लोकतंत्र का हाल

खटर-पटर

निखट्टू-
संतो.....इस देश में तीन चीज सबसे सस्ता है नून, कानून और खून, मगर इसके लिए शर्त ये है कि आदमी अमीर होना चाहिए। अगर कोई गरीब किसी का सौ रुपया चुरा ले तो पुलिस उसको इस कदर पीटती है कि वैसे तो कोई अपने जानवरों तक को नहीं पीटता। तो वहीं अगर कोई नेता देश के खजाने से अरबों रुपए नाजायज़ तरीके से निकाल ले तो वही पुलिस उसकी सुरक्षा करने में लगी रहती है। यानि कोई आम आदमीं उसको छू तक नहीं सकता। गलती से अगर किसी गरीब से खून हो जाए तो उसके लिए भादंवि की धारा 302 लगा दी जाती है। अब अगर यही खून कोई अमीर आदमी करे तो कोशिश ये होती है कि उसको गैर इरादतन हत्या का मामला कैसे बनाया जाए? गरीबों के खेत की मालगुजारी वसूलने के लिए उसको पटवारी धमकाने से लेकर पता नहीं क्या -क्या कह डालता है। तो वहीं एक अमीर को कुछ बोलने के पहले आठ बार सोचता है। ऊपर से अधिकारियों के बोल भी माशाल्लाह होते हैं। जो पुलिस गरीब की बेटी से अनाचार होने पर रिपोर्ट तक लिखने को तैयार नहीं होती। उसी पुलिस के अधिकारी अगर यही मामला किसी अमीर के साथ हो जाए तो उसके घर जाकर बयान लेते हैं वहीं उसका एफआईआर दर्ज करते हैं। ये तमाम ऐसी चीजें हैं जो गरीब और अमीर के अंतर को स्पष्ट करती हैं। मैं तो ऐसे अमीरों को भी जानता हंूं, जिनके चार-चार मकान, दुकान तीन-तीन कारें हैं, मगर राशन कार्ड गरीबी रेखा वाला है। यानि सरकार के खाते में ये भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। राज्य मेंं एक ऐसा भी जिला है जहां के आदिवासियों का नाम भी गरीबी रेखा की सूची में दर्ज नहीं है, तो वहीं एक दूसरे जिले में इंजीनियर और डॉक्टर्स के नाम भी गरीबी रेखा का कार्ड बना हुआ है। अब आप ऐसे कानून को क्या कहेंगे? मजेदार बात कि इतना सब कुछ होने के बावजूद भी हमारे नेता देश में लोकतंत्र होने का दावा करते नहीं थकते हैं। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि या तो उनको लोकतंत्र क्या है इसका पता नहीं है। या फिर उनकी झूठ बोलने की आदत नहीं छूटी है। क्योंकि दूसरी जगह की तो बात छोड़ दीजिए अदालत का चपरासी भी फाइल इधर से उधर  करने के लिए आजकल गरीबों के अंगौछे  की टोंक में बंधे सौ के पुराने नोट की ओर नज़रें गड़ाए बैठा रहता है। और ये सब होता है जज साहब की पीठ के ठीक पीछे। न्याय की देवी के पीछे उन्हीं के चपरासी आय करते हैं और गरीब हाय...हाय। क्यों समझ गए  न सर.... तो अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जै....जै।

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