निगम में वर्दी के साथ इतनी बेदर्दी क्यों







 जवान चाहे बूढ़ा भी हो जाए तो भी वो जवान ही कहलाता है। सेवा के दौरान हुई मौत को शहादत कहा जाता है। नगर निगम के आकस्मिक सेवा देने वाले अग्रिशमन दस्ते के जवान इस बात को सुनते ही भावुक हो जाते हैं। उनका कहना है कि उनको तो यहां प्रभारी अधिकारी की गंदी गालियों के अलावा कुछ और नहीं मिलता है। इस अधिकारी के डर से जवान और ड्राइवर थर-थर कांपते हैं। तो वहीं इनके वेतन और सुविधाओं के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। इनका न तो ईएसआईसी कटता है और न ही प्राविडेंट फंड। ऐसे में भगवान न करे अगर किसी जवान की मौत अपनी ड्यूटी के दौरान हो जाए तो उसको देखने वाला कोई नहीं है। सवाल तो यही है कि एक शहीद जवान को कई लाख तो दूसरे को ये अधिकारी दिखा रहा है आंख? आखिर वर्दी के साथ ऐसी बेदर्दी क्यों?

फायर ब्रिगेड के प्रभारी पर वाहन चालकों ने लगाए गाली देने  के आरोप, फायरमैन के साथ ऐसा भेदभाव क्यों? क्या ये वर्दी का अपमान नहीं है?
रायपुर।
नगर निगम के अग्रिशमन दस्ते के 15 ड्राइवरों को मामूली सी गलती पर गंदी गालियां देना प्रभारी की आदतों में शुमार है। नाम नहीं छापने की शर्त पर इन ड्राइवरों ने अपनी पीड़ा हमारी सरकार को बताई। उन्होंने कहा कि हमारे प्रभारी जरा सी भी गलती हो जाने पर अंधाधुंध गालियां देते हैं। इसके साथ ही साथ हमें जब तब निकाल देने की धमकी भी देते हैं।
5.5 करोड़ का वाहन आज तक नहीं आया उपयोग में -
फॉयर ब्रिगेड की करोड़ों की फायर फाइटर खड़ी-खड़ी खराब हो चुकी है। तो वहीं तमामगाडिय़ों की हालत भी खराब है। अधिकांश गाडिय़ां चालू हालत में नहीं हैं। इसको येनकेन प्रकारेण चलाया जा रहा है। तो वहीं सबसे हल्के वाहन बुलेट के जिस फायर फाइटर का डेमांस्ट्रेशन नगर निगम के सामने दिखाया गया था। उसने आज तक एक भी अभियान में हिस्सा नहीं लिया। तो वहीं 5.5 करोड़ की लागत से खरीदा गया फायर फाइटर आज तक कहीं भी काम में नहीं लाया गया। ऐसे में सवाल तो यही है कि जब जरूरत नहीं थी तो फिर खरीदा ही क्यों गया?
कितने लोग हैं तैनात-
फायर ब्रिगेड के प्रभारी के अनुसार मौजूदा समय में यहां कुल 60 लोग पदस्थ हैं। इनमें 40 फायरमैन और उनके ऑफिसर तथा 15 चालक और 5 चपरासी बताए जाते हैं।
न ईएसआई न पीएफ और न दूसरी सुविधाएं-
आग से लडऩे वाले जांबाजों का इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा कि इन लोगों का न तो ईएसआई और पीएफ कटता है और न ही इनको कोई दूसरी शासकीय सुविधाएं मिलती हैं। ऐसे में भगवान न करे अगर कोई जवान शहीद होता है तो उसके परिजनों को क्या लाभ मिलेगा इसका भी अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। कुल मिलाकर निगम के अधिकारी शोषण की पराकाष्ठा को पार कर गए हैं।
फायर सेफ्टी के नाम पर भी बड़ा खेल-
विभाग के जानकारों ने तो यहां तक दावा किया है कि निगम और फायर ब्रिगेड के कुछ अधिकारी मिल कर तमाम संस्थानों और बड़ी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को फॉयर सेफ्टी के नाम पर जो एनओसी जारी करते हैं उसमें भी जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
बॉक्स-
निगम के भवन में नहीं है फायर सेफ्टी सिस्टम-
तमाम भवनों को फायर सेफ्टी के लिए एनओसी देने वाले नगर निगम के ह्वाइट हाउस में खुद का कोई फायर सेफ्टी सिस्टम ही नहीं है। ऐसे में सवाल तो ये भी उठता है कि आखिर जब खुद निगम की बिल्डिंग में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है तो फिर वो नगर की तमाम बिल्डिंग्स में ऐसे सिस्टम लगाने की बात कैसे करता है? दूसरा सवाल ये भी है कि अगर किसी दिन सामान्य सभा की बैठक के दिन यदि आग भड़की और उसमें लोगों की जान गई तो उन मौतों का जिम्मेदार कौन होगा?

आजतक नहीं गया कोई श्रम अधिकारी-
प्रशासनिक तमाशा यहीं आकर खत्म नहीं होता। इन तमाम फायरमैंस की बदनसीबी ये भी है कि आज तक श्रम विभाग का कोई भी श्रमायुक्त या फिर कोई भी निरीक्षक ये तक जानने नहीं गया कि आखिर आकस्मिक सेवाएं देने वाले इन लोगों की सुरक्षा और इनको मिलने वाला वेतनमान ठीक है या नहीं? उनको कौन-कौन सी सुविधाएं मुहैय्या करवाई जा रही हैं? सवाल तो ये भी उठता है कि क्या ये लोग श्रमिक अधिनियम के तहत नहीं आते? और अगर आते हैं तो फिर इनको मिलने वाले वेतनमान और सुविधाओं की जांच क्यों नहीं की गई?
नहीं मिलता है साप्ताहिक अवकाश-
जवानों ने ये भी बताया कि अधिकारियों की मनमानी इस कदर हावी है कि इन लोगों को साप्ताहिक अवकाश तक नहीं दिया जाता। त्यौहारी सीजन और राज्योत्सव को लेकर सारी छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
गुजरात के नंबर पर 5 साल से दौड़ा रहे फायर फाइटर-
शहर की तंग गलियों में लगी आग बुझाने के लिए गुजरात से 5.5 लाख की लागत से 5 साल पहले एक फायर फाइटर मंगवाया गया था। जिसका नंबर जीजे-13 -1237 आज भी उसी पुराने नंबर पर चलाया जा रहा है। जब कि  वाहन अधिनियम के अनुसार छह माह के अंदर नया पंजीयन आरटीओ कार्यालय से लेना होता है। ऐसे में सवाल तो ये कि ऐसी लापरवाही क्यों की गईं।
वर्जन-
आप मुझसे ये सब क्यों पूछना चाहते हैं। आप जानकारी लेकर क्या करेंगे?
मेरी पहुंच बहुत ऊपर तक है।
बी.एल. चंद्राकर
प्रभारी अग्रि शमन विभाग
वे लोग बेझिझक मुझसे अपनी तकलीफ बताएं, मुझसे जो भी बन पड़ेगा मैं उनकी हर संभव मदद करूंगा।
प्रमोद दुबे
महापौर

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