीवन यापन में भारी परेशानियों का सामना करना पड रहा है।  दीपावली पर घरों दीयों की रोशनी से जगमगान

अफसरशाही की भर्राशाही

मनरेगा में अच्छे कार्यों के लिए नई दिल्ली से अवार्ड पाने वाले सरगुजा जिले में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। तो वहीं कुछ दिनों पहले उसी अंचल के मैनपाट के गांवों में आदिवासियों के नाम गरीबी रेखा की सूची से नदारद मिले। थोड़ा सा और आगे बढ़ जाते हैं जगदलपुर की ओर जहां डॉक्टर्स और इंजीनियर्स के नाम गरीबी रेखा का कार्ड बनाया गया है। ये लोग गरीबी रेखा वाले कार्ड पर ही राशन उठा रहे हैं। अब इसी बात को सीधे कह दिया जाए कि जगदलपुर में डॉक्टर्स और इंजीनियर्स गरीब हैं मगर मैनपाट के वो आदिवासी गरीब नहीं है जिनके पास खाने तक को नहीं है। ऐसा किस सुशासन के तहत किया गया समझ से परे है। इससे भी अहम बात ये है कि इन आदिवासियों की तादाद भी काफी कम बची है। तो वहीं आदिवासियों को राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र माना जाता है। ऐसे में अगर राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों का ये हाल है तो फिर आम आदमी के साथ इस देश में क्या होता होगा, इस बात को आसानी से समझा जा सकता है। इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब वहां डायरिया से बड़ी तादाद में लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में जिले का दौरा करने आए कांग्रेस के कद्दावर नेता और प्रदेश के नेता प्

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लोकतंत्र का हाल

खटर-पटर निखट्टू- संतो.....इस देश में तीन चीज सबसे सस्ता है नून, कानून और खून, मगर इसके लिए शर्त ये है कि आदमी अमीर होना चाहिए। अगर कोई गरीब किसी का सौ रुपया चुरा ले तो पुलिस उसको इस कदर पीटती है कि वैसे तो कोई अपने जानवरों तक को नहीं पीटता। तो वहीं अगर कोई नेता देश के खजाने से अरबों रुपए नाजायज़ तरीके से निकाल ले तो वही पुलिस उसकी सुरक्षा करने में लगी रहती है। यानि कोई आम आदमीं उसको छू तक नहीं सकता। गलती से अगर किसी गरीब से खून हो जाए तो उसके लिए भादंवि की धारा 302 लगा दी जाती है। अब अगर यही खून कोई अमीर आदमी करे तो कोशिश ये होती है कि उसको गैर इरादतन हत्या का मामला कैसे बनाया जाए? गरीबों के खेत की मालगुजारी वसूलने के लिए उसको पटवारी धमकाने से लेकर पता नहीं क्या -क्या कह डालता है। तो वहीं एक अमीर को कुछ बोलने के पहले आठ बार सोचता है। ऊपर से अधिकारियों के बोल भी माशाल्लाह होते हैं। जो पुलिस गरीब की बेटी से अनाचार होने पर रिपोर्ट तक लिखने को तैयार नहीं होती। उसी पुलिस के अधिकारी अगर यही मामला किसी अमीर के साथ हो जाए तो उसके घर जाकर बयान लेते हैं वहीं उसका एफआईआर दर्ज करते हैं। ये तमाम ऐ

अदानी की खदान का पानी, बना गरीबों की परेशानी-

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-जिले में अदानी की कोयला खदान का काला पानी ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। तो वहीं खदान प्रबंधन इसमें अपनी भूमिका होने से साफ-साफ इंकार कर रहा है।  अलबत्ता कुछ लोगों को लगाकर उस पानी को पीट-पीट कर मटमैला बनाया जा रहा। ताकि पर्यावरण विभाग के अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकी जा सके। ये पानी नदी में मिलने से पूरी नदी का पानी काला हो गया है। जिसको न तो जानवर पी सकते हैं और न ही उसका उपयोग कोई निस्तारी के लिए कर सकता है। तो वहीं जिम्मेदार अब जाकर कार्रवाई का आश्वासन दे रहे हैं। सवाल तो यही है कि आखिर क्यों सो रही है सरकार और उसका पर्यावरण संरक्षण विभाग? क्या इनको किसी बड़े हादसे का इंतजार है? पानी पीट- पीट कर काले पानी को मटमैला करने का प्रयास जारी अम्बिकापुर। पानी पीट कर पैसा कामाना वर्षो पुरानी इस कहावत को सरगुजा में अदानी प्रबंधन में चरितार्थ कर दिया है। जिले में कोल उत्खनन के काम में लगी अदानी इंडस्ट्रीज के द्वारा पर्यावरण प्रदूषण करने का एक बड़ा मामला सामने आया है। जिसमें परसा केते बासेन कोल खदान में उत्खनन करने वाली अदानी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की लापरवाही आस पास क

हादसे को न्यौता दे रहीं अवैध पटाखा दुकानें

फोटो- पेज-१ में जगदलपुर। जिले में पटाखे की दुकान लगाने के लिए हर साल प्रशासन के तय मानदंडों के तहत बाजार लगाया जाता हैं, लेकिन इस बार प्रशासन ने जिस लापरवाही के साथ पटाखा बाजार लगाने की अनुमति दी है, उससे हादसा हो सकता है। ताज्जुब इस बात पर है कि इतने संवेदनशील मामले को लेकर प्रशासन ने पूरी तरह से आंखे मूंद रखी हैं।  तीन किलोमीटर के दायरे में फैले जगदलपुर शहर के हाता मैदान में पटाखा व्यापार करने के लिए दुकानों का आवंटन किया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक पटाखा दुकानों को लगाने के लिए टीन के शेड से दुकानों को तैयार किया जाना चाहिए, मैदान में बनाए गए पटाखा दुकानों को व्यापारियों ने कपडे ओर टेंट के जरिए ही बना दिया है। जिले के कलेक्टर हीरालाल नायक ने व्यवस्तता का बहाना करते हुए बात करने से मना कर दिया। -------------------------------------------------------------------------------------------

