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Showing posts from February, 2015

समझ में आए तो मजे ले लेना-

व्यंग्य- जनता के पैसों की जुगाली करने वाले किसी को गाली दें शोभा नहीं देता। हद हो गई अलाली करने वाले लोग किसी को नहीं करने दे रहे हैं हमाली, बजवाकर आम आदमी से ताली किए जा रहे हैं खजाना खाली, लील गए सड़कें और नाली, जाल में भी नहीं फंसते ये जाली। इनकी आस्तीनो में पलने वाले खटमलों में से जिसको भी छू दो फट जाता है और निकलने लगती है बेनामी संपत्ति। इस पर भी सबसे बड़ा क्लेश कि बांटते हैं उपदेश। वोटों के याचक अब बनना चाहते हैं कथावाचक। ऐसे संकट काल और चाल के अकाल में अपने भाल को सुरक्षित बचाए रखने के लिए निहायत जरूरी है कि संतों जागत नींद न कीजै। जो सोए वो खोए और सौ साल तक रोए, काटेंगे वही जो हैं बोए। फिर समझ में नहीं आएगा कि किसको दबाएं और किसे टोएंंं.... ओए...ओए....ओए...ओए। बाकी अगली बार तब तक के लिए जय...जयकार। निखट्टू

छंद

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छंद माता शारदे जो वीणा हमको उधार मिले, जितने बेतार- तार-तार करि डारेंगे। गर कुछ बच गया उसे काठ में मिला के, अपनी लिए भी एक सितार करि डारेंगे।। हाथ गर शीश पर मेरे जो रहा तो माई, हारे हैं ‘‘कपूत’’ न तो फिर कभी हारेंगे। तार दिया हमको तो ठीक ठाक सब रहें, वर्ना जिसे पाएंगे उसी को तारि डारेंगे।। कपूत प्रतापगढ़ी

मित्रों...ये तस्वीरें मेरे अनुज नीरज सिंह की शादी की हैं। जिसकों आप सभी के लिए शेयर कर रहा हूं। अपना आशीष जरूर दीजिएगा मेरे भाई और बहू को.... हार्दिक आभार

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राजधानी के लाडले गीतकार राजेश जैन राही

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मित्रों... मां पर तो तमाम लोगों ने गज़लें और कविताएं लिखी हैं, मगर आज मुझे एक गीतकार ने पिता पर लिखा दोहा संग्रह भेंट कर चौंका दिया। ये शख़्स कोई और नहीं  राजधानी के लाडले गीतकार राजेश जैन राही जी हैं, जिन्होंने मेरे कार्यालय आकर मुझे अपना दोहा संग्रह पिता छांव वटवृक्ष की भेंट किया। यही शुभकामना है अनुज कवि राही जी को कि मां वाणी करें कि इनकी कलम निरंतर इसी तरह चलती रहे। पुस्तक के बारे में अगली बार। हार्दिक आभार

आरपी सिंह की दो टूक-

्र जहां हिफ़ाजत से ज्यादा दिखाई देती हो वफा, तो समझ लेना कोई आपका नफा कर रहा है सफा।