जनता का जवाब
संत कबीरदास ने लिखा कि बोली एक ऐसी अनमोल चीज है कि जिसको बिना तौले नहीं बोलना चाहिए। हमारे दूरदर्शन के चैनल्स पर चलने वाली बहस -मुबाहिशों को सुनने वाले लोग इस बात से कोई इत्तेफा$क नहीं रखते। उनके लिए तो बस चिल्लाने वाला ज्यादा जानता है। लगातार जो भी जी में आए बके जाने वाला और बड़ा ज्ञानी। इन सबसे बड़ा ज्ञानी वो एंकर होता है जो बीच-बीच में अपने तर्क ठेलता रहता है। य$कीन मानिए यही कारण है कि कोई भी प्रखरवक्ता अथवा जानकार पत्रकार ऐसे कार्यक्रमों में जाना ही नहीं चाहता। सिवाय कुछ पोस्टर ब्वाय टाइप के लोगों के। कई तो ऐसे हैं कि दिन-दिन भर इन्हीं चैनल्स पर डटे रहते हैं। अब ऐसे लोगों के ज्ञान का स्तर क्या होगा? ये बात भी आसानी से समझ में आ जाती है। कभी कोई देश की ही सेना से सर्जिकल स्ट्राइक का सुबूत मांगने लगता है। तो कोई इस तरह बयानबाजी करने लगता है गोया वो आतंकियों का प्रवक्ता बन गया है। दुनिया में भारत ही एक मात्र देश ऐसा है जहां तमाम ऐसे नेताओं को सरकारी सुविधाओं से उपकृत किया जा रहा है। उनको जेड़ श्रेणी तक की सुरक्षा दी गई है। सवाल उठता है कि आखिर क्यों? क्या जरूरत है ऐसे नेताओं को इतनी महंगी सुरक्षा देने की? इसलिए कि वो अलगाववादी हैं? हमारे देश में रहकर हमारे देश का अन्न खाकर पाकिस्तान की सोचते हैं? इससे भी ज्यादा दु:ख का विषय ये है कि हमारे देश के नेताओं को हमारी ही सेनाओं के काम पर भरोसा नहीं? उनको सुबूत चाहिए? तो सेना ने तो सुबूत दे दिया? अब देश की सवा दो अरब जनता इन नेताओं से उनकी करनी का हिसाब मांग रही है...देंगे? कितनों ने हिसाब दिया? शायद किसी ने भी नहीं? ये कोयले की दलदली में रहने वाले लोग धवल आचरण की बात करते हैं? देश के प्रधानमंत्री को वे कुछ लोग खून का दलाल बता रहे हैं। उनसे भी तो देश पूछ रहा है कि एंडार्सन को अमेरिका किसने भेजवाया? क्या भोपाल के लोगों का खून-खून नहीं था?
हमारी सरकार के कुछ नेताओं ने जो एक परिपाटी काफी अरसे से पाल रखी थी। नरेंद्र मोदी की सरकार ने बडी सफाई से उसकी सर्जरी करनी शुरू कर दी। अब ये बात इन लोगों को हज़म नहीं हो रही है। देश पर लंबे समय तक राज्य करने वाली कांगे्रस पार्टी ने आखिर आज तक क्या किया? सिवाय समस्याओं को दूध पिलाकर जिलाने के? लेकिन नरेंद्र मोदी ने उनका शल्ययन शुरू किया तो यहीं सारी बात बिगड़ गई। अब इनको तो बहाना चाहिए था हमला करने का तो इन लोगों ने अपनी-अपनी औ$कात दिखानी शुरू कर दी।
सवाल सीधा सा है कि जो अपनी सेना के ही जज्बे पर शक करता हो वो भला देश के भरोसे के कितना काबिल होगा इसको पहले समझना होगा? देश की जनता लगातार इन सारी चीजों को देखती जा रही है। सामने चुनाव है इनको -इनके एक-एक कृत्य का समुचित जवाब जरूर मिलेगा इसमें कोई दो राय नहीं है। देश की जनता अब पहले वाली नहीं रही जो भीड़ और भेडिय़ाधसान में विश्वास रखती थी। आज की युवा पीढ़ी पढ़ी लिखी और होशियार है। वो जब इनको चुपचाप जवाब देकर चलता कर देगी। उस रोज इनको अपने किए पर पछतावा होगा।
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