जांजगीर बना हाईटेक सट्टे का बाजार

 जांजगीर।  जिला क्रिकेट सट्टा खिलाने वालों का गढ़ बनता जा रहा है।  जिले के तीन बड़े शहरों में रोजाना लाखों का दांव लगाया जाता है। जानकारों के मुताबिक जिले के सटोरिये इतने हाईटेक हो गए कि उन्हें पकडऩा पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। एक सटोरिए ने खुलासा किया है कि एंड्राइड फोन में एक एप लोड करके क्रिकेट सट्टा खेला और खिलाया जा सकता है।  सटोरिए के मुताबिक क्रिकेट सट्टे का पूरा कारोबार आन लाईन हो चूका है, जिसके चलते यह पता लगाना मुश्किल है कि किस जगह से सट्टा खिलाया जा रहा है। सट्टा कारोबार के हाईटेक होने की जानकारी पुलिस को भी है।  जिले के एडिश्नल एस पी का दावा है की सायबर सेल की मदद से जल्द पुरे नेटवर्क को ख़त्म कर दिया जाएगा। -------------------------------------------------------------------------------------------

बिलासपुर में ठेले वालों पर लगेगा जुर्माना

 बिलासपुर । जिले में ठेले वालों के लिए खराब हो सकती है।  यदि ठेले वाले जाम का कारण बने तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा।  इस फैसले से रोड पर काम करने वालों में गुस्सा है। बिलासपुर नगर निगम ने ठेले वालों से जाम लगाने पर वसूली और जप्ती का फरमान जारी किया है।  कोई भी व्यापारी शहर के व्यस्ततम मार्ग पर अपनी दुकानदारी करता पाया जाएगा तो उस पर जुमाना लगाया जाएगा।  इसके अलावा फुटपाथ पर व्यापार करने वाले व्यापारियों को चिन्हित कर आई कार्ड भी दिया जाएगा। नगर निगम का एक तरफ फैसला और फुटपाथ व्यापारी संघ का विरोध जो लंबे समय से चला रहा है।  अब देखना यह है कि जब फरमान जारी होता है तो निगम प्रशासन की जीत होती है या फिर फुटपाथ व्यापारी संघ की।  मेयर किशोर राय का कहना है कि जाम लगना ठीक नहीं है, इससे दिक्कत होती है।

नेता की फटकार से नाराज कलेक्टर ने बंद किया काम

 गरियाबंद । जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक सरकारी अधिकारी को नेता की डांट रास नहीं आई और वह काम बंद कर चला गया। गरियाबंद के खोकसरा में बुधवार को आयोजित जनसमस्या निवारण शिविर में संसदीय सचिव गोवर्धन मांझी ने जनता से जुडी कुछ मांगें कलेक्टर के सामने रखीं, जिसे उन्होंने जनता की तकलीफों को देखते हुए तत्काल पूरा करने के लिए कलेक्टर से आग्रह किया। कलेक्टर ने सचिव की मांगों को दरकिनार कर दिया और शिविर समाप्त होने की घोषणा कर चलती बनी।  यह देखकर सचिव नाराज हो गये और उन्होंने कलेक्टर को जमकर फटकार लगा दी, उन्होंने कहा कि शिविर केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है, किसी प्रकार का निराकरण शिविरों में नहीं हो रहा।  गुस्साए सचिव ने अंत में यहां तक कह दिया कि यदि कलेक्टर ने अपना रवैया नहीं बदला तो वे भविष्य में अपने विधानसभा में शिविर का आयोजन नहीं होने देंगे।  इस दौरान शिविर में मौजूद जिले के तमाम अधिकारी और हजारों की संख्या में उपस्थित ग्रामीण भी देखते रह गए। ---------------------------------------------------------

आदत की दवाई

सरकार सुशासन के कितने ही दावे कर ले मगर अधिकारी कर्मचारी अपने रवैये से बाज आने वाले नहीं हैं। इनकी आदत पड़ चुकी है हादसे के बाद जागने और भागने की। जब तक कोई बड़ा हादसा पेश नहीं आता तब तक किसी की भी तंद्रा नहीं टूटती। वेतनमान चाहे पच्चीसवां दे दीजिए मगर आदत- आदत होती है, उसकी कोई दवाई किसी के पास नहीं मिलती। वैसे भी जानकारों का मानना है कि छत्तीसगढ़ को अफसरशाही ही चला रही है। उनकी जो भी मर्जी होती है वही होता है। इसका नज़ारा भी गरियाबंद में देखने को मिला जब वहां की कलेक्टर एक नेता की फटकार से इतनी नाराज हुईं कि बीच में ही शिविर की समाप्ति की घोषणा कर चलती बनीं। हां राज्य को एक और तबका चला रहा है। वो है उद्योगपतियों का अब अंबिकापुर में  अदानी की खदान का पानी वहां की नदी में चुपचाप घुल रहा है और कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। कार्रवाई तो बहुत दूर की बात है। इसका खामियाजा वहां के उन ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है जो उस नदी के किनारे बसे हैं। उनके जानवरों को न तो पीने का पानी मिल पा रहा है। और न ही उस काले पानी का उपयोग ग्रमीण निस्तारी के लिए  कर पा रहे हैं। अदानी कौन हैं ये बात लगभग प

