पुतिन ने की पुरानी दोस्ती की पुताई
दोस्ती के गुब्बारे की निकली हवा,चीन की राह पर चला रूस
पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों पर साधी चुप्पी
नई दिल्ली। ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी मेें एक कहावत कही थी जिसका मतलब था कि एक पुराना दोस्त दो नए दोस्तों से बेहतर होता है। तो वहीं अभी ज्यादा दिन नहीं बीते कि रूस ने भी चीन की राह पर जाकर अपना असली रंग दिखा दिया। ब्लादिमिर पुतिन ने पुरानी दोस्ती की पुताई शुरू कर दी। ब्रिक्स सम्मेलन में पाकिस्तान को आतंकवाद की वजह से अलग-थलग करने के मुद्दे पर रूस ने भारत का समर्थन करने की बजाय चुप्पी साधे रखी।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक चीन पहले से ही जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा का नाम गोवा डिक्लेरेशन में लाने का रास्ता बंद कर चुका था। लेकिन रूस ने भी पाकिस्तान के इन दोनों आतंकवादी संगठनों को लेकर भारत के प्रस्ताव पर चुप्पी साधे रखी। जबकि ब्रिक्स में शामिल देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा घोषित आतंकवादी संगठनों की सूची को स्वीकार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। रूस की चुप्पी के परिणामस्वरुप भारत ब्रिक्स समिट में पाकिस्तान को उस तरह से घेर नहीं सका जैसा वह चाहता था। रूस के इस बदले रवैये की वजह उसके हाल ही में पाकिस्तान के साथ बढ़ी नजदीकी भी है। पाकिस्तान के साथ रूस ने एंटी- टेरर एक्सरसाइज बताकर कई सैन्य अभ्यास किए हैं।
अल-नुसरा का नाम घोषणापत्र में शामिल
भले ही रूस ने जैश-ए-मोहम्मद का नाम गोवा डिक्लेरेशन में शामिल करने में भारत की मदद न की हो लेकिन उसने सीरिया के जभात-अल-नुसरा संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित करने का समर्थन किया है। यह इसलिए क्योंकि रूस सीरिया में लगातार अल-नुसरा को अपना निशाना बना रहा है। अल-नुसरा संगठन सीरिया में बशर-अस असद की सरकार को गिराने के लिए लगातार विद्रोह छेड़े हुए है। अल-नुसरा की ही तरह संयुक्त राष्ट्र ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए तैयबा को भी प्रतिबंधित घोषित किया हुआ है। बता दें कि उरी और पठानकोट में हुए आतंकी हमलों के लिए जैश-ए-मोहम्मद ने ही जिम्मेदारी ली थी।
गोवा डिक्लेरेशन के आने से ठीक एक दिन पहले व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी को यह आश्वासन दिया था कि वे ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे भारत के हितों को नुकसान हो। लेकिन विदेश मंत्रालय के सचिव अमर सिन्हा ने यह स्वीकार किया कि दोनों देशों के बीच पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों को डिक्लेकेशन में शामिल करने को लेकर कोई एकमत नहीं था। क्योंकि इन संगठनों से दूसरे देशों को कोई नुकसान नहीं होता।
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मुंबई में बजाज फैमिली के घर में आग, 2 की मौत, 11 बचाए गए
नई दिल्ली। देश की औद्योगिक राजधानी मुंबई में आज सुबह एक इमारत में आग लग गई। आग मुंबई के पौश इलाके कफ परेड में स्थित मेकर टावर के ए विंग में लगी। इसी इमारत में बजाज इलेक्ट्रॉनिक्स के एमडी शेखर बजाज भी रहते हैं और आग उन्हीं के घर में लगी। बताया जा रहा है कि हादसे में बजाज परिवार के सभी लोग सुरक्षित हैं, लेकिन परिवार के दो नौकरों की आग लगने के बाद दम घुटने से मौत हो गई।
घटना की सूचना मिलते ही दमकल की दस गाडिय़ां घटनास्थल पर पहुंच गई और आग पर काबू पाने की कोशिशों में जुट गईं। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। एक दमकलकर्मी ने बताया कि इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई है। वहीं आग किन कारणों से लगी अभी तक इसका पता नहीं चल पाया है।
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यूपी में शुरू हुई राम के नाम पर राजनीति
वोट के लिए किसी भी स्तर पर जाने को तैयार राजनेता
नई दिल्ली। चुनाव नजदीक आते ही उत्तर प्रदेश में एक बार फिर रामलला को लेकर सियासत तेज हो गई है। दशहरे में प्रधानमंत्री ने राम का लगाया जयकारा तो उसके बाद केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने मौका देखकर चौका मारा। वे यहां एक रामायण संग्रहालय बनाने की बात कर रहे हैं। सीधी भाषा में कहें तो वे इसको तामीर करने की बात करने ही आज उत्तर प्रदेश के दौरे पर जा रहे हैं। उनके इस कदम को यूपी चुनावों से पहले हिन्दू वोट बैंक को लुभाने के लिए बीजेपी की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है, हालांकि महेश शर्मा का कहना है कि इसके पीछे कोई राजनीतिक मंशा नहीं है और यह मोदी सरकार की पर्यटन विकास योजना का हिस्सा है। तो वहीं सपा वहां थीम पार्क बनाने जा रही है। जो अंतरराष्ट्रीय स्तर का होगा।
बीएसपी प्रमुख मायावती का कहना है कि धर्म को राजनीति और चुनावी लाभ से जोडऩे की कोशिश निंदनीय है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी में आठ रैलियां कर बीजेपी के लिए माहौल गरमाएंगे। दूसरे बड़े नेताओं से भी रैली के लिए समय मांगा है। सोमवार को अरुण जेटली के घर पर बीजेपी के बड़े नेताओं की भी बैठक हुई जहां यूपी चुनाव प्रचार की रणनीतियों पर चर्चा हुई।
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म्यांमार सीमा चौकी पर हुए हमले में 30 हमलावर ढेर
रखीने। म्यांमार के पश्चिमी राज्य रखीने में हुए झड़पों में 30 हमलावर समेत दो महिलाओं की मौत हो गई, वहीं 12 लोगों को पकड़ा गया है। यह जानकारी उप गृहमंत्री जनरल आंग सोय ने सोमवार को दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने मंत्री के हवाले से बताया कि झड़प में सरकारी सैन्य दस्ते के पांच सैनिक मारे गए। इसके बाद मुंगटाव में तीन सीमा चौकियों पर नौ अक्टूबर को हमला किया गया था।
तीन सीमा चौकियों में मुंगटाव के कईकानपई, राथेदाउंग में कोटांकौक और नागाखुया कार्यालय शामिल है। राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, अका मूल मुजाहिद्दीन को हमले के लिए दोषी ठहरया गया है, जिसका नेतृत्व हविस्तोहार के द्वारा किया गया। यह संगठन रोहिंग्या एकजुटता संगठन (आरएसओ) के आतंकवादी समूह के साथ जुड़ा हुआ है।
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि हमले पूर्व आयोजित होते थे, जिसे विदेशी आतंकवादी समूहों द्वारा आर्थिक रूप से समर्थन दिया जाता था।
जानकारी के अनुसार, हमलों में मुंगटाव के रहने वाले चरमपंथी शामिल थे, जिसका उद्देश्य मुंगटाव और बूथी को अधिकार में लेना था, जिसे व्यक्तिगत लिंक के माध्यम से मध्य पूर्व के देशों से वित्तीय सहायता दी जाती थी।
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