जनता को गम बांटता निगम





प्रदेश की राजधानी रायपुर देश का दूसरा सबसे गंदा शहर है। तो वहीं इसको देश का सातवां सबसे प्रदूषित शहर होने का गौरव हासिल है। राजधानी के महापौर ने इस पर अब तक पता नहीं गौर किया या नहीं। नेशनल ग्रीन ट्राइब्युनल ने इस बात को लेकर यहां के जिम्मेदार अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई थी। हर साल शहर में पेयजल की भारी किल्लत होती है। जैसे ही गर्मी आती है निगम के जलकल विभाग के अधिकारी टैंकरों से तमाम इलाकों में पेयजल की आपूर्ति करते हैं। तो कई बार तो इनकी जल आपूर्ति लाइन में लीकेज की वजह से नालियों का पानी पेयजल में मिल जाता है। इसके कारण तमाम इलाकों में पीलिया और डायरिया जैसी गंभीर बीमारियां फैलती हैं। पिछले साल भी पीलिया के कहर से शहर में तमाम मौतें हुई थीं। इसके बाद निगम के स्वास्थ्य विभाग ने जगह-जगह शिविर लगवाकर दवाओं का वितरण करवाया था। सवाल तो यही है कि अगर समय रहते इन सारी बातों पर गौर किया जाता तो शहर को इन आपदाओं से बचाया जा सकता था, मगर ऐसा नहीं किया गया। जब प्यास लगती है तो निगम के अधिकारियों को कुआं खोदने की बात याद आती है। जब बारिश सिर पर आकर खड़ी होती है तो नालों की सफाई याद आती है। जब चार-छह इलाकों में मलेरिया और डेंगू के मरीज मिलने लगते हैं तब इनको मच्छरों के मारने की बात याद आती है। जब गंदगी से लोगों का निकलना मुश्किल होने लगे तब निगम के कर्मचारियों को सफाई की याद आती है। सारा काम बिल्कुल मनमाने ढंग से चल रहा है। अब तो राजधानी के लोग भी इस बात को मानने लगे हैं कि उन्होंने कांग्रेस के हाथ में निगम की बागडोर थमा कर सबसे बड़ी गलती की। इसके बावजूद भी अगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने जरा सी भी सक्रियता दिखाई होती तो शहर का करोड़ों लीटर पानी बच गया होता। जो आने वाली गर्मी में हमारी जनता के काम आता, लेकिन अब पछताए होत का जब चिडिय़ा चुग गई खेत?
निगम प्रशासन जब तक राजधानी की समस्याओं पर पहले से प्रभावी रणनीति नहीं बनाएगा। आए दिन पूरे विभाग की ऐसी ही छीछालेदर होती रहेगी इसमें कोई संदेह नहीं है। यदि शहर की व्यवस्थाओं को सुधारना है तो सबसे पहले निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों तथा जनप्रतिनिधियों को ही आगे आना होगा। जैसे नए-नए महापौर बनने के बाद सुबह-सुबह सफाई होती देखने के लिए निकल जाया करते थे। बहाना फोटो खिंचवाने का ही सही मगर निकलते तो थे। उस क्रम को दोबारा जिंदा करना होगा तभी किसी सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।

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