आखिर सुबूत क्या है

खटर-पटर

 निखट्टू-
संतों..... एक अधेड़ महिला एक डॉक्टर के परिवार में नौकरानी का काम करती थी। वह खुद को अनाथ बताकर काम में लगी थी। कुछ दिनों के बाद उस डॉक्टर का बेटा अमेरिका से डॉक्टरी की डिग्री लेकर आ रहा था। पूरे घर में खुशियां बिखरी थीं। डॉक्टर दंपत्ति के तो भाई कहने ही क्या? चारों ओर से बधाइयां ही बधाइयां मिल रही थीं। वो घड़ी भी आ गई जब एयरपोर्ट से कारों के लंबे काफिले के बीच चमचमाती काली कार से उनका वो डॉक्टर बेटा उतरा। नौकरानी बार-बार उस लड़के को निहारे जा रही थी। ये  बात उसकी मालकिन को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी। उसने कई बार ये नज़ारा अपनी आंखों से देखा कि उसकी नौकरानी उनके बेटे को लगातर देख रही है। कभी इधर से छिपकर तो कभी उधर से छिपकर। आखिरकार रात को पार्टी जैसे शुरू हुई लोग खाने-पीने में लगे थे तो वो नौकरानी उनके बेटे को देखने में। अब तो डॉक्टराइन साहिबा से नहीं रहा गया। उन्होंने उस नौकरानी को मेहमानों के सामने बुलाया और बोली.....ये तू सुबह से मेरे बेटे को बार-बार क्यों देखती जा रही है? आखिर क्या संबंध है उसका और तुम्हारा? नौकरानी ने हाथ जोड़ते हुए कहा मालकिन माफ कर दीजिए । मैं देख रही हूं तो इसमें बुरा ही क्या है? मालकिन ने तुनकते हुए कहा....अरे रहने दे...मैं तुम जैसी नौकरानियों को अच्छी तरह जानती हूं। तू बता तेरा क्या रिश्ता है इसके साथ....इतना कहते-कहते मालकिन ने एक भरपूर थप्पड़ उस नौकरानी के गाल पर जमा दिया। सुनते ही मेहमान चौंक पड़े... वो लड़का भी पास आ गया और मां को समझाने की कोशिश करने लगा। अब तो उस नौकरानी की आत्मा भी फुफकार उठी..... बोली जानना चाहती है कि वो कौन है? अरे जिसे तू अपना बेटा कह रही है वो दरअसल मेरा बेटा है? इतना कहना था कि डॉक्टराइन का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा उन्होंने कहा क्या प्रमाण है कि ये तुम्हारा बेटा है? इतना कहना था कि नौकरानी ने अपना मैला सा ब्लाउज सबके सामने ही फाड़ दिया। और बोली ले देख ले ....ये सुबूत है मेरे पास....लोगों ने देखा कि उस मां के सूखे स्तनों से दूध टपक रहा था। वहां खड़ा हर कोई उस देवी को हाथ जोड़कर प्रणाम करने लगा और वो लड़का आकर अपनी मां के सीने से लग गया। तो क्यों समझ गए न सर..... इससे पहले कि आप भी प्रमाण मांगना शुरू करें---हम भी निकल लेते हैं अपने अपने घर। कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जै.....जै।
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