प्रधानमंत्री जी शैतान-2 खरीद लीजिए न

खटर-पटर- निखट्टू- संतों... रूस ने अपनी सबसे ताकतवर परमाणु मिसाइल शैतान-2 निकाली है।  इसकी खासियत ये है कि ये मिसाइल एक सेकेंड में 7 किलोमीटर की दूरी तय करती है और दस हजार किलोमीटर दूर तक सटीक निशाना लगा सकती है। महज एक ही मिसाइल पाकिस्तान जैसे देश को पूर्णत: खत्म कर  देगी। तो वहीं चीन जैसे देश के लिए सिर्फ छह से सात मिसाइलों की जरूरत पड़ेगी। जैसे ही ये खबर फैली देश की जनता इसकी दीवानी हो गई। इधर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस से वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत करने एस-400 ट्रंफ मिसाइलें खरीद रहे हैं। तो अब देश के 90 फीसदी लोगों की अपने प्रधानमंत्री से एक ही गुहार है कि ट्रंफ मिसाइलें थोड़ा बाद में ले लेना प्रधानमंत्री जी आगे 20-शैतान -2 मिसाइलें खरीद लीजिए। चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर दस-दस मिसाइलें तैनात कर दीजिए संकट खत्म हो जाएगा। ये रोज-रोज की सीज़फायर की झंझट तो उधर चीन का आंखें तरेरना बहुत हो चुका। अब ये रोज-रोज की किचकिच छोडि़ए बस एक बार शैतान का रुख चीन और पाकिस्तान की ओर मोडि़ए और वॉर रूम में बैठे प्रधानमंत्री का सीधा कमांड थल सेना के कमांडर को मिले कि फायर..... इसके ब

Front and Last page of Hamari Sarkar of 27th October 16

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आखिर कब मिलेगा इस जवान को बहादुरी का ईनाम

    अम्बिकापुर।  कहावत है कि अगर पसीना सूखने के पहले ही मजदूरी मिल जाए तो वो सबसे ज्यादा सुख देती है, मगर यहां तो उल्टी गंगा बह रही है। जो राज्य के सुरक्षाबलों के कागजों में हो रही गलतियों की कहानी कह रही है। यहां बलरामपुर में जिस जांबाज जवान ने अपनी जान पर खेलकर नक्सलियों के मंसूबों पर पानी फेरा, उसको आज तक उसकी बहादुरी का ईनाम तक नहीं मिला। तो वहीं उसके साथ रहे लोगों को पदोन्नति और क्रमोन्नति का लाभ मिल चुका है। ऐसे में सवाल तो यही है कि हमारे जवानों के साथ बार-बार ऐसा भेदभाव क्यों? क्या है पूरा मामला- मामला बलरामपुर जिले का है जहां 10 वीं वाहिनी के आरक्षक क्रमांक 666 का है जो की ईनाम के बदले आज भी सजा भोग रहा है उक्त आरक्षक को न्याय दिलाने की मांग को लेकर सामाजिक एवं आर टी आई कार्यकर्ता ए. एन. पाण्डेय ने इस संबंध में कमांडेंट छग. शासन सुरक्षा बल 10 वीं वाहिनी सिलफिली को ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में उन्होंने कहा है की 29, 30 अगस्त 2005 को बलरामपुर के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र थाना चांदो के ग्राम इन्दरी कला पतराटोली में नक्सलियों के द्वारा जन अदालत लगाकर एक व्यक्ति की ह्त्या की

किसानों का धान बर्बाद कर रहा भूरा माहो

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 जांजगीर। जिले के किसान इन दिनों बेहद परेशान हैं।  इसकी वजह कीडों का फसल को बर्बाद करना है।  इन कीडों का नाम भूरा माहो है। जांजगीर जिले के किसान फसलों में लग रहे भूरा माहो के प्रकोप से खासे परेशान हैं। विशेषज्ञ नकली कीटनाशकों को ठहरा रहे जिम्मेदार-  भूरा माहो का प्रकोप इतना ज्यादा है की किसान इस साल धान की आधी पैदावार होने की बात कहते हुए इस नुकसान के लिए नकली कीटनाशक और कृषि विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदार मान रहे हैं। वहीं अधिकारी इसे किसानों की गलती बता रहे हैं, तो कीटनाशक विक्रेता किसान और अधिकारी दोनों को जिम्मेदार मान रहे हैं। किसानों के मुताबिक इस साल कोई भी कीटनाशक प्रभावी नहीं हो रहा।  किसान कीटनाशक की गुणवत्ता पर भी सवाल उठा रहे हैं।  किसान दुकानों पर नकली कीटनाशक बेचे जाने का आरोप लगा रहे है।  खेतों में कीटों के प्रकोप से किसान जितना परेशान है, उससे कहीं ज्यादा परेशान कीटनाशक दवाओं के बेअसर होने से हैं।

