नशे में चूर गुरूर का गुरू
संपादकीय-
शिक्षा दान एक महान दान है। हमारे समाज में गुरुओं का स्थान भगवान से भी ऊंचा बताया गया है। कबीरदास जी ने तो यहां तक कह दिया कि जब भगवान नाराज होते हैं तो गुरू की शरण में जाना चाहिए। अगर गुरू नाराज हों तो भगवान भी मदद नहीं करता। इतने बड़े सम्मान और सातवां वेतनमान लेने वाले कुछ गुरूघंटालों की वजह से पूरा शिक्षा विभाग कलंकित हो रहा है। कमाई के गुरूर में चूर ये लोग शिक्षा के मंदिर में शराब पीकर जाने लगे हैं तो कोई वहीं शराब पीने लगा है। भारत एक आदर्शवाद की भूमि है। यहां हम किसी को अपना आदर्श मानते हैं और उसके सत्कर्मो को अपने आचरण में उतारने की कोशिश करते हैं। ऐसे में समझ में नहीं आता कि इन शराबी शिक्षकों से प्रदेश के छात्र भला क्या शिक्षा ग्रहण करेंगे। बालोद की सरकारी आईटीआई के प्राचार्य को वहां प्रवेश लेने पहुंचे छात्र-छात्राओं ने कालेज के प्रांगण में ही बियर पीते पकड़ लिया। मगर उनका दुस्साहस देखिए कि उन्होंने बोतल लहराते हुए दावा किया कि उनका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता? और भला ऐसों का कोई क्या बिगाड़ेगा? बिगाड़ तो वे रहे हैं राज्य के छात्र-छात्राओं का भविष्य। शिक्षा का माहौल और निकाल रहे हैं अनुशासन और सदाचार की अर्थी। इसके बावजूद भी प्रदेश के शिक्षा विभाग को दाद देनी होगी जो ऐसे अध्यापकों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। सवाल तो यही है कि क्या ऐसे अध्यापक को उच्च शिक्षामंत्री अपने घर में रखना चाहेंगे? अगर नहीं तो फिर इनको विद्या के मंदिरों में क्यों पोषा जा रहा है? प्रदेश में गिरते शिक्षा के स्तर का ये एक अहम कारण है। गुणवत्ता निरीक्षण करने वाले अधिकारियों को भी ये बात समझनी होगी कि ऐसे अध्यापक शिक्षा विभाग की नाक काटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में शासन को चाहिए कि वो तत्काल प्रभाव से ऐसे शराबी शिक्षकों की लिस्ट तैयार करें। कालेजों में बे्रद एनलाइज़र रखा जाए। पुलिस बाकायदा उच्च शिक्षा संस्थानों में इस बात की औचक जांच करे कि कौन सा अध्यापक शराब पीकर कालेज आया है। इसका पता लगते ही तत्काल उसकी सेवाएं समाप्त कर देनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो फिर ये कुछ भी कर लें शिक्षा के स्तर में सुधार आना ना मुमकिन है। समझ में नहीं आता कि ये मल्लाह आखिर इस नाव को क्यों डुबोना चाहते हैं, जिससे उनके परिवार का भरण -पोषण होता है। अब इनको कौन शिक्षा दे कि साहब आप दारू मत पीजिए। ये खराब चीज है इससे इज्जत और नौकरी दोनों खतरे में पड़ सकती है।
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