तार-तार होती मानवता और लाश का भी सत्यानाश...!



       पत्नी का शव पति को ढोने वाली घटना के बाद भी देश में मानवीय संवेदनाओं को झकझोरने वाली दो घटनाएं सामने आईं। उड़ीसा के बालासोर में गुरुवार को अस्पताल के शव वाहन नहीं देने पर रेलवे पुलिस ने  मृत महिला के शरीर की हड्डियां तोड़कर उसकी गठरी बनाई और उसे बांस के डंडे में बांध कर स्टेशन पहुंचाया।
बालासोर । ओडिशा के कालाहांडी में एंबुलेंस या मोर्चरी वैन न दिए जाने पर पत्नी की लाश को 12 किलोमीटर तक कंधे पर ढो कर ले जाने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा है कि बालासोर जिले से एक और शर्मनाक खबर सामने आई है। बालासोर में भी गुरूवार को अस्पताल वालों के मोर्चरी वैन देने से इनकार करने के बाद रेलवे पुलिस ने महिला के मृत शरीर की हड्डियां तोड़कर, उसकी गठरी बनाकर बांस के डंडे और मजदूरों के जरिये उसे ढोकर स्टेशन पहुंचाया गया। तो वहीं मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के पाटन तहसील के बमनोदा गांव में गुरुवार को ही दबंगों ने शवयात्रा का रास्ता रोक दिया। लिहाजा लोगों को एक तालाब के बीच से होकर शव यात्रा निकालनी पड़ी। ऐसे में सवाल तो यही है कि क्या  अब अवाम की मानवता मरती जा रही है?
बांस में बांध कर ढोई लाश-
बता दें कि 80 वर्षीय सलमानी बेहरा की बालासोर सोरो रेलवे स्टेशन के पास मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई थी। सलमानी के मृत शरीर को सोरो कम्युनिटी हेल्थ सेंटर ले जाया गया। रेलवे पुलिस को भी इस दुर्घटना की सूचना दे दी गई थी लेकिन वो लोग भी 12 घंटे बाद ही अस्पताल पहुंचे। रेलवे पुलिस के सब इन्स्पेक्टर प्रताप रूद्र मिश्रा के मुताबिक शरीर को पोस्टमार्टम के लिए बालासोर जिला अस्पताल  शेष पृष्ठ 5 पर...
ले जाना ज़रूरी था लेकिन अस्पताल में एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी।
ऑटो वाले मांग रहे से साढ़े तीन हजार-
मिश्रा ने कई ऑटो वालों से लाश को रेलवे स्टेशन तक ले चलने के लिए कहा जिससे डेड बॉडी को ट्रेन के जरिये बालासोर ले जाया जा सके। मिश्रा का कहना है कि कोई भी ऑटो वाला इसके लिए तैयार नहीं था और जो तैयार थे वो 3500 रुपए मांग रहे थे लेकिन उन्हें इस काम के लिए सिर्फ 1000 रुपए खर्च करने का आदेश था।
क्यों तोड़ी हड्डियां-
इसके बाद मिश्रा ने कुछ मजदूरों को लाश को ढो कर ले जाने के लिए कहा। मजदूर इस लाश को एक बांस के डंडे में बांध कर ले जाना चाह रहे थे लेकिन मृत शरीर तब तक अकड़ गया था और इसमें काफी दिक्कतें आ रहीं थीं। ऐसे में मजदूरों ने उसकी हड्डियां तोड़कर उसकी गठरी बनाई और फिर उसे बांस से बांधकर स्टेशन पहुंचाया।
मृतक के बेटे को लगा सदमा
सलमानी के बेटे रबिन्द्र बारिक के मुताबिक उन्हें अपनी मां की लाश की ये हालत देखकर गहरा सदमा पहुंचा है। उन्होंने कहा कि अस्पताल और रेलवे पुलिस के लोगों में जऱा भी इंसानियत नहीं बची है। बारिक जल्द ही रेलवे पुलिस के खिलाफ केस भी दर्ज कराने वाले हैं। उधर ओडिशा ह्युमन राइट्स कमीशन के चेयरपर्सन बीके मिश्रा ने इस घटना को संज्ञान में लेते हुए रेलवे पुलिस के इन्स्पेक्टर जनरल और बालासोर के जिला कलेक्टर को नोटिस भेजकर जांच रिपोर्ट चार हफ़्तों में भेजने के ले जाना ज़रूरी था लेकिन अस्पताल में एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी।
ऑटो वाले मांग रहे से साढ़े तीन हजार-
मिश्रा ने कई ऑटो वालों से लाश को रेलवे स्टेशन तक ले चलने के लिए कहा जिससे डेड बॉडी को ट्रेन के जरिये बालासोर ले जाया जा सके। मिश्रा का कहना है कि कोई भी ऑटो वाला इसके लिए तैयार नहीं था और जो तैयार थे वो 3500 रुपए मांग रहे थे लेकिन उन्हें इस काम के लिए सिर्फ 1000 रुपए खर्च करने का आदेश था।
क्यों तोड़ी हड्डियां-
इसके बाद मिश्रा ने कुछ मजदूरों को लाश को ढो कर ले जाने के लिए कहा। मजदूर इस लाश को एक बांस के डंडे में बांध कर ले जाना चाह रहे थे लेकिन मृत शरीर तब तक अकड़ गया था और इसमें काफी दिक्कतें आ रहीं थीं। ऐसे में मजदूरों ने उसकी हड्डियां तोड़कर उसकी गठरी बनाई और फिर उसे बांस से बांधकर स्टेशन पहुंचाया।
मृतक के बेटे को लगा सदमा
सलमानी के बेटे रबिन्द्र बारिक के मुताबिक उन्हें अपनी मां की लाश की ये हालत देखकर गहरा सदमा पहुंचा है। उन्होंने कहा कि अस्पताल और रेलवे पुलिस के लोगों में जऱा भी इंसानियत नहीं बची है। बारिक जल्द ही रेलवे पुलिस के खिलाफ केस भी दर्ज कराने वाले हैं। उधर ओडिशा ह्युमन राइट्स कमीशन के चेयरपर्सन बीके मिश्रा ने इस घटना को संज्ञान में लेते हुए रेलवे पुलिस के इन्स्पेक्टर जनरल और बालासोर के जिला कलेक्टर को नोटिस भेजकर जांच रिपोर्ट चार हफ़्तों में भेजने के लिए कहा है।


