डेगची में कलेजे का टुकड़ा


सुराज की सरकार जिस पीडीएस के राशन पर बड़े-बड़े भाषण देती है। उसकी असलियत देखकर हर कोई दंग रह जाएगा। कोई भी खाने -कमाने वाला आदमी तो ये खतरा उठाने के पहले ही बोल देगा कि मुझे ये राशन नहीं चाहिए। दंतेवाड़ा जिले के पोंदुम गांव के लोग डंकिनी नदी में एल्युमिनियम की डेगची में अपने बच्चों को डालकर जब खुद पीछे-पीछे तैर कर उस उफनती नदी को पार करते हैं, तो देखने वालों की हिम्मत जवाब दे जाती है। यही नहीं इनको तीन ओर से पहाडिय़ों ने घेर रखा है। आने-जाने का कोई भी साधन नहीं है। ऐसे में ये लोग राशन के लिए लगातार कई -कई किलोमीटर पैदल चलकर रास्ते में पडऩे वाले नदी और नालों को पार करके यहां पहुंचते हैं। ऐसा नहीं है कि ये लोग ऐसा शौकिया करते हैं, बल्कि ये इनकी मजबूरी है। इन्होंने तमाम जनप्रतिनिधियों से इस नदी पर पुल बनवाने की गुहार भी की मगर कोई नतीजा नहीं निकला। अब तो इन्होंने इसी डेगची को अपनी नियति मान लिया है। इन इलाकों में शिक्षा का भी कोई संसाधन नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि वे इसी डेगची में अपने बच्चों को डाल कर रोज नदी के उस पार स्थित स्कूल छोडऩे आते हंै।  तो वहीं जब स्कूल बंद होता है तो बच्चों को लेकर फिर उसी डेगची के सहारे नदी पार कर घर ले जाते हैं। इस सारी कवायद के पीछे उन अनपढ़ आदिवासियों की आंखों में एक ही सपना तैर रहा है कि हम तो नहीं पढ़ लिख सके मगर हमारे बच्चे पढ़ लिखकर एक अच्छा इंसान बनें। सरकार नया रायपुर में तमाम बड़ी -बड़ी बिल्डिंग्स और राजधानी में फ्लाइओवर ब्रिज बनवा रही है। ऐसे में अगर उस पहुंच विहीन क्षेत्र में यदि एक पुल बनवा दे तो नि:संदेह उन गरीब और बेबस लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है। इसी पुल से हो कर संजीवनी और महतारी एक्सप्रेस जैसी सरकारी एंबुलेंस जा सकती हैं जिससे इनको स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर लाभ मिल सकेगा।

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