आह...गरियाबंद में 11 सौ गुरुओं को नहीं मिली तन्ख्वाह




जिले के मैनपुर ब्लॉक में कार्यरत तमाम शालाओं के 11  सौ से ज्यादा शिक्षकों को पिछले तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है। इसके कारण इनको अपने सामान गिरवीं रखकर बच्चों का भरण-पोषण करना पड़ रहा है। इनकी गृहस्थी हो चुकी है पूरी तरह तबाह... हर कोई भरकर एक आह... सिर्फ यही कहता है कि अब तक नहीं मिली है तन्ख्वाह। ऐसे में सवाल तो यही है कि क्या ऐसे ही पढ़ेगा और आगे बढ़ेगा छत्तीसगढ़?

 गरियाबंद। 
क्या है पूरा मामला-
ताजा मामला मैनपुर विकासखंड का है।  यहां पदस्थ 1100 से अधिक सहायक शिक्षकों को बीते 3 तीन माह से वेतन भुगतान नहीं हुआ है।  वेतन में लेटलतीफी का यह कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि गरियाबंद जिले के शिक्षकों को पिछले दो साल से इसी तरह तीन से चार माह के अंतराल में वेतन भुगतान हो रहा है।
जिले के आला अधिकारी भी अलाटमेंट नहीं आने की बात कहकर अपना पल्ला झाड लेते हैं।
प्रदेश भर में है एक ही जैसा हाल-
ऐसा सिर्फ गरियाबंद में हो रहा है ऐसी बात नहीं है। इससे पहले ऐसी ही खबरें महासमुंद, जांजगीर-चाम्पा तथा बिलासपुर समेत तमाम जिलों के शिक्षक कर चुके हैं। ऐसे में सवाल तो यही है कि क्या ऐसे ही प्रदेश के बच्चों का भविष्य सुधारा जाएगा? क्या ऐसे ही शिक्षा के अधिकारों की रक्षा हो सकेगी? शिक्षकों के तनावग्रस्त होने का नुकसान क्या शालाओं के बच्चों को नहीं उठाना पड़ेगा? इस लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है और उस पर वैधानिक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?
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