अफसरशाही का भगवान मालिक





उखड़ी सड़कें भवनों में दरारें और फ्लाईओवर ब्रिज की मुस्कराती बीम बता रही हैं राज्य के विकास की थीम। मौज कर रही है जांच करने वाली टीम। कुल मिलाकर इंजीनियर और ठेकेदार मिलकर -कर रहे हैं विकास का विनाश। नए भवनों की टपकती छतें, पहली ही बारिश में बह जाने वाली सड़कें और उडऩ पुलों की उड़ाई गई सीमेंट सरकारी विकास की पोल खोलने के लिए काफी है। आश्चर्य होता है कि ऐसी थर्ड क्लॉस चीजें कैसे पास हो जाती हैं? क्या सातवां वेतनमान पाने के बाद भी सरकारी अधिकारियों और अभियंताओं का पेट नहीं भरता? ये बात देश का लगभग हर नागरिक जानता और मानता है कि इंजीनियर बिना कमीशन के जांच नहीं करता। देश के तमाम नामचीन नेता अपनी-अपनी पार्टी के उम्मीदवारों से मोटी रकम लेकर टिकट बेंच रहे हैं। दोनों हाथों से नोट खैंच रहे हैं। उन पर कार्रवाई करने में इंकम टैक्स अफसरों के हाथ क्यों कांपते हैं? अस्पतालों में गुणवत्ताहीन दवाओं की आपूर्ति करने वाले दवा आपूर्तिकर्ताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? सरकारी खजाने से मोटी तनख्वाह लेकर प्राइवेट पै्रक्टिश करने वाले सरकारी डॉक्टर्स पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती? सिर्फ मोटी तनख्वाह दे देने से काम की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं आने वाला। इन लोगों का पहले जिम्मेदार बनाया जाए। इसके बाद इनके कार्यों के मूल्यांकन के बाद ही इनको तनख्वाह जारी की जाए। अब सवाल तो ये है कि ये मूल्यांकन करेगा कौन? जो करेगा वो पूरा ईमानदार होगा इस बात की गारंटी कौन लेगा? कुल मिलाकर ये सरकार की आधी-अधूरी नीतियों के गैप का मैप है। लगातार सरकारी अधिकारियों का वेतनमान बढ़ाया जा रहा है। तो वहीं सरकारी अधिकारियों के मन में एक बात घर कर गई है कि हमारी नौकरी तो सरकारी है। इसलिए हम काम क्यों करें? जब बिना काम किए वेतन और पदोन्नति दोनों मिल रही है तो किसे पागल कुत्ते ने काटा है जो काम करने जाए?
ऐसे में सरकार को चाहिए कि अगर वो देश की अफसरशाही की कार्यशैली में सुधार लाना चाहती है। तो उसको सबसे पहले एक ऐसा मॉनिटरिंग दल बनाना होगा जो  कहीं दूर बैठकर सारे अधिकारियों के कामों पर न सिर्फ नजर रख सके, बल्कि उनका सारा काला चि_ा खोलने में उसको ज्यादा वक्त न लगे। इसके साथ ही साथ जिसका जैसा काम हो उसी के हिसाब से उसको वेतन का भुगतान किया जाए।  तो वहीं देश की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के लिए कठोर से कठोर सजा का प्रावधान किया जाए। इसके बाद ही इस मामले में किसी सुधार की आपेक्षा की जा सकती है, वर्ना तो अब इस देश का भगवान ही मालिक है। -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव