सरकारी हवा महल

खटर-पटर-
निखट्टू-
संतों एक पुरानी कहानी है कि एक बार किसी ने अकबर बादशाह के दिमाग में  हवा महल बनाने का फितूर भर दिया। उन्होंने बीरबल को बुलवाया और कहा कि आपको जितना भी पैसा चाहिए खजाने से ले जाओ मगर हमारे लिए जल्दी से जल्दी एक हवा महल बनवा दो। बीरबल ने खजाने से पैसा ले जाकर गरीबों और जरूरतमंदों में बांट दिया। इसके बाद तैयारी शुरू कर दी। एक रोज बादशाह ने बीरबल को बुलवाया और बोले इतने दिन हो गए तुमने कहा था कि हवा महल बनवा रहे हो कहां है हमारा वो हवा महल हम उसको देखना चाहते हैं। बीरबल ने कहा हुजूर चिंता बिल्कुल मत कीजिए मंै जल्दी ही आपको उस जगह ले जाऊंगा जहां आपका हवा महल बन रहा है। बादशाह  अगले दिन अपना हवा महल देखने के लिए तैयार हो गए। जब बीरबल उनको मौके पर लेकर पहुंचे तो वो एक बहुत बड़ा खुला मैदान था। उसके बीच में एक बहुत बड़ा वट का वृक्ष था उस पर तमाम तोते और मैना बैठे थे। बीरबल ने एक जोर की सीटी बजाई। अचानक वहां से आवाज आने लगी राम लाल ईट लाओ। श्याम लाल पत्थर लाओ। रहमान तुम संगतराशी ठीक से करो। कलुआ-ललुआ क्यों नहीं आए। तराशे पत्थरों को ठीक से लगा दो। अरे वो महारानी की मूर्ति किसने टेढ़ी कर दी? तुम लोग एक नंबर के कामचोर हो। राजमिस्त्री तुमने आज फिर ये दीवार टेढ़ी कर दी। जल्दी से तोड़कर सीधी कर दो नहीं तो आलमपनाह आ गए न तो सोच लेना फिर? और फिर अचानक एक मैना ने जोर की आवाज लगाई.....बा-अदब- बा मुलाहिज़ा होशियार... शाने हिंदुस्तान जि़ल्ले इलाही.....शहंशाह अकबर तशरीफ ला रहे हैं। इसके बाद सबके सब चुप हो गए। बादशाह ने बीरबल से सवाल किया कि बीरबल हमारा हवा महल कहां है? बीरबल ने हंसते हुए कहा महाराज आप अपने महल के सामने खड़े हैं....वाह...वाह क्या आलीशान इमारत तामीर की है इन कारीगरों ने। बादशाह का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा बोले अरे बीरबल तुमने कौन सा चश्मा लगा रखा है जो ये महल सिर्फ तुम्हें ही दिखाई दे रहा है? बीरबल ने कहा बंदापरवर आपने हवा देखी है क्या बादशाह ने कहा नहीं.... तो फिर हवा महल कैसे दिखेगा? सुनकर बादशाह चुपचाप वापस अपने महल की जानिब रवाना हो गए। ऐसे ढेरों हवा महल केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री-नेता अधिकारी और ठेकेदार बना रहे हैं, अब ये हमारा दुर्भाग्य है कि हम उसको देख नहीं पा रहे हैं। क्यों समझ गए न सर...तो अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर। कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय....जय।
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