4 महीने में ही बह गई 22 करोड़ की नहर

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 बेमेतरा। सरकार फंड डकार कर ठेकेदार किस कदर प्रदेश का बंटाधार करने में लगे हैं। इसकी बानगी बेमेतरा में देखने को मिली। जहां 22 करोड़ की लागत से बनी नहर, 4 महीने भी नहीं सकी ठहर। पहली ही बारिश में वो अपने निर्माण के गुणवत्ता की सारी कहानी कह गई। मध्यम बारिश में ही आराम से बह गई। किसानों की उम्मीदों पर फिर गया पानी, तो कलेक्टर कह रहे हैं जांच करवाने वाली पुरानी कहानी। ऐसे में सवाल तो यही है कि जब गुणवत्ताहीन नहर बन रही थी तब आखिर ये लोग कहां थे? क्यों नहीं उस वक्त ही सीना ठोंक कर रोक दिया? क्या है पूरा मामला- सरकारी फंड के गलत इस्तेमाल का ताजा मामला छत्तीसगढ़ में सामने आया है।  बेमेतरा में नहर की सीसी लाइनिंग पहली बारिश में बह गई।  इसे जून 2016 में ठेकेदार ने विभाग को हैण्डओवर किया था।  सरकार ने योजना के तहत करीब 23 किमी नहर की सीसी लाइनिंग व बेस का काम कराया था।  22 करोड़ लागत से निर्मित सकरी मुख्य नहर की सीसी लाइनिंग निर्माण के 4 महीने में खराब हो गई है।  जल भराव में ही ग्राम झाल के पास से निकलने वाली नहर में सीसी लाइनिंग के दो पैनल टूटकर बह गए है।  निर्माण की गुणवत्ता का अंदाजा इसी

अफसरशाही का भगवान मालिक

उखड़ी सड़कें भवनों में दरारें और फ्लाईओवर ब्रिज की मुस्कराती बीम बता रही हैं राज्य के विकास की थीम। मौज कर रही है जांच करने वाली टीम। कुल मिलाकर इंजीनियर और ठेकेदार मिलकर -कर रहे हैं विकास का विनाश। नए भवनों की टपकती छतें, पहली ही बारिश में बह जाने वाली सड़कें और उडऩ पुलों की उड़ाई गई सीमेंट सरकारी विकास की पोल खोलने के लिए काफी है। आश्चर्य होता है कि ऐसी थर्ड क्लॉस चीजें कैसे पास हो जाती हैं? क्या सातवां वेतनमान पाने के बाद भी सरकारी अधिकारियों और अभियंताओं का पेट नहीं भरता? ये बात देश का लगभग हर नागरिक जानता और मानता है कि इंजीनियर बिना कमीशन के जांच नहीं करता। देश के तमाम नामचीन नेता अपनी-अपनी पार्टी के उम्मीदवारों से मोटी रकम लेकर टिकट बेंच रहे हैं। दोनों हाथों से नोट खैंच रहे हैं। उन पर कार्रवाई करने में इंकम टैक्स अफसरों के हाथ क्यों कांपते हैं? अस्पतालों में गुणवत्ताहीन दवाओं की आपूर्ति करने वाले दवा आपूर्तिकर्ताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? सरकारी खजाने से मोटी तनख्वाह लेकर प्राइवेट पै्रक्टिश करने वाले सरकारी डॉक्टर्स पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती? सिर्फ मोटी तनख्वाह दे दे

नहले पे दहला

खटर-पटर- निखट्टू- संतों.... एक गांव में रहने वाले गरीब के बेटे ने मुंबई की राह पकड़ी। वहां जमकर व्यापार किया और खूब पैसे कमाए। इस दौरान वो अपने गांव से कटा रहा। कभी अपनी मां तक को देखने नहीं आया। वो मां जो कभी अपने हिस्से का निवाला उसको खिलाकर सुला देती थी, और खुद पानी पीकर सो जाया करती थी। बार-बार बुलाने पर भी वो ज़ालिम बेटा घर नहीं आया और उसकी मां उसके लिए तड़प-तड़प कर मर गई। इसके बाद जब उसे ये खबर मिली कि तुम्हारी मां मर गई।  तो वो अपनी मां का क्रिया कर्म करने गांव आया। पहले तो उसको गांव वालों की झिड़कियां और डांट सुनने को मिली। उसके बाद फिर गांव के बड़े बुजुर्गों से उसने सलाह मश्विरा किया। गांव वाले भी जानते थे कि ये घमंडी  पैसों वाला है। लिहाजा  उन्होंने कहा कि कायदे से ब्रह्म भोज करवाओ और दान पुण्य करो। वही तुम्हारी मां को वहां स्वर्ग में मिलेगा। पैसों की कमीं तो उसके पास थी ही नहीं लिहाजा उसने अपनी मां का श्राध्द बड़े ही सुंदर ढंग से करवाया। पैसे के गुरूर में अंधे उस आदमी ने अपनी मां की एक सोने की मूर्ति बनवाई। पंडित से उसका पूजन करवाया और जब पंडित जी जाने लगे तो उस मूर्ति को प

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निगम का गम बढ़ाते अफसर

नगर पालिक निगम का $गम उसके अफसर  ही बढ़ाने में लगे हैं। आलम ये है कि सारा काम रुका पड़ा है। एनजीटी की फटकार का भी इनके ऊपर दूर-दूर तक कोई असर होता नहीं दिखाई दे रहा है। तो वहीं अफसरशाही  का रुआब तो एडोल्फ हिटलर को भी शर्मिंदा करने वाली है। अग्रिशमन दस्ते के तमाम जवानों सहित तमाम अधिकारी इसकी शिकायत करते नहीं थकते हैं। एक तरह रायपुर देश का दूसरा सबसे गंदा और छठां सबसे प्रदूषित शहर होने का तम$गा हासिल कर चुका है। इसके बावजूद भी पता नहीं क्यों ऐसे अधिकारी यहां ढोए जा रहे हैं? इनकी गलतियों का नुुकसान महापौर को उठाना पड़ रहा है। यानि करे कोई भरे कोई वाली बात चरितार्थ होती दिखाई दे रही है। निगम के अधिकारियों की नक्कारापंथी का सबसे बड़ा सुबूत खुद रायपुर नगर पालिक निगम ही है। यहां की बिल्डिंग में कोई फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है। ऐसे में सवाल तो यही है कि अगर कभी आग लगी तो उसे जो नुकसान होगा उसका जिम्मेदार कौन होगा? यहां योजनाएं बनती हैं पैसा आता है और खर्च हो जाता है। काम जहां था वहीं पड़ा रहता है। नगर की जनता टैक्स देकर सुविधाओं का उपभोग कायदे से नहीं कर पा रही है। उसको न तो स्वच्छ पानी मिल

