डायरिया के मरीजों से पटे अस्पताल,स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल


 रायपुर। मैनपाट में 21 मरीजों की मौत के बाद डायरिया ने दबे पांव गांवों में फैलता जा रहा है। तो वहीं स्वास्थ्य विभाग के सारे दावे बेकार साबित तो रहे हैं। आरंग के गोढ़ी गांव में दो मरीजों की मौत हो चुकी है और 20 से ज्यादा पीडि़त बताए जा रहे हैं। राजधानी रायपुर में पिछले चार दिनों में मेडिकल कालेज में 50 से ज्यादा मरीजों को भर्ती कराया गया है। ये जानकारी वहां के उच्च पदस्थ सूत्रों ने दी। लापरवाही का आलम ये है कि यहां मरीजों को जमीन पर लिटा कर इलाज किया जा रहा है। तो वहीं स्वास्थ्य मंत्री पिछले एक महीने से मीटिंग में व्यस्त बताए जा रहे हैं। सवाल तो ये है कि आखिर गरीबों की सरकारी दवाई कहां गई? बारिश में होने वाली मौसमी बीमारियों से निपटने की व्यवस्था क्यों नहीं की गई? इसका जवाब न तो प्रशासन के अधिकारियों के पास है और न ही स्वास्थ्य मंत्री के।
आरंग में 2 की मौत -
 डायरिया राजधानी रायपुर के करीब पहुंच गया है। आरंग के गोढ़ी गांव में दो की मौत के बाद वहां 25 से अधिक पीडि़त बताए जा रहे हैं। मौसम बिगडऩे के साथ खतरा लगातार बढ़ रहा है। इसके बावजूद सरकारी अस्पतालों में डायरिया, उल्टी, बुखार और खांसी की दवा नहीं है।
लगातार बढ़ रहे मामले-
करोबा जिले में स्वास्थ्य महकमा डायरिया के प्रकोप को देखते हुए अलग-अलग इलाकों में कैंप लगाने का दावा कर रहा है। इसके बावजूद डायरिया के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। जिले के ढोढगीपारा में एक व्यक्ति की मौत हो गई। वहीं करीब 30 से 45 लोग इसकी चपेट में आ गए हैं। प्रभावितों का इलाज भिलाई बाजार में चल रहा है और सभी की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। इससे पहले लेमरु इलाके में डायरिया से दो लोगों की मौत हो चुकी है।
बाहर से खरीदी
जा रही दवाएं
राज्य सरकार का स्वास्थ्य विभाग सिर्फ दावे-पर दावे किए जा रहा है। जब कि यहां न तो दवाएं हैं और न ही सैलाइन। मरीजों को जमीन पर लिटाकर उनका इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा मरीजों के परिजन बाहर से दवाएं खरीदकर ला रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री
मीटिंग में व्यस्त
एक ओर डायरिया से हो रही मौतों से प्रदेश की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है तो वहीं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री पिछले कई दिनों से लगातार बैठकों में व्यस्त बताए जा रहे हैं। उनके पास किसी को भी देखने का वक्त तक नहीं है। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल की बदहाल व्यवस्था के बारे में किसी को भी बताने की जरूरत नहीं है। इसको प्रदेश का  हर कोई जानता है कि यहां किस प्रकार की व्यवस्था होती है।
स्कूल के मैदान
में मिली थीं दवाएं
अभी कुछ दिनों पहले की ही बात है कि एक स्कूल के मैदान में आयरन की गोलियां और पेट के कीड़े मारने वाली दवाएं एक स्कूल के मैदान में मिली थीं। ऐसे में सवाल तो यही है कि वो दवाएं स्कूल के मैदान में आखिर कैसे पहुंची? इस खबर को भी हमारी सरकार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था।



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