गोहत्या का पाप
कांकेर जिले का कर्रामाड़ आजकल सुर्खियों में है। यहां 250 से ज्यादा गायें भूख से मर गईं। उनकी लाश को भी बड़ी सफाई से गौशाला परिसर में गाड़ा गया । जब वहां जगह नहीं बची तो फिर उनको जंगल की झाडिय़ों, सड़कों के किनारे तो कहीं दूसरी जगह ऐसे ही छोड़ दिया गया। बारिश के मौसम में ये लाशें सड़ चुकी हैं। इनकी सड़ांध से पूरा इलाका परेशान है। मामले का खुलासा होने पर सरकार सकते में आई और अब थोक में घोषणाएं करना शुरू कर दिया है। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि क्या सरकार की सारी जमा-खर्ची सिर्फ घोषणाओं में ही चलती है। मजेदार बात तो ये है कि पशुपालन विभाग प्रदेश के सबसे कर्मठ बताए जाने वाले कद्दावर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के पास है। भाजपाइयों के अलावा प्रदेश के तमाम लोग उनको एक कर्मयोगी के रूप में जानते -पहचानते हैं। गायों के मौत की तस्वीरों को जिसने भी देखा उसने छत्तीसगढ़ शासन को लेकर चार बातें जरूर सुनाईं। गौशाला की गंदगी देखकर तो अच्छे-अच्छे शर्मा जाएं। गोबर और गो मूत्र के अलावा गंदे पानी से बने कीचड़ में ही ये गोवंश बैठते थे। कई गायों ने तो इसी कीचड़ में ही दम तोड़ा। सरकार अपने विकास के दावों का ढोल पीटती रह गई। लोक सुराज का ये राज़ जानने के बाद लोगों का मोह इस सुराज से भंग हो चुका है। छत्तीसगढ़ की जनता को ये बात पूरी तौर पर समझ में आने लगी है कि उनके साथ बड़ा छल किया गया है। ऐसे में अगर सरकार और उसके जिम्मेदार अधिकारी अपने काम के तौर -तरीकों में हेरफेर नहीं करेंगे तो आने वाले समय में पार्टी के समक्ष एक बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। वैसे भी बस्तरांचल में पिछली बार भी भाजपा बहुत मामूली अंतर से जीती थी। ऐसे में ये माना जा रहा है कि ये घटनाएं वहां पार्टी के जनाधार को तोडऩे में काफी मददगार साबित होंगी। लिहाजा आने वाले समय में भाजपा की मुश्किलें वहां बढ़ सकती हैं इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता। इसी से बचने और 27 अगस्त को मुख्यमंत्रियों की बैठक में अमित शाह के सामने प्रदेश के मुखिया को फटकार न पड़े। इसी लिए ये सारी घोषणाएं की जा रही हैं। तो वहीं कुछ लोगों का ये भी मानना है कि भाजपा ने गोहत्या का महापाप किया है जो आने वाले चुनाव में इनकी नैया जरूर डुबाएगा।
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