निगम में वर्दी के साथ इतनी बेदर्दी क्यों

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 जवान चाहे बूढ़ा भी हो जाए तो भी वो जवान ही कहलाता है। सेवा के दौरान हुई मौत को शहादत कहा जाता है। नगर निगम के आकस्मिक सेवा देने वाले अग्रिशमन दस्ते के जवान इस बात को सुनते ही भावुक हो जाते हैं। उनका कहना है कि उनको तो यहां प्रभारी अधिकारी की गंदी गालियों के अलावा कुछ और नहीं मिलता है। इस अधिकारी के डर से जवान और ड्राइवर थर-थर कांपते हैं। तो वहीं इनके वेतन और सुविधाओं के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। इनका न तो ईएसआईसी कटता है और न ही प्राविडेंट फंड। ऐसे में भगवान न करे अगर किसी जवान की मौत अपनी ड्यूटी के दौरान हो जाए तो उसको देखने वाला कोई नहीं है। सवाल तो यही है कि एक शहीद जवान को कई लाख तो दूसरे को ये अधिकारी दिखा रहा है आंख? आखिर वर्दी के साथ ऐसी बेदर्दी क्यों? फायर ब्रिगेड के प्रभारी पर वाहन चालकों ने लगाए गाली देने  के आरोप, फायरमैन के साथ ऐसा भेदभाव क्यों? क्या ये वर्दी का अपमान नहीं है? रायपुर। नगर निगम के अग्रिशमन दस्ते के 15 ड्राइवरों को मामूली सी गलती पर गंदी गालियां देना प्रभारी की आदतों में शुमार है। नाम नहीं छापने की शर्त पर इन ड्राइवरों ने अपनी पीड़ा

Front and Last page of Hamari Sarkar of 25th October 16

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साइकिल निशान और हेलीकॉप्टर के लिए परेशान

खटर-पटर निखट्टू- दुनिया को समाजवाद का पाठ पढ़ाने वाले समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम के घर में अब उनको छोड़कर कुछ भी मुलायम नहीं दिखाई दे रहा है। जनता को दिखाने के लिए भले ही इनका चुनाव चिन्ह साइकिल हो मगर घर के भीतर चौपर को लेकर चपर-चपर हो रही है। जानकार तो यहां तक बताते हैं कि चाचा शिवपाल ने भतीजे अखिलेश को क्लेश देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। परिवारी झगड़े के बीच चीखकर यहां तक कह डाला कि चौपर क्या तुम्हारे बाप का था? अरे भइया शिवपाल काहें बाल की खाल निकालने पर तुले हो? उनके बाप का था तभी तो ले गए? इसी चौपर ने सपा की शान को चापर कर दिया। हमारे आशीष भैया तो हंसते-हंसते लोटपोट हो रहे थे। हम अचानक चकरा गए कि भाई को क्या हो गया? पूछा तो बोले भइया देखो न...साइकिल वाले चौपर के लिए चपर-चपर कर रहे हैं। इनके खाने और दिखाने वाले दांत गिन रहा था। अच्छा हुआ कि आज ममला पूरा देश देख रहा है। अब इसी बात को लेकर सुबह यूपी के मुखिया अखिलेश का क्रंदन सुनकर लोग इतने भावुक  हुए कि पार्टी कार्यालय के बाहर शिवपाल समर्थकों की हड्डी पसली तोडऩे पर आमादा हो गए। प्रदेश में पहले से ही अराजकता व्याप्त थी आज तो व

शिक्षक सिखा रहा छात्रों को खेलना जुआ

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  कांकेर में ढेर हो चुकी शिक्षा व्यवस्था की रही सही कसर कोयलीबेड़ा विकासखंड के पालनंदी गांव में उस वक्त निकाल दी गई। जब यहां पदस्थ एक शिक्षक अपने तीन छात्रों के साथ साप्ताहिक बाजार में होने वाली मुर्गे की लड़ाई में दांव लगाता दिखा। तो वहीं उसके तीनों छात्र मुर्गा पकड़े अपने शिक्षक के साथ बाजार पहुंचे थे। ऐसे में सवाल तो यही है कि जब बाजार में होने वाली मुर्गों की लड़ाई पर अध्यापक लगाएंगे पैसे तो शिक्षा की गुणवत्ता आखिर सुधरेगी कैसे? गुरुजी लगाते हैं मुर्गों की लड़ाई पर दांव, चेले संभालते हैं मुर्गे, पढ़ाई गई तेल लेने कांकेर । क्या है पूरा मामला-  कांकेर जिले के अन्दुरुहनी इलाकों में शिक्षा का हाल ही बेहाल है । शिक्षक का मन हुआ तो स्कूल जाते है और मन नहीं होने पर घूमते हुए नजर आते हैं । वही शुक्रवार को लगभग दो बजे स्कूल समय में शिक्षक स्कूली बच्चों को शिक्षा देने के बदले जुआ खेलना सिखा रहे है । शिक्षक का यह कारनामा नक्सल प्रभावित इलाका कोयलीबेडा विकासखंड के ग्राम पालनंदी का है । जहां स्कूल समय के दौरान ग्राम पी.व्ही.94 प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षक देवाराम ताराम जो कि

