शिक्षक सिखा रहा छात्रों को खेलना जुआ







 कांकेर में ढेर हो चुकी शिक्षा व्यवस्था की रही सही कसर कोयलीबेड़ा विकासखंड के पालनंदी गांव में उस वक्त निकाल दी गई। जब यहां पदस्थ एक शिक्षक अपने तीन छात्रों के साथ साप्ताहिक बाजार में होने वाली मुर्गे की लड़ाई में दांव लगाता दिखा। तो वहीं उसके तीनों छात्र मुर्गा पकड़े अपने शिक्षक के साथ बाजार पहुंचे थे। ऐसे में सवाल तो यही है कि जब बाजार में होने वाली मुर्गों की लड़ाई पर अध्यापक लगाएंगे पैसे तो शिक्षा की गुणवत्ता आखिर सुधरेगी कैसे?
गुरुजी लगाते हैं मुर्गों की लड़ाई पर दांव, चेले संभालते हैं मुर्गे, पढ़ाई गई तेल लेने

कांकेर ।
क्या है पूरा मामला-
 कांकेर जिले के अन्दुरुहनी इलाकों में शिक्षा का हाल ही बेहाल है । शिक्षक का मन हुआ तो स्कूल जाते है और मन नहीं होने पर घूमते हुए नजर आते हैं । वही शुक्रवार को लगभग दो बजे स्कूल समय में शिक्षक स्कूली बच्चों को शिक्षा देने के बदले जुआ खेलना सिखा रहे है । शिक्षक का यह कारनामा नक्सल प्रभावित इलाका कोयलीबेडा विकासखंड के ग्राम पालनंदी का है । जहां स्कूल समय के दौरान ग्राम पी.व्ही.94 प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षक देवाराम ताराम जो कि छात्रों के साथ साप्ताहिक बाजार में चल रही मुर्गा लड़ाई में पैसा लगाते नजऱ आ रहे हैं ।  शिक्षक देवाराम यहां स्कूल के बच्चों के साथ मुर्गा लेकर जुआ खेलने बाजार पहुंचे थे ।  शिक्षक की इस करतूत की तस्वीर ग्रामीणों ने मौके पर ली है । इस घटना के बाद तो  जिले में चलाये जा रहे शिक्षा गुणवक्ता अभियान पर सवाल उठने लगा है ।
जिम्मेदारों ने नहीं उठाए फोन-
प्रदेश के शिक्षामंत्री केदार कश्यप के शासकीय फोन 8425261000 पर लगातार कॉल की गई। दो बार घंटियां जाने के बाद फोन स्विच ऑफ कर दिया गया।

इस खबर पर स्कूल शिक्षा सचिव विकासशील से उनके मोबाइल नंबर  7424200606 उनका पक्ष जानने की जब लगातार कोशिश की गई तो उन्होंने घंटियां काफी देर तक बजने के बावजूद भी फोन नहीं उठाया।

ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारी एस.के. भारद्वाज कहां पीछे रहने वाले थे। उनसे जब उनके मोबाइल नंबर 9425243013 पर लगातार संपर्क की कोशिश की गई तो उन्होंने भी फोन नहीं उठाया।
सरकार ने क्यों दे रखा है फोन-
ऐसे में एक बारगी जेहन में यही सवाल आता है कि ऐसे लोगों को सरकार ने आखिर फोन क्यों दे रखा है? जो जरूरत पर न तो फोन उठाते हैं और न ही सलीके से अपना काम करते हैं। क्या ऐसे लोगों को सातवां वेतनमान देना सही होगा? ऐसे ही लोगों की वजह से प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था बदहाल हो चली है। इसकी गुणवत्ता में आने वाले दिनों में कोई सुधार होगा इन अधिकारियों की भर्राशाही देखकर तो कतई नहीं लगता। और हम किसी चमत्कार की उम्मीद भी नहीं कर सकते।

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