कान के रास्ते कलेज़े में उतरने का फ़न जानते हैं रमन


आरपी. सिंह
 वक्त के पांव अनायास ठहर जाएंगे, गौर से देखोगे कुछ और नज़र आएंगे।
प्यार से इनको सुनोगे तो ये रफ्ता-रफ्ता कान के रास्ते कलेजेÞ में उतर जाएंगे।।
 जी हां कुछ ऐसा ही नज़ारा रविवार को  राजधानी के चारों ओर देखने को मिला, जब रमन के गोठ को सुनने के लिए जो जिधर पाया उधर ही ट्रांजिस्टर से चिपक गया। इस घटना ने एक बात तो साबित कर ही दिया कि प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह कान के रास्ते कलेज़े में उतरने का हुनर जानते हैं। दूसरा ये कि न जाने कितने दिनों से घर के कोने में पड़े रेडियो सेट्स में एक बार फिर से बैटरी लगाई गई और बाहर निकल आए फिलिप्स और बुश के रेडियो सेट। इन में कुछेक चाइनीज़ सेट भी दिखाई दिए। अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने जिस तरह से प्रदेश की जनता के दिल में उतरने में सफलता हासिल की उसके नि:संदेह दूरगामीं परिणाम होंगे। पूरे प्रदेश में पार्कों से लेकर मुहल्ले की गलियों और गांवों की चौपालों तक में लोगों ने रेडियो पर अपने प्रदेश के मुखिया को ध्यान लगाकर सुना। इससे डॉ. रमन सिंह की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। वे अपने इस संबोधन के दौरान लोगों से पूरी तरह से जुड़ने में कामयाब रहे। उनका ये सफल प्रयोग प्रदेश में भाजपा की सरकार के लिए काफी लाभदायक साबित होगी। विपक्ष ने इस कार्यक्रम में बाधा डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी, मगर उनकी हर कोशिश नाकामयाब साबित हुई। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान तीज त्यौहारों और अपनी संस्कृति का बखान तो किया ही। बड़ी ही कुशलता से किसानों की आत्महत्या पर अपनी चिंता भी जाहिर कर दी। अपनी मां-बहनों के सुहाग की लंबी कामना करते हुए। पर्दे में कही गई बात हमेशा ज्यादा असर करती है।  उनके इसी फन ने लोगों को उनका मुरीद बना दिया है। इसके अलावा एक बात और है जो उनको आम लोगों से अलग करती है। डॉ. रमन सिंह में समरसता का जो गुण है वह विरले लोगों में ही देखने को मिलता है। वे जहां भी जाते हैं वहीं के लोगों में ऐसे घुल मिल जाते हैं गोया वे वर्षों से उनके बीच में रहते आए हों। चाहे वो बस्तर के गरीब आदिवासी हों या फिर रायपुर का रईस। लंबे अरसे से उन पर खास को ज्यादा तवज्जो देने के आरोप लगते रहे हैं, मगर जब वे बस्तर के पहुंच विहीन क्षेत्रों में सुराज अभियान के दौरान जाकर गरीबों की बातें सुनते हैं तो विपक्ष की बोलती बंद हो जाती है। कुल मिलाकर ये प्रदेश के मुख्यमंत्री का एक बेहद सफल अभियान है, इससे उनका प्रदेश की जनता से सीधा जुड़ाव होगा। कुछ लोग इसको प्रधानमंत्री के मन की बात की कार्बन कॉपी कह सकते हैं मगर अच्छाई की नकल करने में कोई बुराई नहीं है। बस जरूरत है तो एक सार्थक शुरुआत की।

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