चिटफंड का दंड
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राज्य में थोक में चिटफंड कंपनियों ने अभी भी डेरा डाल रखा है। लाखों लोगों को फंसा कर मुनाफा कमाया और फिर उसके बाद एक रात धीरे से सामना समेटा और हो लिए फरार। इसके बाद अब उस चिटफंड का दंड यहां की निरीह जनता भोग रही है। इसमें जो सबसे अहम कारण समझ में आता है वो है यहां के लोगों का सीधापन। यहां के सीधेसादे लोगों को ठगने के लिए इन कंपनियों और उनके ठग किस्म के एजेंटों ने तरह-तरह की योजनाएं बनाईं। उसके बाद उनकी खून-पसीने की कमाई लेकर रफूचक्कर हो लिए। राज्य की पुलिस के पास ऐसे तमाम केसेज विवेचनाधीन हैं तो कुछ के प्रकरण न्यायालयों में भी विचाराधीन हैं। ऐसे एजेंट कुछ तो जेल में हैं और कुछ छुट्टा घूम रहे हैं। पुलिस को चाहिए कि ऐसे लोगों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए। जो लोग जनता की मेहनत की कमाई पर डाका डालते हों उनको किसी भी दशा में खुला छोडऩा ठीक नहीं है। इसी के चक्कर में फंस कर तमाम लोगों की जिंदगी बर्बाद हो रही है। न जाने कितनों की तो गृहस्थी ही उजड़ गई। इन्हीं की निराशा के शिकार होकर तमाम लोगों ने खुदकु़शी कर ली। पुलिस को चाहिए कि वो इसकी भी जांच करे कि इस कंपनी में पैसा लगाने वाले कितने लोगों ने खुद$कुशी की है। इसके बाद उसकी पुष्टि करके इन लोगों को उनकी मौत का जिम्मेदार माना जाए। उनके परिवारों को क्षतिपूर्ति के साथ ही साथ उनके बच्चों को जब तक उसकी जिंदगी रहती उतने दिनों तक के लिए भरण-पोषण भत्ते के रूप में हर माह एक रकम दी जानी चाहिए। इसके साथ ही साथ रिजर्व बैंक को भी चाहिए कि वो ऐसी कंपनियों के संज्ञान में आते ही उन पर तत्काल शिकंजा कसे। अगर सरकार और रिजर्व बैंक दोनों ही मिलकर कानून का कड़ाई से पालन करें और पुलिस अपने क्षेत्र की बारीकी से निगरानी रखे तो ऐसी कंपनियों से होने वाले नुकसान से लोगों को बचाया जा सकता है।
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