दबंगों ने रोका रास्ता तो तालाब से गुजरी शवयात्रा
जबलपुर। मध्य प्रदेश में पाटन तहसील के बमनोदा गांव में गुरुवार को एक दबंग ने अपनी जमीन से शवयात्रा को जाने के लिए रास्ता नहीं दिया। जिसके चलते परिजन को शवयात्रा को तालाब के भीतर से अंतिम संस्कार के लिए ले जाना पड़ा। कांतिबाई के पति झूमक पटेल की अंतिम यात्रा जा रही थी।
दबंग की जमीन से होकर जाता है रास्ता
दरअसल श्मशानघाट का रास्ता दबंग नलिन शर्मा की जमीन से होकर गुजरता है। इसी वजह से उसने शवयात्रा को अपनी जमीन से गुजरने से मना कर दिया। इसके बाद लोग शवयात्रा को तालाब के भीतर से लेकर जाना पड़ा।
विधायक ने दिया रास्ता बनाने का आश्वासन
इस घटना के बारे में जैसे ही पनागर विधायक सुशील तिवारी को मामले की जानकारी लगी तो उन्होंने तीन दिनों के भीतर श्मशान तक वैकल्पिक रास्ता बनाने का आश्वासन दिया है।
डॉ. ने देखा तक नहीं, 4 घंटे तड़पने के बाद महिला की मौत
रामानुजगंज। जिस राज्य का मुख्यमंत्री ही डॉक्टर हो वहां इलाज के अभाव में 4 घंटे तड़पने के बाद अगर कोई महिला मर जाए तो इससे बड़ी शर्म की बात भला और क्या हो सकती है? चौंकिए मत मामला छत्तीसगढ़ के रामानुजगंज का है। ग्राम चुमरा में गुरुवार की रात को एक महिला ने कोई विषाक्त पदार्थ खा लिया था। उसको इलाज के लिए संजीवनी एंबुलेंस के  माध्यम से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। यहां महिला के परिजन रोते -गिड़गिड़ाते रहे मगर सरकारी डॉक्टर ने उनकी ओर देखा तक नहीं। 4 घंटे तक तड़पने के बाद महिला की मौत हो गई। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि क्या यही हैं भाजपा सरकार के अच्छे दिन? क्या सरकार उस महिला की मौत के लिए जिम्मेदार डॉक्टर का पंजीयन रद्द कर उसपर हत्या  का मुकदमा चलाएगी?
सिस्टम का हाल


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