हाईटेक हुई जांजगीर की लाठीटेक पुलिस

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- जांजगीर की लाठीटेक पुलिस इन दिनों हाईटेक हो चली है। अब आप वहां जाकर नहीं दिखा सकेंगे तैश क्योंकि 18 थानों का काम हो चुका है पेपरलेस। मिनटों में दर्ज होगी एफआईआर और एक बटन दबते ही तैयार मिलेगी उसकी पावती। नए पुलिस अधीक्षक अजय यादव ने शुरू किया है ये कारनामा और दावा करते हैं कि आगे भी जारी रहेगा बिना फुलस्टॉप और कॉमा। फॉर्म भरना हुई बीते जमाने की बात,अब ऑन लाइन हो चुके जांजगीर पुलिस के 18 थाने जांजगीर।  क्या है पूरा मामला- जिला पुलिस भी पेपरलेस वर्क के तर्ज पर कार्य करने जा रही है।  पेपरलेस वर्क की पहली कड़ी में जिले के सभी 18 थानों को पूरी तरह कम्यूटराइज्ड कर दिया गया है और एफआईआर सहित कई कार्य कंप्यूटर के माध्यम से किए जा रहे हैं। इसके लिए इन सभी थानों में रोजनामचा भी कम्प्यूटर के माध्यम से भरे जा रहे हैं और लोगों को एफआईआर की पावती भी कम्प्यूटर से प्रिंट कर दिया जा रहा है। जांजगीर के एसपी अजय यादव का मानना है की सभी थानों के कम्प्यूटराइज्ड होने से कार्य जल्दी और आसानी से होंगे।  साथ ही वर्षों से कलम घिसने की परिपाटी से निजात मिलेगी। हर थाने में दो पुलिस वाले रहेंगे एक साथ- एसपी न

मैनपाट में अवैध डीजल-पेट्रोल आपूर्ति का झोल

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मैनपाट के सपनादर में बाक्साइट की खदानों में लगे वाहनों में टैंकर वाले नियम कायदे को ठेंगा दिखाकर डीजल और पेट्रोल की आपूर्ति कर रहे हैं। इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब एक टैंकर को खाद्य विभाग के अफसरों ने पकड़कर मैनपाट थाने के हवाल कर दिया। तो अब वहीं भारत पेट्रोलियम कंपनी के क्षेत्रीय प्रबंधक का दिल धक-धक कर रहा है। वो मामले से बचने के लिए बयान का सहारा ले रहे हैं। ऐसे में सवाल तो यही है कि अगर सभी निर्दोष हैं तो फिर वो टैंकर कैसे पकड़ में आया? कुछ तो बात रही होगी, वर्ना ऐसे कोई अधिकारी किसी पर कार्रवाई नहीं करता? टैंकर चालकों के ठेंगे पर कायदे-कानून, अम्बिकापुर। क्या है पूरा मामला- सरगुजा जिले के मैनपाट क्षेत्र में अवैध रूप से नियमों को ताक में रखकर पेट्रोल-डीजल परिवहन करने का मामला सामने आया है। अधिकारियों  ने मामले में संज्ञान लेते हुये ऐसे ही एक टैंकर को शासन द्वारा निर्धारित मानकों को पकड़कर जांच हेतु मैनपाट थाना में सुपुर्द करा दिया  है। इस संबंध में जिला खाद्य अधिकारी एसबी अग्रवाल के अनुसार कार्यवाही के लिये फूड इंस्पेक्टर को प्रकरण के जांच हेतु आज सोमवार को भेजा गया है। प्रक्रिय

सरकार की लाचारी

राज्य सरकार के पास खाद्य निरीक्षकों की बड़ी टीम नहीं होने का फायदा मिलावटखोर और चोर उठा रहे हैं। तो वहीं दवाओं का उपयोग भी नशे के कारोबार के रूप में स्थापित हो चुका है। इसका खामियाजा कहीं युवा पीढ़ी के लोगों को तो कहीं न कहीं गरीब लोगों पर पड़ रहा है। आलम ये है कि सरगुजा जिले में अवैध टैंकर्स के माध्यम से डीजल और पेट्रोल की अवैध आपूर्ति बॉक्साइट की खदानों में चलने वाले वाहनों में की  जा रही है। अच्छा हुआ जो एक वाहन खाद्य निरीक्षकों के हत्थे चढ़ गया और तहसीलदार ने उसको मैनपाट पुलिस के  हवाले कर दिया। ऐसे तमाम वाहन इस इलाके में नियम कायदे को किनारे रखकर अवैध आपूर्ति करने में लगे हैं। तो वहीं दीपावली नजदीक आ गई है। पूरे प्रदेश में मिलावटी खोए की मिठाइयों का बनना शुरू हो चुका है। इनकी भी कोई जांच-पड़ताल नहीं होने से व्यापारियों में उत्साह का माहौल है। उनको तो पता है कि फूड इंस्पेक्टर साहब तो इधर झांकने से रहे। लिहाजा मिलाओ और कमाओ की तर्ज पर काम चल रहा है। अब जांच के नाम पर जो नाच प्रदेश में होता है उसको देखकर तो राउत नाचा वालों को भी गश आ जाए। जहां एक नामीगिरामी फर्मासूटिकल के मालिक को न

मित्रों... आज हमारे छोटे भाई मेजर प्रकाश सिंह कल्चुरी और आदित्य प्रताप सिंह जी मुझसे मिलने मेरे दफ्तर आए। काफी देर तक सुख-दुख की बातें हुईं बहुत मजा आया।

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Front and Last page of Hamari sarkar of 24th October -16

