साइकिल निशान और हेलीकॉप्टर के लिए परेशान

खटर-पटर

निखट्टू-

दुनिया को समाजवाद का पाठ पढ़ाने वाले समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम के घर में अब उनको छोड़कर कुछ भी मुलायम नहीं दिखाई दे रहा है। जनता को दिखाने के लिए भले ही इनका चुनाव चिन्ह साइकिल हो मगर घर के भीतर चौपर को लेकर चपर-चपर हो रही है। जानकार तो यहां तक बताते हैं कि चाचा शिवपाल ने भतीजे अखिलेश को क्लेश देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। परिवारी झगड़े के बीच चीखकर यहां तक कह डाला कि चौपर क्या तुम्हारे बाप का था? अरे भइया शिवपाल काहें बाल की खाल निकालने पर तुले हो? उनके बाप का था तभी तो ले गए? इसी चौपर ने सपा की शान को चापर कर दिया। हमारे आशीष भैया तो हंसते-हंसते लोटपोट हो रहे थे। हम अचानक चकरा गए कि भाई को क्या हो गया? पूछा तो बोले भइया देखो न...साइकिल वाले चौपर के लिए चपर-चपर कर रहे हैं। इनके खाने और दिखाने वाले दांत गिन रहा था। अच्छा हुआ कि आज ममला पूरा देश देख रहा है। अब इसी बात को लेकर सुबह यूपी के मुखिया अखिलेश का क्रंदन सुनकर लोग इतने भावुक  हुए कि पार्टी कार्यालय के बाहर शिवपाल समर्थकों की हड्डी पसली तोडऩे पर आमादा हो गए। प्रदेश में पहले से ही अराजकता व्याप्त थी आज तो वो राजधानी लखनऊ में भी जा पहुंची। तहजीब-ओ-तंजीम के शहर में सिसकियां और रुंधे गले से निकलने वाली कारुणिक आवाजें गूंज रही थीं। हमें तो लगा कि लखनऊ रेलवे स्टेशन के बाहर लगा वो बोर्ड हटवा  दूं जिस पर लिखा है कि मुस्कराइए कि आप लखनऊ में हैं। या फिर उस पर लिखवा दूं कि कुछ सीखिए या मत सीखिए मगर जोर से एक बार चीखिए कि आप लखनऊ में हैं। क्यों कि किस ओर से सिर पर डंडा या पत्थर पडऩे वाला है कोई नहीं जानता। कोई ये भी नहीं जानता कि कौन सी गोली पर तुम्हारा नाम लिखा है। हम लोग तो हैरान थे ये देखकर कि जिसके गुर्गे हराम के मुर्गे खाकर पूरे प्रदेश में तमंचे पर डिस्को कर रहे हैं। उनका मुखिया इतना दुखिया है कि उसका गला रुंध गया है? तो अब एक बात आपको साफ-साफ बता दें कि मत खुजलाइए अपना सर.....सियासत में ऐसा ही होता है अक्सर... क्यों समझ गए न सर...तो अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर...तो फिर कल आपसे फिर मुलाकात होगी तब तक के लिए जै....जै।
..

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव