धमक वर्दी वाले की
वर्दी की धमक में अंधे कुछ लोग तमाम तरह के धंधे करने में लगे हैं। ऐसा ही एक धंधा सामने आया है, सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले में। यहां एक लड़का अपने मामा के साथ ननिहाल जा रहा था। रात के वक्त उसको वन विभाग के दबंग अधिकारियों ने रास्ते में रुकवाया और उसके भांजे के साथ जमकर मारपीट की। इससे भी जब उनका जी नहीं भरा तो उसको उठाकर अपने रेंज कार्यालय ले आए। जहां उसको एक कमरे में पूरी रात जानवर की तरह कैद रखा गया। इसके बाद जैसे ही इसकी खबर गांवों में पहुंची लोग उस बच्चे को बचाने के लिए वन विभाग के कार्यालय की ओर उमड़ पड़े। इसे बाद उस बच्चे को इनकी गिरफ्त से छुड़ाया गया । अपने परिजनों की राय पर जैसे ही एक बालक थाने में शिकायत करने गया। वहां पहुंचे वन विभाग के अधिकारियों ने यहां फर्जी मामला कायम करवा दिया। जिसमें ये बताया गया कि वो बच्चा सागौन की दस सिल्लियां लेकर बाइक पर बैठा था। जिसकी बरामदगी इन अधिकारियों ने बनाई है। ऐसे में सवाल तो ये भी उठता है कि क्या वन की तस्करी हो रही लकडिय़ों पर कार्रवाई का अधिकार वन विभाग को नहीं है? यदि है तो इन लोगों ने किस आधार पर थाने में बच्चे की शिकायत की? बच्चे के शरीर पर लगे घावों के बारे में विभाग के रेंजर नवल किशोर उसके साथ किसी भी प्रकार की मारपीट किए जाने से साफ-साफ इंकार कर दिया है। तो ऐसे में सवाल तो ये भी उठता है कि क्या फिर बच्चे ने खुद को अपने ही हाथों रात भर हवालात में पीछे है?
ऐसे ही मनमानी-घरजानी करने वाले अधिकारियों के कारनामों के कारण एक ओर जहां विभाग की बदनामी हो रही है। वहीं आम आदमी की आस्था भी इस सरकारी तंत्र से टूटती नज़र आ रही है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर तत्काल जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई की जाए। इससे समाज और देश में एक संदेश जाएगा कि सरकार गरीबों और जरूरतमंदों की भी सुनती है।
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