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ये कौन सा पन है विज्ञापन

खटर-पटर- निखट्टू- संतों.....अजब जमाना आ गया है। कम्बख्त बिना विज्ञापन के कुछ नहीं हो रहा है। खाने-पहनने से लेकर शौचालय तक के विज्ञापन देखने को मिल रहे हैं। हमारे नाती शिवांग हमसे एक दिन बड़ा उल्टा सवाल पूछ गए। नानाजी....नानाजी ये विज्ञापन कौन सा पन है? हमारी दादी तो बता रही थीं कि बचपन, युवा और बुढ़ापा यही तीन पन होते हैं। मैं भी उस बच्चे के सवाल पर एकबारगी विचार करने को विवश हो गया। क्योंकि हमारे जीवन में विज्ञापन चारों ओर भरा पड़ा है। उपभोक्ता दिग्भ्रमित होकर खड़ा है। उसकी समझ में नहीं आ रहा कि आखिर वो खरीदे तो क्या खरीदे? एक से बढ़कर एक दावे किए जा रहे हैं। बड़े-बड़े दिखावे-और विज्ञापन करने वालों को मोटे-मोटे चढ़ावे दिए जा रहे हैं। कभी गंगा ने अपना विज्ञापन देकर बताया क्या कि हमारा जल अमृत है? कभी गाय और भैंस ने विज्ञापन दिया क्या कि हमारा दूध अमृत है? पर ये बात पूरी दुनिया जानती और मानती है। जन्म लेते बच्चे को किसने सिखाया कि वो अपनी मां की छाती से चिपक कर उसका दूध पीता है? खेत कौन सा विज्ञापन देने गया था कि गेहूं की रोटियां खाने से सभी की भूख मिटती है? कुआं कौन सा विज्ञापन देने ग

सरे बाजार महिला से पिटे बीजेपी नेता

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 भाजपा मंडल उपाध्यक्ष सिंहासन प्रसाद को किरन्दुल बाजार में एक महिला ने दनादन चप्पलों से पीटा। उसके बाद गाड़ी की चाभी से उनको घायल कर दिया । इसके बाद घायल अवस्था में भाजपा उपाध्यक्ष को कार्यकर्ताओंं ने अस्पताल पहुंचाया। तो महिला ने बताया कि नेताजी ने उसको भरे बाजार कुछ अश£ील शब्द कहे जिससे नाराज होकर उसने ऐसा काम किया। तो वहीं नेताजी इस मामले को अपनी दुकान के लेनदेन से जोड़कर बता रहे हैं। घटना की पुष्टि किरंदुल के थाना प्रभारी मनीष सिंह परिहार ने भी की है।  वहीं स्थानीय लोगों में ये चर्चा आम हो चली है कि कुछ तो बात होगी ही? किरंदुल। क्या है पूरा मामला-  बीजेपी मंडल उपाध्यक्ष सिंहासन प्रसाद गुप्ता को किरन्दुल के भरे बाजार में महिला ने चप्पलों से मारा फिर गाड़ी की चाभी से सीने में वार कर जख्मी कर दिया।  घायल उपाध्यक्ष को बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अस्पताल पहुंचाया। फिलहाल सिंहासन प्रसाद गुप्ता का इलाज चल रहा है। अश£ील बातें करने का आरोप-  दूसरी तरफ हमला करने वाली महिला  शशि (परिवर्तित नाम) ने उपाध्यक्ष पर ही आरोप लगाया की उसे सरे बाजार अश्लील बातें कहीं, गला दबाकर गाड़ी छीनने की

चिटफंड कंपनी के दो निदेशक महाराष्ट्र से गिरफ्तार

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  छत्तीसगढ़ में फर्जी कंपनी बनाकर लोगों को 44 करोड़ से भी ज्यादा रकम का चूना लगाने के आरोप में उसके दो निदेशकों को पुलिस ने महाराष्ट्र से गिरफ्तार किया है। इस मामले की पुष्टि राजनांदगांव के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह ने की। उन्होंने बताया कि अनमोल इंडिया एग्रो हर्बल फार्मिंग एंड डेयरीज केयर कंपनी लिमिटेड के निदेशक मोहम्मद खालिद मेमन और उसके भाई मोहम्मद जुनैद को  नागपुर से गिरफ्तार किया गया है।  इन दोनों ने लोगों के साथ करीब 44 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की थी। काफी दिनों से दोनों चल रहे थे फरार  राजनांदगांव। क्या है पूरा मामला-  जिले में निवेशकों को कथित रूप से ठगने के लिए एक चिटफंड कंपनी के दो निदेशकों को महाराष्ट्र  से गिरफ्तार किया  है। राजनांदगांव के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह ने कहा कि अनमोल इंडिया एग्रो हर्बल फार्मिंग एंड डेयरीज केयर कंपनी लिमिटेड के निदेशक मोहम्मद खालिद मेमन और उसके भाई मोहम्मद जुनैद को  नागपुर से पकड़ा गया।  इन दोनों ने लोगों के साथ करीब 44 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की थी। किसने की थी शिकायत- उन्होंने कहा कि ये आरोपी महाराष्ट्र  में नागपुर के निवा

