देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को देख कर दिमाग में यह बात आती है कि अब हमें अपने देश में भ्रष्टाचार पर्यटन शुरू कर देना चाहिए. इससे दुनिया भर के लोग यहाँ आकर देखेंगे कि किस प्रकार एक करोडपति क्लर्क एक गरीब असहाय किसान कि फटी कमीज कि जेब से पैसे निकालता है. कैसे एक नेता अरबों रुपये विदेशी बैंकों में डालकर भी देश में ईमानदारी का चोला पहनकर उपदेश देता है? कैसे देश की सीमा पर शहीद होनेवाले जवान कि विधवा पत्नी को उसकी पेंसन के लिया टरकाया जाता है? कैसे एक आदमीं अपने पूरी जिन्दगी कोर्ट के चक्कर लगाते -लगाते गुजार देता है लेकिन उसे न्याय के बदले सिर्फ तारीखें मिलाती हैं? पंद्रह हजार से भी ज्यादा किसानों कि आत्महत्या करने वाले देश का प्रधानमंत्री कैसे लालकिले कि प्राचीर से देश के नाम संबोधन में इसको कृषिप्रधान देश बता देता है और चहरे पर सिकन तक नहीं आती !
न्यायपालिका कि अनाखों पर पट्टी तो बंधी थी मगर कानों में भी कुछ ठूंस दिया गया है. लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ अपने चौथेपन में पहुँच चूका है. वह भी इनका सहभागी बना है. क्योंकि उसको अपना पट पालने कि लिए विज्ञापनों कि भीख चाहिए .
ऐसे में अगर भ्रष्टाचार पर्यटन शुरू हो जाता है तो दुनिया में देश को देखने आनेवाले कम से कम यहाँ आकर कुछ सीख सकें गे . आखिर भारत धर्म गुरु भी तो रहा है ?
देश के शहीदों कि आत्मा इसको देखकर क्या सोचेगी इसको इस देश कि विद्वान् परधानमंत्री से कोई लेनादेना नहीं है.
भगवान् ही मालिक है इस भारत का.
जय हिन्द

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