अपने ही पैंतरों के पचड़े में फंसा पाक
भारत की ताड़ और दुनिया के तमाम राष्ट्रों की लताड़ के बाद पाकिस्तान के सियासतदां अपने ही पैंतरों के पचड़े में फंसते जा रहे हैं। तो वहीं व्हाइट हाउस ने भारत के सर्जिकल स्ट्राईक को उसकी रक्षा का हथियार करार देकर एनएसजी की सदस्यता देने की अपील की। इसके साथ ही दो टूक लहजे में कहा कि पाकिस्तान अपने यहां चल रही आतंक की फैक्टरियों को बंद करे। तो वहीं यूएस थिंक टैंक का मानना है कि नए राष्ट्रपति भी शपथ ग्रहण के सौ दिनों के अंदर भारतीय प्रधानमंत्री मोदी से मिलेंगे। उधर पाक की मीडिया ने ही वहां की सरकार को जमकर लताड़ लगाई है। मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया कि अजहर मसूज और हाफिज सईद पर कार्रवाई करें न कि मीडिया को उपदेश दें? हालांकि पाकिस्तानी सरकार इसको भी दरकिनार करने में लगी है। वो विश्व बिरादरी से बार-बार अपील कर रही है कि कोई उसको भारत के साथ समझौते की मेज पर बैठा दे। अब सवाल तो ये है कि आखिर वहां से निर्यात हो रहे आतंकवाद की जिम्मेदारी कौन लेगा?
अमेरिका ने फिर दी आतंक की फैक्टरियां बंद करने की नसीहत
वाशिंगटन/ इस्लामाबाद/ नई दिल्ली।
बासित का बयान-
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के भारत के दावे को खारिज करते हुए पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने बुधवार को दोहराया कि स्ट्राइक नहीं, बल्कि सीमा पार से गोलीबारी हुई थी।
एक टेलीविजन चैनल को दिए साक्षात्कार में बासित ने कहा, ''कहीं कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई। अगर कोई सर्जिकल स्ट्राइक हुई होती, तो पाकिस्तान उसका जवाब जरूर देता।ÓÓ उन्होंने कहा कि भारतीय सुरक्षाबलों ने जम्मू एवं कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर केवल गोलीबारी की थी। यह पूछे जाने पर कि स्ट्राइक से पाकिस्तान को क्या सीख मिली है, उन्होंने कहा कि जब कोई सर्जिकल स्ट्राइक्स ही नहीं हुई तो पाकिस्तान को सीख मिलने का सवाल ही नहीं पैदा होता।
मसूद और हाफिज़ पर कार्रवाई क्यों नहीं: पाक मीडिया-
'हाउ टू लूज फ्रेंड्स एंड एलियनेट पीपलÓ शीषर्क वाले संपादकीय में कहा गया है कि अजहर और सईद पर कार्रवाई करने की बजाए सरकार और सेना प्रेस को नसीहत दे रही है। जैश ए मोहम्मद (जेईएम) नेता और पठानकोट आतंकी हमले का सरगना अजहर तथा 2008 मुंबई हमले का सरगना जमात उद दावा (जेयूडी) प्रमुख सईद पाकिस्तान में खुलेआम घूमता है और माना जाता है कि उसे सेना का संरक्षण प्राप्त है । अखबार ने अपने संपादकीय में कहा कि यह व्यथित करने वाला दिन है जब असैन्य और सैन्य आला नेतृत्व मीडिया को इस पर लेक्चर दे रहा है कि किस तरह काम किया जाए? अखबार कहता है, ''वस्तुत: ऑनलाइन दुरुपयोग की बौछार, और तीन आधिकारिक खंडन अलमीड़ा की रिपोर्ट को लेकर उठे गुस्से के गुबार को शांत करने के लिए पर्याप्त नहीं थे। इस रिपोर्ट में असैन्य और सैन्य शीर्ष अधिकारियों के बीच मतभेद को लेकर विस्तृत जानकारी दी गई थी और ये वही लोग हैं, जिन्होंने कल एक बयान जारी कर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते समय वैश्विक रूप से स्वीकार्य सिद्धांतों का पालन करने का उपदेश दे डाला।
100 दिन में मोदी से मिलें नए राष्ट्रपति: यूएस थिंक-टैंक
बराक ओबामा के राष्ट्रपति कार्यकाल को पूरा होने में अब केवल 100 दिन ही बचे हैं। ऐसे समय में अमेरिका के एक टॉप थिंक-टैंक ने सलाह दी है कि नए अमेरिकी राष्ट्रपति को अपने कार्यकाल के शुरुआती 100 दिनों के अंदर ही भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करनी चाहिए। थिंक-टैंक का कहना है कि इस मुलाकात के द्वारा यह संकेत जाएगा कि दोनों देश अपने करीबी द्विपक्षीय संबंधों को पहले की ही लकीर पर आगे ले जाने को लेकर सहमत हैं।
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