चिटफंड का दंड

- राज्य में थोक में चिटफंड कंपनियों ने अभी भी डेरा डाल रखा है। लाखों  लोगों को फंसा कर मुनाफा कमाया और फिर उसके बाद एक रात धीरे से सामना समेटा और हो लिए फरार। इसके बाद अब उस चिटफंड का दंड यहां की निरीह जनता भोग रही है। इसमें जो सबसे अहम कारण समझ में आता है वो है यहां के लोगों का सीधापन। यहां के सीधेसादे लोगों को ठगने के लिए इन कंपनियों और उनके ठग किस्म के एजेंटों ने तरह-तरह की योजनाएं बनाईं। उसके बाद उनकी खून-पसीने की कमाई लेकर रफूचक्कर हो लिए। राज्य की पुलिस के पास ऐसे तमाम केसेज विवेचनाधीन हैं तो कुछ के प्रकरण न्यायालयों में भी विचाराधीन हैं। ऐसे एजेंट कुछ तो जेल में हैं और कुछ छुट्टा घूम रहे हैं। पुलिस को चाहिए कि ऐसे लोगों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए। जो लोग जनता की मेहनत की कमाई पर डाका डालते हों उनको किसी भी दशा में खुला छोडऩा ठीक नहीं है। इसी के चक्कर में फंस कर तमाम लोगों की जिंदगी बर्बाद हो रही है। न जाने कितनों की तो गृहस्थी ही उजड़ गई। इन्हीं की निराशा के शिकार होकर तमाम लोगों ने खुदकु़शी कर ली। पुलिस को चाहिए कि वो इसकी भी जांच करे कि इस कंपनी में पैसा लगाने वाले कितने लोग

Front and last page of Hamari Sarkar of 23rd October -16

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ये नया धान बचाएगा जान...!

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चौंकिए मत श्रीमान... ये नया धान बचाएगा जान...! क्योंकि इसमें 10 फीसदी प्रोटीन और 30 पीपीएम जिंक पाया गया है। ऐसे में राज्य के बच्चों की कुपोषण से लड़ाई में हमारे लिए ये एक नया हथियार साबित होगा। इसको विकसित करने  वाले इंदिरागांधी कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो अगले साल इसका उत्पादन भी शुरू कर दिया जाएगा। इंदिरागांधी कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों का नया कारनामा, जल्दी ही शुरू हो जाएगी इसकी खेती रायपुर।    कुपोषण से लडऩे का हथियार बनेगा ये धान- विश्वविद्यालय में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्राध्यापक डॉ. गिरीश चंदेल ने बताया कि विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सात साल की कड़ी मेहनत के बाद चावल की एक ऐसी किस्म को विकसित किया है जिसमें अन्य किस्मों के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन और जस्ता है।  जो राज्य में कुपोषण से लडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 5 लाख बच्चे कुपोषण के शिकार-  डॉ.  चंदेल ने बताया कि राज्य के जनजातीय समुदाय के बच्चों में कुपोषण का दर अधिक है।  एक सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य के आदिवासी इलाकों के पांच लाख बच्चे कुपोषण का शिकार ह

टीचर के टॉर्चर का शिकार बना बच्चा

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लेडी टीचर के टॉर्चर का शिकर बने तीसरी के छात्र विवेक की गलती सिर्फ इतनी सी है कि उसने होम वर्क पूरा नहीं किया था। बस इसी बात पर मैम इतनी लाल हो गईं कि छड़ी निकाल कर बच्चे की ताबड़तोड़ पिटाई कर डाली। घटना ग्राम पंचायत पटना के प्राइवेट स्कूल सुखदेव सिंह स्कूल की बताई जा रही है। ऐसे में सवाल तो यही है कि क्या किसी बच्चे को इतनी बुरी तरह पीटने से समस्या का निदान हो जाएगा? क्या यही एक मात्र तरीका बचा था उसको सुधारने का? ऐसे तमाम सवाल हैं जो विवेक के मासूम दिमाग में कौंध रहे होंगे। ऐसे में सवाल तो ये भी है कि क्या यही शिक्षकों का नैतिक चरित्र है? अध्यापन के लिए डिग्रियों से ज्यादा जरूरी ज्ञान और अच्छा आचरण जरूरी है। जो दुर्भाग्य से देश के किसी विश्व विद्यालय में नहीं पढ़ाया जाता है। रायपुर। क्या है पूरा मामला- ग्रामीणों का कहना है कि पीडि़त बच्चे को रात में बुखार भी आ गया था। जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत पटना में सुखदेव सिंह स्कूल में ग्राम पंचायत पुटा अंगा निवासी रामाशंकर साहू का पुत्र विवेक साहू कक्षा तीसरी में पढ़ रहा है। स्कूल की महिला शिक्षक ने गुरुवार को घर से होमवर्क पूरा कर नही

नए-नए धान

प्रदेश के इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय ने राज्य के गरीबों और कुपोषितों की जान बचाने के लिए एक नए किस्म का धान विकसित किया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसमें 10 प्रतिशत प्रोटीन और 30 पीपीएम जिंक की मात्रा पाई जाएगी। प्रदेश में 17 प्रतिशत बच्चे कुपोषित बताए जा रहे हैं। ऐसे में अगर इसका उत्पादन यदि राज्य में शुरू हो जाता है तो इससे कुपोषित बच्चों की न सिर्फ जान बच सकेगी, बल्कि उनको मानसिक कमजोरी, आंखों की कमजोर रोशनी जैसी तमाम समस्याओं से निजात मिल सकेगी। तो वहीं अबूझमाड़ और सूरजपुर जैसे इलाकों में रहने वाले आदिवासियों का प्रमुख पोषाहर बन सकेगा। सरकार का पोषाहार तो सही सलामत गरीब आदिवासियों तक नहीं पहुंच पा रहा है। यदि ये चावल गरीबों के कुपोषित बच्चों तक पहुंचाया जा सका तो नि:संदेह राज्य में कुपोषण के अनुपात में जोरदार गिरावट आएगी। यानि कुपोषण से होने वाली लड़ाई में ये हमारे लिए एक कारगर हथियार साबित होगा। विश्व विद्यालय के जिम्मेदार सूत्रों का मानना है कि यदि सबकुछ ठीकठाक रहा तो अगले साल ही हम इसका उत्पादन भी शुरू कर देंगे। यानि किसानों को इस धान की ये नई किस्म लगाने के लिए अगले सा

Front and Last page of Hamari Sarkar of 22nd October

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