राजधानी के लाडले गीतकार राजेश जैन राही

मित्रों...
मां पर तो तमाम लोगों ने गज़लें और कविताएं लिखी हैं, मगर आज मुझे एक गीतकार ने पिता पर लिखा दोहा संग्रह भेंट कर चौंका दिया। ये शख़्स कोई और नहीं  राजधानी के लाडले गीतकार राजेश जैन राही जी हैं, जिन्होंने मेरे कार्यालय आकर मुझे अपना दोहा संग्रह पिता छांव वटवृक्ष की भेंट किया। यही शुभकामना है अनुज कवि राही जी को कि मां वाणी करें कि इनकी कलम निरंतर इसी तरह चलती रहे। पुस्तक के बारे में अगली बार। हार्दिक आभार


Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव