अफसरशाही की भर्राशाही






मनरेगा में अच्छे कार्यों के लिए नई दिल्ली से अवार्ड पाने वाले सरगुजा जिले में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। तो वहीं कुछ दिनों पहले उसी अंचल के मैनपाट के गांवों में आदिवासियों के नाम गरीबी रेखा की सूची से नदारद मिले। थोड़ा सा और आगे बढ़ जाते हैं जगदलपुर की ओर जहां डॉक्टर्स और इंजीनियर्स के नाम गरीबी रेखा का कार्ड बनाया गया है। ये लोग गरीबी रेखा वाले कार्ड पर ही राशन उठा रहे हैं। अब इसी बात को सीधे कह दिया जाए कि जगदलपुर में डॉक्टर्स और इंजीनियर्स गरीब हैं मगर मैनपाट के वो आदिवासी गरीब नहीं है जिनके पास खाने तक को नहीं है। ऐसा किस सुशासन के तहत किया गया समझ से परे है। इससे भी अहम बात ये है कि इन आदिवासियों की तादाद भी काफी कम बची है। तो वहीं आदिवासियों को राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र माना जाता है। ऐसे में अगर राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों का ये हाल है तो फिर आम आदमी के साथ इस देश में क्या होता होगा, इस बात को आसानी से समझा जा सकता है। इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब वहां डायरिया से बड़ी तादाद में लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में जिले का दौरा करने आए कांग्रेस के कद्दावर नेता और प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष की मौजूदगी में अफसरों ने ये बात  बताई। सुराज का दावा करने वाली सरकार की पोल खोलने के लिए ये घटनाएं काफी हैं। ये घटनाएं ये बताने के लिए भी काफी हैं कि सुराज की सरकार के अधिकारी गरीबों के साथ कैसा सुलूक कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो तत्काल इस तरह की होने वाली सारी भर्राशाही को बंद करे। अधिकारियों को न सिर्फ जिम्मेदार बनाया जाए बल्कि उनको ये भी निर्देशित किया जाए कि वे अपने कार्यों में गुणवत्ता लाएं। इसका फायदा यही होगा कि सरकार के इस कदम से आदिवासियों का शासन-प्रशासन में खो चुका विश्वास वापस लौटेगा। इसका फायदा प्रदेश की मौजूदा सरकार के नेताओं को आने वाले चुनावों में जरूर मिलेगा।

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